UPSC: ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद श्वेता ने एमबीए किया और फिर एक अच्छी कंपनी में नौकरी भी शुरू कर दी थी

UPSC: श्वेता अग्रवाल एक बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखती हैं। बचपन से ही उनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी और परिवार में भी पढ़ाई लिखाई का ज्यादा माहौल नहीं था। वहीं, श्वेता के माता-पिता की सोच एकदम अलग थी। ‌उन्होंने हमेशा ही अपनी बेटी को बेहतर शिक्षा देने का प्रयास किया। इस दौरान उन्हें कई कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ा था लेकिन श्वेता ने माता पिता के संघर्ष को समझा और मन लगाकर पढ़ाई की। श्वेता ने कक्षा 12वीं में अपने स्कूल में भी टॉप किया था। इसके बाद उन्होंने सेंट जेवियर्स कॉलेज से इकोनॉमिक्स में बैचलर्स की डिग्री हासिल की और साथ ही कॉलेज टॉपर भी बनीं।

ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद श्वेता ने एमबीए किया और फिर एक अच्छी कंपनी में नौकरी भी शुरू कर दी थी। श्वेता ने नौकरी ज्वाइन तो कर ली थी लेकिन वह इससे संतुष्ट नहीं थी। बचपन से ही खाकी वर्दी से प्रभावित श्वेता ने फिर सिविल सेवा के क्षेत्र में जाने का मन बना लिया था। लंबे संघर्ष के बाद मिली इस नौकरी को छोड़ना एक बहुत बड़ा फैसला था लेकिन अपने सपने को हकीकत में बदलने के लिए श्वेता ने इस नौकरी को भी ठोकर मार दी थी।

UP Police Constable Recruitment 2021: 25 हजार सिपाहियों की भर्ती के लिए जल्द आ सकता है नोटिफिकेशन, जानें अपडेट

श्वेता सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने के लिए अपने घर वापस आ गई थीं लेकिन इस दौरान उन पर शादी करने का दबाव बनाया जाने लगा था। श्वेता ने अपने माता-पिता से बात की और तैयारी के लिए कुछ वक्त मांगा। इसके बाद श्वेता ने घर से थोड़ी दूर पर एक कमरा लिया और यूपीएससी एग्जाम की तैयारी के लिए कोचिंग ज्वाइन कर ली थी। हालांकि, कुछ समय बाद उन्होंने सेल्फ स्टडी करने का मन बना लिया था। मजबूत इच्छाशक्ति और कठिन परिश्रम से श्वेता ने तीन बार इस कठिन परीक्षा में सफलता प्राप्त की लेकिन सिर्फ आईएएस ‌ का पद प्राप्त करने के लिए वह लगातार प्रयास करती रहीं। आखिरकार, साल 2016 में श्वेता ने 19वीं रैंक प्राप्त की और साथ ही आईएएस का पद भी हासिल किया।

UPSC: आकाश बंसल ने तीनों ही प्रयास में पाई सफलता लेकिन आखिर में ऐसे मिला आईएएस का पद

श्वेता ने इस कामयाबी को हासिल करने के लिए लगभग 5 साल मेहनत की थी। वह दिन में 9 घंटे पढ़ाई किया करती थीं। यूपीएससी एग्जाम की तैयारी के साथ ही उन्हें लोगों के तानों का भी सामना करना पड़ता था। हालांकि, किसी और की बात से प्रभावित होने की जगह ‌उन्होंने केवल अपने मन की सुनी और प्रयास करती रहीं तब जाकर उनका सपना साकार हुआ।


Source link