KVS: केंद्रीय विद्यालय संगठन ने दो साल पहले स्कूल टाइम से अलग समय में जर्मन पढ़ाने के फैसले के कारण स्टूडेंट्स के नामांकन में भारी गिरावट आई है और लगभग 270 शिक्षकों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक जर्मन दूतावास को केंद्र सरकार के हस्तक्षेप की मांग करने के लिए मजबूर होना पड़ा। इन सरकारी स्कूलों में कक्षा 6, 7 और 8 के स्टूडेंट्स के लिए जर्मन को “हॉबी सब्जेक्ट” (ऑप्शनल) के रूप में पेश किया जा रहा है। कुछ केवी में सेकंडरी और सीनियर सेकंडरी स्टूडेंट्स भी लेंगुएज सीख सकते हैं।

29 मार्च, 2019 को, संगठन ने एक सर्कुलर जारी कर अपने स्कूलों को स्कूल टाइम से अलग समय में लेंगुएज पढ़ाने का आदेश दिया था। द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक 2018 में 369 केवी में 80,000 स्टूडेंट्स ने नामांकर कराया था। वहीं इस साल 91 केंद्रीय विद्यालय में 18,500 स्टूडेंट्स ने नामांकर कराया। वहीं केवी द्वारा नियोजित जर्मन शिक्षकों की संख्या 2018 में लगभग 350 थी जो घटकर इस साल लगभग 70 हो गई।

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सूत्रों के मुताबिक जर्मन दूतावास ने शिक्षा मंत्रालय को कम से कम दो पत्र लिखे हैं जिसमें संख्या पर हाईलाइट किया गया है और अनुरोध किया गया है कि केवी स्कूल के समय में भाषा पढ़ाएं। दूसरा पत्र कुछ महीने पहले लिखा गया था लेकिन केंद्र की ओर से अभी तक कोई आश्वासन नहीं मिला है। द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा संपर्क किए जाने पर, जर्मन दूतावास के प्रवक्ता ने 2019 के परिपत्र के बाद से जर्मन की पढ़ाई करने के लिए केवी स्टूडेंट्स की संख्या में “तेजी से गिरावट” को स्वीकार किया।

दूतावास ने एक ईमेल के जवाब में कहा, “वर्तमान में, केवल 18,500 छात्र केवी स्कूलों में जर्मन भाषा सीखने के सेशन को जारी रखने में सक्षम हैं। इसके कारण 271 जर्मन शिक्षकों की नौकरी जा चुकी है।” दूतावास ने कहा कि वह नई शिक्षा नीति, एनईपी 2020 और सीबीएसई दिशानिर्देशों के अनुसार एक रचनात्मक समाधान खोजने के लिए केवीएस और शिक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर काम कर रहा है। अंग्रेजी के ठीक बाद यूरोप में सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली भाषा जर्मन है।”

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