पढ़ाई में औसत रहे जुनैद अहमद ने जब यूपीएससी की तैयारी करने की ठानी तो कई लोगों ने यह कहकर मजाक उड़ाया कि औसत छात्र कभी आईएएस नहीं बन सकता है।

UPSC ने CSE एग्जाम 2022 के लिए तारीखों की घोषणा कर दी है। ऐसे में कैंडिडेट्स ने अपनी तैयारी भी तेज कर दी है। यूपीएससी एग्जाम में हर साल लाखों बच्चे अपनी किस्मत आजमाते हैं, लेकिन सफलता चुनिंदा अभ्यर्थियों को ही मिल पाती है। भारतीय समाज में यूपीएससी को लेकर कई अफवाहें भी हैं जैसे कि इस परीक्षा को सिर्फ वे ही अभ्यर्थी पास कर सकते हैं जो काफी तेज तर्राक हों। हालांकि हर साल कई लोग इस अफवाह को गलत साबित करते हैं और इस परीक्षा को पास करते हैं जो पढ़ाई में कभी औसत रहे हैं। ऐसी ही कहानी साल 2019 की यूपीएससी परीक्षा में तीसरी रैंक प्राप्त करने वाले जुनैद अहमद की है।

जुनैद अहमद का ताल्लुक उत्तरप्रदेश के बिजनौर के एक मध्यमवर्गीय परिवार से है। जुनैद की प्रारंभिक शिक्षा बिजनौर में ही हुई। वे बचपन में पढ़ाई में काफी औसत थे। उन्होंने दसवीं और 12वीं की परीक्षा में भी करीब 60 फीसदी अंक ही हासिल किए। इसके बाद उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इसमें भी उन्हें लगभग 65 फीसदी अंक ही हासिल हुए। इंजीनियरिंग के बाद जब उन्होंने यूपीएससी की तैयारी करने की ठानी तो कई लोगों ने यह कहकर मजाक उड़ाया कि इतने कम अंकों से पास करने वाला कभी आईएएस नहीं बन सकता है।

हालांकि समाज के तानों का कोई असर जुनैद पर नहीं पड़ा। जुनैद बेहद लगन और मेहनत के साथ यूपीएससी की तैयारी में जुटे रहे। तैयारी के दौरान वे हर रोज कम से कम 10 घंटे पढ़ाई किया करते थे। जुनैद सुबह जल्दी उठकर पढ़ाई किया करते थे। उन्होंने यूपीएससी की तैयारी के लिए जामिया रेजिडेंशियल कोचिंग ज्वाइन कर ली। कोचिंग में पढ़ने के साथ ही जुनैद सेल्फ स्टडी पर भी काफी जोर दिया करते थे।

शुरूआती तीन प्रयास में जुनैद अहमद को सफलता नहीं मिली। लेकिन इसके बावजूद जुनैद ने हार ने नहीं मानी। आख़िरकार चौथे प्रयास में जुनैद अहमद को 352वीं रैंक हासिल हुई और वे भारतीय राजस्व सेवा के लिए चुने गए। लेकिन जुनैद तो आईएएस बनना चाहते थे। इसलिए उन्होंने एक और अटेम्प्ट देने की ठानी। भारतीय राजस्व सेवा की ट्रेनिंग लेते हुए ही उन्होंने यूपीएससी की फिर से परीक्षा दी और उन्होंने अपने पांचवें प्रयास में सफलता का कीर्तिमान रच दिया। जुनैद को पांचवें प्रयास में तीसरी रैंक हासिल हुई। कई सालों के संघर्ष के बाद अंततः जुनैद ने वह कर दिखाया जो उन्होंने ठाना था।


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