संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की ओर से आयोजित सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा, उस प्राथमिक प्रवेश द्वार के समान है, जहां सिविल सेवाओं में प्रवेश के इच्छुक 97-98 फीसद अभ्यर्थियों की यात्रा पूर्णत: समाप्त हो जाती है।

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की ओर से आयोजित सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा, उस प्राथमिक प्रवेश द्वार के समान है, जहां सिविल सेवाओं में प्रवेश के इच्छुक 97-98 फीसद अभ्यर्थियों की यात्रा पूर्णत: समाप्त हो जाती है। 200-200 अंकों के दो प्रश्न पत्र, इस परीक्षा के करीब पांच-छह लाख उम्मीदवारों का भाग्य निर्धारण करते हैं। दोनों ही प्रश्न पत्रों में वस्तुनिष्ठ प्रकार के बहुविकल्पीय प्रश्न अंतर्विष्ट होते हैं। पर जहां प्रश्न पत्र-दो (अभियोग्यता परख प्रश्न पत्र), मात्र एक अर्हक विषय रह गया है, सफल-विफल प्रतिभागियों का चयन प्रश्न पत्र एक में अर्जित अंकों के माध्यम से किया जाता है।
प्रश्न पत्र एक की रूपरेखा
विषय बोध की परख करने वाला यह प्रश्न पत्र ‘सामान्य अध्ययन’ प्रश्न पत्र एक के नाम से औपचारिक रूप से जाना जाता है। इसके पाठ्यक्रम में इंगित विषय, स्नातक स्तर के होते हैं। इसमें दो घंटे की अवधि में सौ प्रश्नों का उत्तर देना अपेक्षित होता है। जहां सही उत्तर दो अंक प्रदान करता है, वहीं एक गलत जवाब के लिए सवाल का एक तिहाई अंक (0.83 अंक) काटे जाने का प्रावधान है। प्रश्न मात्र विषय निहित ज्ञान की परख नहीं करते परंतु उसकी मौलिक समझ और उस ज्ञान के अनुप्रयोग को भी आंकते हैं।

तो क्या यह समझा जाए कि इन विषयों का अध्ययन किए एक उम्मीदवार के लिए इस प्रश्न पत्र से पार पाना सरल ही होगा? अगर ऐसा होता तो इस परीक्षा को सर्वाधिक दुष्कर परीक्षाओं में क्यों माना जाता। अभ्यर्थियों की पहली चुनौती है अनेक विषयों का अध्ययन। प्रश्न पत्र-एक के पाठ्यक्रम में अंतर्विष्ट विषय हैं; भारतीय इतिहास एवं राष्ट्रीय आंदोलन, भारत एवं विश्व भूगोल, भारतीय राजतंत्र एवं प्रशासन, आर्थिक व सामाजिक विकास, पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, सामान्य विज्ञान और राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएं। प्रत्येक विषय की व्यापकता इस परीक्षा की अगली चुनौती है।

