संघ लोक सेवा आयोग के सिविल सर्विसेज एग्जाम (UPSC Civil Service Exam) को देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है। कड़ी मेहनत और लगन के बूते ही परीक्षा में सफलता संभव है। 30 मई को घोषित यूपीएएसी के रिजल्ट में सफल तमाम अभ्यर्थियों की कहानी बेहद दिलचस्प है। किसी ने आर्थिक तंगी के बावजूद हार नहीं मानी, तो किसी ने व्यक्तिगत परेशानियों के बावजूद अपना लोहा मनवाया।

ऐसी ही कहानी दिल्ली के रहने वाले सम्यक जैन (Samyak Jain) की है, जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से यूपीएससी की परीक्षा पास की और ऑल इंडिया AIR 7वीं रैंक भी हासिल की है। उनके आईएएस अफसर (IAS Officer) बनने का रास्ता साफ हो गया। आइए जानते हैं उनके बारे में-

लॉकडाउन दौरान देखा यूपीएससी का सपना

जनसत्ता डॉट कॉम से बातचीत के दौरान सम्यक जैन ने बताया कि वह बचपन से पढ़ाई में अच्छे थे। उनकी शुरुआती स्कूलिंग सामान्य रही। देश भर में मार्च 2020 में जब प्रधानमंत्री ने कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन की घोषणा की तब सम्यक के मन में यूपीएससी की परीक्षा में शामिल होने का विचार आया। पहले प्रयास में असफल रहे। लेकिन इस बार दूसरे प्रयास में सफलता पाकर वह बेहद खुश हैं। सम्यक कहते हैं, “मैंने सपने में भी नहीं सोच सकता था मेरी सिंगल डिजिट में इतनी अच्छी रैंक आएगी। इस परीक्षा के बारे में मैंने जितना सोचा था, मुझे उससे ज्यादा मिला।”

ग्रेजुएशन के दौरान चली गई थी आंख की रोशनी

दिल्ली के शाहदरा में जन्में सम्यक ने बताया कि साइंस से 12वीं के बाद उन्होंने ग्रेजुएशन में बीटेक (कंप्यूटर साइंस) में दाखिला लिया। फर्स्ट ईयर के दौरान उनकी आंख में परेशानी हुई और जब जांच कराया तो मैकुलर डिजनरेशन (Macular Degeneration) का पता चला। यह एक जेनेटिक बीमारी है, हालांकि मेरे परिवार में दूर-दूर तक किसी को नहीं था। सबसे बड़ी बात की इसका कोई इलाज नहीं था; जब धीरे धीरे समस्या बढ़ी तो पढ़ाई छोड़ने का निर्णय लिया। चूंकि कॉलेज भी इतना सपोर्टिंग नहीं था, इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में ओपन से इंग्लिश ऑनर्स से बीए किया।

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बीए के दौरान पत्रकारिता में जगी रुचि, JNU ने आईएएस बनने का दिया हौसला

सम्यक कहते हैं कि ग्रेजुएशन के दौरान ही कुछ दोस्तों ने बताया कि अगर पढ़ने-लिखने में रुचि है तो इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन (IIMC) से पत्रकारिता कर लो। फिर वे इंग्लिश जर्नलिज्म में पीजी डिप्लोमा करने के लिए यहां चले आए। आईआईएमसी से पढ़ाई पूरी करने के बाद वह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से इंटरनेशनल रिलेशन में मास्टर डिग्री हासिल करने चले गए और यहीं से यूपीएससी का सफर शुरू हुआ। उन्होंने यूपीएससी में राजनीति विज्ञान और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को ऑप्शनल सब्जेक्ट के रूप में लिया।

परिवार और दोस्तों का मिला साथ और सपना हुआ साकार

सम्यक के माता-पिता दोनों एयर इंडिया के लिए काम करते हैं। वह अपनी मां के साथ रहते हैं। पिता फ्रांस में कंट्री मैनेजर हैं और पेरिस में पोस्टेड हैं। उन्होंने बताया कि मेरी दीदी पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के लिए अमेरिका गईं तो पिता जी का कहना था कि तुम भी वहीं चले जाओ। अमेरिका में तुम्हारे लिए अच्छा स्कोप होगा। सम्यक कहते हैं, जब वह शुरुआती दिनों में ठीक थे, तो उन्होंने देखा कि देश में करने के लिए बहुत कुछ है। देश के लोगों के लिए अच्छी सुविधाओं की जरूरत है। ऐसे में उन्होंने तय किया कि वह देश में ही रहेंगे और जो कुछ भी करेंगे यही से करेंगे।

प्रीलिम्स में मां और मेंस में दोस्त ने लिखा था पेपर

दृष्टिबाधित होने के कारण वह पीडब्ल्यूडी श्रेणी में आते हैं। सम्यक ने बताया कि मेरी कॉपी लिखने के लिए मुझे एक राइटर की जरूरत होती थी, ऐसे में मेरी मां मेरा साथ दिया। ग्रेजुएशन से लेकर यूपीएससी तक की परीक्षा मेरी मां ने लिखा है। यूपीएससी प्रीलिम्स परीक्षा में राइटर, मेरी मां बनीं थी और मेंस में मेरी एक दोस्त ने पेपर लिखा था। उन्होंने कहा कि वह ऐसे सहयोगी माता-पिता और दोस्तों को पाकर धन्य हैं।

सम्यक जैन ने कहा कि हमारे देश में विकास और सुधार के लिए जो भी पॉलिसी यानि नीति बन रही है, वह काफी बढ़िया है, लेकिन मुझे महसूस होता है कि पॉलिसी को ढंग से इम्प्लीमेंट नहीं किया जाता। मैं इस मुद्दे पर फोकस करना चाहूंगा। इसके साथ- साथ मैं गर्ल चाइल्ड एजुकेशन और महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दों पर काम करना चाहूंगा

‘आईएएस बनने के लिए खुद को कम न समझें’

सम्यक जैन यूपीएससी की तैयारी कर रहे छात्रों को सलाह देते हुए कहते हैं कि सबसे पहले पॉज़िटिव रहना सीखें, कोई भी अपने आप में कम नहीं है। हमेशा विश्वास रखें कि आपके लिय कुछ भी मुश्किल नहीं है। बस ध्यान रहे कि उसमें निरंतरता बनाए रखें। हमेशा अपना मूल्यांकन करते रहें, मॉक टेस्ट का विकल्प चुनें।

लोगों को लगता है कि यूपीएससी के बहुत सारे अटेम्पट हैं, सामान्य वर्ग के लिए भी 6 अटेम्प्ट हैं। लोग हमेशा इस ख्याल में रहते हैं कि इस बार नहीं तो अगली बार जरूर पास कर लेंगे, लेकिन मुझे लगता है कि पेंच यहीं फंस रहा है। जबकि सोचना चाहिए कि यही के एक मात्र प्रयास है, इसी में मुझे लक्ष्य को हासिल करना है।




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