रोजगार की संभावनाएं कहां छिपी हैं? इस प्रश्न का उत्तर युवा निरंतर तलाशते रहते हैं।

रोजगार की संभावनाएं कहां छिपी हैं? इस प्रश्न का उत्तर युवा निरंतर तलाशते रहते हैं। वास्तव में इस सवाल का सही जवाब दो आयामों को समझने से मिलता है। पहला- विद्यार्थी की अपनी मौलिक प्रतिभा क्या है? दूसरा—अमुक प्रतिभा को सही मंच कहां मिल सकता ह,ै जहां वो नाम और पैसा दोनों कमा सके। इस तथ्य के प्रकाश में यह आलेख उन विद्यार्थियों को करिअर की दिशा देता है, जिनकी आवाज बहुत अच्छी है। दूसरा, विद्यार्थी में कुछ रचनात्मक विचारों के साथ ज्ञानवर्धक और मनोरंजक सामग्री तैयार करने की अभिरुचि हो।

यहां बात हो रही है ‘पाडकास्ट’ की । ‘पाडकास्ट’ तेजी से उभर कर आया है जिसने लोगो की शिक्षा, मनोरंजन और सूचना की जरूरत को तो पूरा किया ही है, साथ ही अच्छी आवाज और रचनात्मक दिशा में कुछ करने वालों के लिए रोजगार की अपार संभावनाएं भी उत्पन्न की हैं। तो इस क्षेत्र में काम करने की संभावनाओं को तलाशनें के लिए जरूरी हैं कि पहले ये जान लिया जाए कि ‘पाडकास्ट’ होता क्या है? सरल भाषा में कहे तो इसका अर्थ है सिर्फ आडियो के रूप में मनोरंजक या ज्ञानवर्धक कार्यक्रम बनाकर इंटरनेट के माध्यम से लोगों तक पहुंचाना। इन आडियो फाइल को श्रोता अपनी सुविधा अनुसार कभी भी इंटरनेट से उठाकर प्रयोग कर सकते हैं।

पिछले 17-18 बरसों में धीरे-धीरे यह विधा अपने भरे पूरे रूप में विकसित हुई है। और आज का दौर इसकी लोकप्रियता के चरम का दौर है। ‘पाडकास्ट’ के अस्तित्व में आने से पहले सिर्फ रेडियो ही एकमात्र ऐसा साधन था जिस पर आडियो कार्यक्रम सुने जा सकते थे लेकिन ‘पाडकास्ट’ के आगमन ने संचार के नए आडियो माध्यम से लोगो को अवगत करवाया। रेडियो और ‘पाडकास्ट’ में अंतर ये है कि रेडियो में आडियो कार्यक्रमों को उनके प्रसारण के निर्धारित समय पर ही सुना जा सकता है यानी जिस समय कोई रेडियो स्टेशन उनका प्रसारण करे जबकि ‘पाडकास्ट’ में आडियो कार्यक्रम इंटरनेट पर उपलब्ध होते हैं जिसे हम अपनी इच्छानुसार कभी भी सुन सकते हैं, सदस्यता ले सकते हैं और डाउनलोड भी कर सकते है। आजकल तो रेडियो स्टेशन भी अपने कार्यक्रमों को ‘पाडकास्ट’ के तौर पर अपनी वेबसाइट और मोबाइल ऐप के जरिए श्रोताओं तक पहुंचा रहे हैं। यहां तक की अमिताभ बच्चन, तब्बू, नेहा धूपिया, अनुराग कश्यप और नवाजुद्दीन सिद्दीकी जैसे बड़े नाम भी इस ‘पाडकास्ट’ क्षेत्र से जुड़ चुके हैं।
विषय का चयन
‘पाडकास्ट’ बनाने के लिए रुचिकर और लोगों की पसंद के विषयों का चयन करना लाजिमी है ताकि ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोग उसे सुनें। इसके लिए किसी भी क्षेत्र से जुड़े विषय का चुनाव कर सकते हैं चाहे वो सामान्य ज्ञान पर आधारित हो, खेल, स्वास्थ्य, व्यापार, विज्ञान, आध्यात्मिक और मनोरंजन पर केंद्रित हो। बस शर्त यह है कि वो बहुत रचनात्मक हो जो लोगों में रुचि जगा सके। अलग-अलग विषयों से संबंधित दिलचस्प कहानियों पर भी ‘पाडकास्ट’ बना सकते हैं। वैसे किसी ऐसे विषय को चुनना चाहिए जिसमें आपको अच्छी जानकारी और समझ हो ताकि आप उसे रोचक तरीके से लोगों तक पहुंचा सकें जिससे आपके श्रोताओं की संख्या में इजाफा हो और आप लोकप्रियता हासिल कर सकें।

