संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी में इस साल चालीस फीसदी अधिक मुस्लिम उम्मीदवार चयनित हुए हैं। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने बताया कि इस वर्ष कुल 40 मुस्लिम उम्मीदवारों ने यूपीएससी की परीक्षा पास की है जो पिछले साल के मुकाबले चालीस फीसदी अधिक है। पिछले साल 28 मुस्लिम उम्मीदवारों ने ये परीक्षा पास की थी। फीसदी के मामले में मुस्लिम उम्मीदवारों का प्रदर्शन इस साल थोड़ा बेहतर रहा है। हालांकि घोषित हुए साल 2019 के परीक्षा परिणामों में मुस्लिम उम्मीदवार का कुल प्रतिशत करीब चार फीसदी ही रहा।

मुस्लिम उम्मीदवार साल 2016 से यूपीएसी में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। उसके पहले के सालों में कुल उम्मीदवारों में मुस्लिम उम्मीदवारों के सफल होने का प्रतिशत सिर्फ 2.5 फीसदी रहा। हालांकि साल 2016 में मुस्लिम उम्मीदवारों ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए जब 50 उम्मीदवार यूपीएससी में चुने गए। इनमें से दस उम्मीदवारों ने टॉप में 100 में जगह बनाई।

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अल्पसंख्यक मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि पिछले चार वर्षों में मुस्लिम उम्मीदवारों के प्रदर्शन में काफी सुधार हुआ है। अल्पसंख्यक मामलों के एक सदस्य ने इसे एक बड़ी उपलब्धि बताया, क्योंकि हाल तक मुस्लिम उम्मीदवारों के सफल होने का प्रतिश महज 2.5 था। एक रिपोर्ट के मुताबिक चुने गए कुल 40 मुस्लिम उम्मीदवारों में से 27 सिर्फ जकात फाउंडेशन से जुड़े थे।

यूपीएससी परीक्षा में मुस्लिमों के बेहतर प्रदर्शन पर कांग्रेस नेता मिलिंद देवरा ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सोमवार (10 अगस्त, 2020) को ट्वीट कर कहा कि सिविल सर्विस परीक्षा में मुस्लिमों उम्मीदवारों की चालीस फीसदी बढ़ोतरी के बारे में सुना। ट्वीट में आगे कहा गया, ‘सिविल सेवा में शामिल होने की चाह रखने वाले मुंबई के जरुरतमंद मुस्लिम युवाओं को ट्यूशन देने की मेरी 2009-10 की पहल अभी भी हज हाउस में चालू है।’

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