आईआईटी में स्टूडेंट्स के एडमिशन और फैकल्टी के रिक्रूटमेंट में आरक्षण के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सुझाव देने के लिए सरकार द्वारा नियुक्त आठ सदस्यीय समिति ने सिफारिश की है कि 23 इंजीनियरिंग स्कूलों को सीईआई (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण) अधिनियम, 2019 के तहत आरक्षण से छूट दी जानी चाहिए, और विशिष्ट कोटा की बजाए आउटरीच अभियानों और फैकल्टी रिक्रूटमेंट के माध्यम से विविधता के मुद्दों को संबोधित किया जाना चाहिए। एचआरडी मंत्रालय को सौंपी गई समिति की पांच पेज की रिपोर्ट, जिसे अब शिक्षा मंत्रालय का नाम दिया गया है, 17 जून को उत्तर प्रदेश में दायर एक आवेदन के माध्यम से सूचना के अधिकार के तहत बुधवार को उपलब्ध कराई गई थी।

इस समिति की अध्यक्षता आईआईटी दिल्ली के निदेशक वी. रामगोपाल राव ने की थी और इसमें आईआईटी कानपुर के निदेशक अभय करंदीकर, सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के सचिवों, जनजातीय मामलों, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के प्रतिनिधियों, विकलांग व्यक्तियों और आईआईटी बॉम्बे और आईआईटी मद्रास के रजिस्ट्रार इसके अन्य सदस्यों के रूप में थे।

समिति द्वारा की गई सिफारिशों के दो सेटों में से एक में कहा गया है कि केंद्रीय शैक्षिक संस्थानों (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण) अधिनियम 2019 की अनुसूची में उल्लिखित आईआईटी को “उत्कृष्टता के संस्थानों” की लिस्ट में जोड़ा जाना चाहिए। सीईआई अधिनियम के क्लॉज-4 के तहत, उत्कृष्ट संस्थानों, अनुसंधान संस्थानों और राष्ट्रीय और सामरिक महत्व के संस्थानों को जाति-आधारित आरक्षण देने से छूट दी गई है।

अभी आठ संस्थान इस क्लॉज के तहत सूचीबद्ध हैं जिसमें टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (मुंबई), गुड़गांव स्थित नेशनल ब्रेन रिसर्च सेंटर, नॉर्थ-ईस्टर्न इंदिरा गांधी रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड मेडिकल साइंस (शिलांग), जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस साइंटिफिक रिसर्च (बेंगलुरू), अहमदाबाद स्थित फिजिकल रिसर्च लैबोरेटरी, तिरुवनंतपुरम स्थित स्पेस फिजिक्स लैबोरेटरी, देहरादून का इंडियन इस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग और मुंबई स्थित होमी भाभा राष्ट्रीय संस्थान और इससे जुड़ी सभी इकाइयां शामिल हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘संसद के एक अधिनियम के तहत राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में स्थापित और मान्यता प्राप्त होने के नाते आईआईटी को आरक्षण से छूट के लिए सीईई (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण) अधिनियम 2019 के तहत (क्लॉज-4) सूचीबद्ध होना चाहिए। इन संस्थानों के कर्तव्यों और उनकी एक्टिविटी के नेचर को ध्यान में रखते हुए लिस्ट में आईआईटी को शामिल करने के लिए इस पर तुरंत पुनर्विचार किया जाना चाहिए। इन संस्थानों में आरक्षण का मामला बोर्ड के प्रस्तावों, संविधान और उपनियमों के अनुसार निपटाने के लिए उनके संबंधित बोर्ड ऑफ गवर्नर्स पर छोड़ा जा सकता है। ”

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