क्या हैं संभावनाएं
डिजिटल दौर में अब संचार के विभिन माध्यम जैसे अखबार, रेडियो, टीवी चैनल और संगीत आधारित मोबाइल ऐप सबने ‘पाडकास्ट’ बनाने और लोगों तक पहुंचाने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। इससे इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगो की मांग बढ़ रही है। यहां तक कि कुछ ऐसी वेबसाइट और मोबाइल ऐप भी हैं जो सिर्फ और सिर्फ ‘पाडकास्ट’ पर आधारित है। तो अगर आप रचनात्मक तरीके से कुछ लिखने में रुचि रखते हैं या फिर लिखने के साथ-साथ उसे अलग अंदाज में अपनी आवाज में रिकार्ड भी कर सकते हैं तो आपके लिए इस क्षेत्र में द्वार खुले हैं। अगर आपको आडियो रिकार्डिंग को संपादित कर उसमें संगीत और ध्वनि प्रभावों के माध्यम से रुचिकर बना सकते हैं तो भी आप इस क्षेत्र में काम कर सकते हैं । दरअसल, बहुत सारे ‘पाडकास्ट’ कार्यक्रमों में केवल रिकार्डिंग करना ही काफी नहीं हैं बल्कि उसमें विभिन्न ध्वनियों का समावेश कर उसे रुचिकर बनाना भी जरूरी है। अगर आपका बनाया ‘पाडकास्ट’ लोकप्रिय हो जाता है तो आपको इसके लिए प्रायोजक भी मिल सकते हैं।

पाडकास्टिंग’ के लिए उपकरण
कोरोना महामारी के इस दौर में ‘पाडकास्ट’ रोजगार के बड़े अनोखे अवसर लेकर आया है। चूंकि इस क्षेत्र में आप अपने घर से भी काम कर सकते हैं। इसके लिए किसी सेटअप की आवश्यकता नहीं होती। ‘पाडकास्ट’ बनाने के लिए आपको एक अच्छा माइक्रोफोन और एक कंप्यूटर या लैपटाप की जरूरत पड़ेगी जिसमें आप किसी आडियो संपादन साफ्टवेयर के माध्यम से रिकार्ड और संपादित कर सकें और साथ ही उसे सहेज कर रख सकें। एक अच्छे आवाज रिकार्डर की भी मदद ले सकते हैं। बहुत सारे ऐसे मोबाइल ऐप भी हैं जिनमें रिकार्डिंग और संपादन की सुविधा मौजूद है जिसका लाभ आप अपने स्मार्टफोन के जरिए उठा सकते हैं। आप सोशल मीडिया के जरिए भी अपने बनाए ‘पाडकास्ट’ कार्यक्रम की जानकारी लोगों तक पंहुचा सकते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग उसे सुनकर उसका फायदा ले सकें।

कहां कर सकते हैं पढ़ाई
विद्यार्थियों को यह स्पष्ट रूप से जान लेना चाहिए कि ‘पाडकास्टिंग’ की विधा विशेष के लिए तो कोई विशेष कोर्स नहीं होता। विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी मीडिया संस्थानों में रेडियो से जुड़े जो पाठ्यक्रम कराए जाते हैं, वहां वे अपनी प्रतिभा को संवार सकते हैं। कई संस्थान जनसंचार के स्नातक व स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में रेडियो प्रोडक्शन आदि से जुड़ा एक विषय पढ़ाते हैं। कुछ संस्थानों में सिर्फ रेडियो पर आधारित डिप्लोमा भी कराया जाता है। इन पाठ्यक्रम में आडियो विधा में कार्यक्रम तैयार करने की समझ विद्यार्थी अर्जित कर सकते हैं। भारतीय जनसंचार संस्थान, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, जनसंचार एवं मीडिया प्रौद्योगिकी संस्थान-कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ भी इसमें पाठ्यक्रम कराते हैं।

  • पंकज गर्ग, (शिक्षक, चितकारा विश्वविद्यालय)

Source link