अगर पहले विषय का ही हम उदाहरण लें तो इसमें आता है भारत वर्ष का 4,000 सालों का इतिहास और प्रश्न इस अति विस्तृत विषय के किसी कोने से भी हो सकते हैं। और यह तो उन उल्लेखित सात विषयों में से एक ही है जिसकी समुचित तैयारी उम्मीदवार से अपेक्षित है। अंतिम चुनौती है प्रश्नों की प्रकृति, जो सरल तो कदापि नहीं कही जा सकती। अगर अभ्यर्थी यह सोच रहे हैं कि प्रश्न मात्र जानकारी पर आधारित होंगे तो वह एक मुगालते में हैं। ‘अमुक युद्ध कब हुआ’, जैसे प्रश्न की तो अपेक्षा ही न करें। हां, अमुक युद्ध के सामाजिक व सांस्कृतिक परिणामों से संबंधित विषय पर शायद कोई सवाल बन सके। तो फिर इन चुनौतियों से कैसे पार पाया जाए और प्रारंभिक परीक्षा 2021 के बचे लगभग 15-16 दिनों का बेहतर उपयोग किस प्रकार हो?
सफलता का सोपान
हर प्रत्याशी की कुछेक खास विषायों के प्रति अभिरुचि होती है। किसी को भूगोल के प्रति झुकाव है तो कोई समसामयिक विषयों का अच्छा जानकार होता है। पर परीक्षा में प्रश्न सभी विषयों से आते हैं और आमतौर पर प्रत्येक मुख्य विषय (जैसे इतिहास, भूगोल आदि) से 12-15 सवाल आते ही हैं। अत: अपनी नैसर्गिक रुझान के अनुरूप नहीं बल्कि मुख्य विषयों की व्यापकता और आवश्यकता के अनुसार इनकी पढ़ाई में समय लगाना उचित है। जिन विषयों पर पकड़ कमजोर हो उन विषयों पर अधिक समय अवश्य दें। यह ध्यान रखें कि हर विषय और हर प्रश्न अनिवार्य है। उनसे किसी प्रकार बच निकलने के लिए प्रश्नों में विकल्प तो होता ही नहीं है। अत: एक विषय के कमजोर होने का तात्पर्य है, उससे संबंधित सवालों का छूटना या उससे भी बुरा, गलत विकल्पों का चयन करना और नकारात्मक अंक झेलना।
विगत वर्षों के प्रश्नों का विश्लेषण
पर जहां विषय ही इतने व्यापक हों और पाठन के लिए हजारों पन्नों की पुस्तकें और अन्य पठन सामग्री हो, तो इनसे पार कैसे पाया जाए? इसका समाधान है विगत वर्षों के प्रश्नों का विश्लेषण और हर मुख्य विषयों में कुछ अधिकतम महत्त्वपूर्ण उप-विषयों का चयन। अगर भारतीय इतिहास को ही लें, तो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, हड़प्पा सभ्यता, वैदिक संस्कृति, महाजनपदों का उभरना, बौद्ध व जैन धर्मों का प्रादुर्भाव, भक्ति एवं सूफी आंदोलन, मुगल काल, मंदिर वास्तुकला, समाज सुधार आंदोलन आदि कुछ ऐसे चुनिंदा उपविषय हैं जहां से सवाल अक्सर आते हैं। ठीक इसी प्रकार भारतीय स्वतंत्रता संग्राम जैसे व्यापक विषय को भी कुछ अति महत्त्वपूर्ण विषयों में बांटा जा सकता है।

भारतीय राजतंत्र और प्रशासन के कुछ महत्त्वपूर्ण उपविषय हैं; हमारा संविधान, संसद व संसदीय प्रणाली, राष्ट्रपति अधिकार, कार्यक्षेत्र व दायित्व, प्रधानमंत्री व मंत्रिपरिषद अधिकार व कार्यक्षेत्र, सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय अधिकार व कार्यक्षेत्र, संवैधानिक संस्थाएं आदि। आर्थिकी में तो उन विषयों पर खास ध्यान देना चाहिए जो पिछले छह महीने से चर्चा में बने हुए हैं। अभ्यार्थियों की पैनी नजर हमेशा अखबारों और पत्रिकाओं पर बनी रहनी चाहिए क्योंकि न केवल समसामयिक विषयों की उनसे जानकारी मिलती है परंतु विज्ञान, आर्थिकी, पर्यावरण, संस्कृति, भारतीय राजतंत्र व अन्य क्षेत्रों में भी परीक्षा की दृष्टिकोण से क्या आवश्यक है, यह चिन्हित होता है।
अंतिम दो सप्ताह
परीक्षा पूर्व के अंतिम कुछेक दिनों में, पढ़े हुए विषयों का पुनरावलोकन अत्यंत ही आवश्यक है। जो पाठ अभ्यर्थी दुहरा पाते हैं, अकसर उन्हीं से संबंधित सवालों का सही उत्तर दे पाते हैं। जितना हो सके उतने अभ्यास प्रश्न पत्र जरूर हल करें। ध्यान रखें कि यह प्रश्न पत्र दो घंटे में ही हल किए जाए और उनमे 100 उम्दा सवाल हों। इस प्रश्न पत्रों में प्राप्त अंकों पर भी नजर रखें। एक सामान्य वर्ग के प्रतिभागी को सफलता के लिए औसतन 100 से 110 अंकों की आवश्यकता पड़ती है। अच्छी वेबसाइट और संस्थानों द्वारा जारी की गई आॅनलाइन परीक्षा शृंखला की भी मदद ली जा सकती है।

  • मधुकर कुमार भगत (आयकर आयुक्त और लेखक)

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