Success Story: सिविल सेवा की परीक्षा में सफल होकर कर्नाटक के केम्पहोन्नैयाह ने ये बता दिया है कि कोई भी परेशानी इंसान को उसका लक्ष्य पाने से नहीं रोक सकती।

IAS Success Story: यूपीएससी की परीक्षा को देश की सबसे कठिन परीक्षा माना जाता है। हर साल लाखों युवा सिविल सेवा की परीक्षा में सफल होने का सपना देखते हैं, लेकिन सफलता कुछ चंद लोगों को ही मिल पाती है। ये वही लोग हैं जो मेहनत और लगन से पढ़ाई करते हैं और हर मुश्किल का डटकर सामना करते हैं।

कर्नाटक के केम्पहोन्नैयाह की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। वह मूल रूप से कर्नाटक के तुमकुरु जिले के चौदानकुप्पे गांव के हैं। उनके माता पिता किसान थे, फिर भी उन्होंने अपने नेत्रहीन बेटे को पढ़ाई के लिए प्रेरित किया।

नेत्रहीन होने के बावजूद केम्पहोन्नैयाह ने साल 2016 में ब्रेललिपि के माध्यम से सिविल सेवा में 340वीं रैंक हासिल की और IAS बने। उनकी इस सफलता में पत्नी ने बहुत सहयोग किया है। वह उनकी पढ़ाई के लिए ऑडियो नोट्स बनाया करती थीं।

एक अभिनंदन समारोह के दौरान पत्नी की तारीफ करते हुए केम्पहोन्नैयाह ने बताया था कि अचिंता एस स्नेह किरण स्पेशल सोसाइटी मैसूरू में मानसिक दिव्यांग बच्चों को पढ़ाती हैं। सही मायनों में तो वो ही एक आईएएस अधिकारी हैं।

केम्पहोन्नैयाह ने तीसरी क्लास में अपनी आंखों की रोशनी खो दी थी। वह सरकारी ब्लाइंड स्कूल में पढ़े हैं। फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपनी तीसरी कोशिश में सिविल सेवा की परीक्षा पास की।

केम्पहोन्नैयाह के बड़े भाई शारीरिक रूप से दिव्यांग हैं। इसलिए केम्पहोन्नैयाह कहते हैं कि वह उन लोगों के लिए कुछ करना चाहते हैं, जो इस तरह की परेशानियों का सामना कर रहे हैं।




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