यह भी बताया गया कि भर्ती के लिए यह पॉलिसी 21 दिसंबर, 2021 को मंजूरी की तारीख से प्रभावी होगी।

भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India : SBI) ने गर्भवती महिला कैंडिडेट्स के लिए भर्ती नियमों में फेरबदल कर दिया है। सार्वजानिक क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक के मुताबिक, नए नियमों के तहत नई भर्ती में तीन महीने से अधिक प्रेग्नेंट महिला उम्मीदवारों को ‘अस्थाई तौर पर अयोग्य’ समझा जाएगा। वे प्रसव के बाद चार महीने के अंदर बैंक में शामिल हो सकती हैं।

एसबीआई ने नई भर्तियों या प्रमोटेड (पदोन्नत) लोगों के लिए अपने ताजा मेडिकल फिटनेस दिशा-निर्देशों में बताया कि तीन महीने के समय से कम गर्भवती महिला कैंडिडेट्स को ‘फिट’ माना जाएगा। बैंक की ओर से 31 दिसंबर, 2021 को जारी फिटनेस से जुड़े मानकों में कहा गया था कि गर्भावस्था के तीन महीने से ज्यादा होने पर महिला कैंडिडेट को अस्थाई तौर पर अयोग्य करार दिया जाएगा। ऐसे में उन्हें बच्चे के जन्म के बाद चार महीने के अंदर शामिल होने की मंजूरी दी जा सकती है।

यह भी बताया गया कि भर्ती के लिए यह पॉलिसी 21 दिसंबर, 2021 को मंजूरी की तारीख से प्रभावी होगी, जबकि प्रमोशन के मामले में संशोधित मानक 1 अप्रैल, 2022 से लागू होंगे। इससे पहले, छह महीने तक की गर्भावस्था वाली महिला कैंडिडेट्स को कई शर्तों के तहत बैंक में शामिल होने की अनुमति थी। इन शर्तों में एक विशेषज्ञ स्त्री रोग विशेषज्ञ से सर्टिफिकेट लेकर पेश करना शामिल है कि उस स्तर पर बैंक की नौकरी लेने से उसकी गर्भावस्था या भ्रूण के सामान्य विकास में किसी तरह हस्तक्षेप की आशंका नहीं है या उसके गर्भपात या फिर उसकी तबीयत पर असर पड़ने की आशंका नहीं है।

वैसे, एसबीआई के इस ताजा कदम की बैंक स्टाफ और अखिल भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया एम्प्लॉइज एसोसिएशन (All India State Bank Of India Employees’ Association) सहित कुछ संगठनों ने आलोचना की है। ताजा दिशा-निर्देशों पर टिप्पणी मांगने के लिए एसबीआई को भेजे गए एक ई-मेल का तत्काल कोई जवाब नहीं मिला है।

अखिल भारतीय स्टेट बैंक कर्मचारी संघ के महासचिव के एस कृष्णा ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया- यूनियन ने एसबीआई प्रबंधन को पत्र लिखकर इन दिशा-निर्देशों को वापस लेने का आग्रह किया है। बैंक की ओर से प्रस्तावित संशोधन मौलिक रूप से नारीत्व के खिलाफ है। प्रस्तावित संशोधन असंवैधानिक होगा, क्योंकि यह गर्भावस्था को एक बीमारी/विकलांगता के रूप में मानते हुए महिलाओं के साथ भेदभाव करता है।

इस बीच, भाकपा (CPI) के राज्यसभा सदस्य बिनॉय विश्वम ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को इस बाबत चिट्ठी लिखी है। उन्होंने इस खत के जरिए गर्भवती महिलाओं की भर्ती के लिए दिशा-निर्देशों से जुड़े एसबीआई के मेडिकल फिटनेस सर्कुलर को फौरन वापस लेने की मांग की है। साथ ही कहा है, “यह महिलाओं के अधिकारों को कमजोर करता है।”




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