बाबा रामदेव का व्यापार इतना बड़ा हो गया है कि पतंजलि भारतीय उपमहाद्वीप के अलावा मध्य पूर्व में भी अपना कारोबार फैला चुकी है। जिससे, करीब 8000 करोड़ रुपये का सालाना कारोबार होता है। हालांकि, कंपनी ने कभी अपना शुद्ध लाभ नहीं बताया। लेकिन साल 2018-19 में, पतंजलि आयुर्वेद ने अकेले 8,329 करोड़ रुपए के राजस्व की रिपोर्ट के बारे में बताया था। यहां तक कि, द ब्रांड ट्रस्ट रिपोर्ट के मुताबिक पतंजलि 2018 तक भारत के सबसे भरोसेमंद ब्रांडों की सूची में 13वें स्थान और एफएमसीजी श्रेणी में पहले स्थान पर था। लेकिन क्या आप जानते हैं करोड़ों में व्यापार करने वाले रामदेव असल में 8वीं कक्षा तक ही स्कूल गए हैं।
दरअसल, रामकिशन यादव यानी योगगुरु बाला रामदेव, 25 दिसंबर 1965 को हरियाणा महेंद्रगढ़ जिले के सैद अलीपुर में (उस वक्त पूर्वी पंजाब) जन्मे स्वामी रामदेव बाबा को आज विश्वभर में योगगुरु और एक बड़े व्यापारी के तौर पर जाना जाता है। करोड़ों की संपत्ति के मालिक रामदेव बाबा के पिता राम निवास यादव एक किसान हैं। आज करोड़ों रुपए कमाने वाले बाबा सिर्फ 8वीं कक्षा तक पढ़ें हैं। बाबा रामदेव के मुताबिक, इसी दौरान उन्हें शरीर के बाएं हिस्से में लकवा मार गया था जिसके ठीक होने में योग काम आया। हालांकि, इसके बाद भी उन्होंने पढ़ना नहीं छोड़ा था। वे 8वीं क्लास के बाद गुरुकुल से संस्कृत व्याकरण, वेद और उपनिषदों की शिक्षा हासिल की थी। अशोक राज की लिखी पुस्तक ‘द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ बाबा रामदेव’ के मुताबिक, यही वो समय था जब वे आध्यात्म की ओर आकर्षित हुए। अपना घर छोड़कर रेवाड़ी में आचार्य बलदेव के आश्रम में पहुंचे और अपना नाम स्वामी रामदेव रखा था।
बता दें कि इन दिनों बाबा रामदेव अपने करीबी आचार्य बालकृष्ण की वजह से चर्चा में हैं। आचार्य बालकृष्ण ने खाद्य तेल कंपनी रूचि सोया के मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) पद से इस्तीफा दे दिया है। वह 19 अगस्त से तत्काल प्रभाव से कंपनी के गैर कार्यकारी स्वतंत्र निदेशक बन गए हैं। इस्तीफे के पीछे, बालकृष्ण ने अन्य कामों में व्यस्तता बताई है।
वहीं दूसरी ओर खबर ये भी है कि जून तिमाही के नतीजों की घोषणा में पतंजलि ग्रुप की कंपनी रुचि सोया का मुनाफा 13 फीसदी घटकर 12.25 करोड़ रुपए रहा जो एक साल पहले 14.01 करोड़ रुपए था। जून तिमाही में कंपनी की कुल आय गिरकर 3057.15 करोड़ रुपए रह गई जो पिछले साल समान तिमाही में 3125.65 करोड़ रुपए थी। बाबा रामदेव की अगुवाई वाली पतंजलि समूह ने एक दिवाला प्रक्रिया के माध्यम से खाद्य तेल कंपनी रूचि सोया का अधिग्रहण किया था।
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