UPSC: गीतांजलि ने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से बैचलर्स की डिग्री प्राप्त की है।

UPSC: सिविल सेवा परीक्षा के लिए टॉपर्स की रणनीति आमतौर पर एक सी होती है लेकिन गीतांजलि शर्मा ने थोड़ी अलग स्ट्रेटजी अपनाई और सफलता हासिल की। आज हम यहां उनकी इसी रणनीति की बात करेंगे लेकिन सबसे पहले उनकी पढ़ाई लिखाई से शुरुआत करते हैं। गीतांजलि के पिता नेवी मे थे और उनकी माता डीआरडीओ में साइंटिस्ट थीं। इस वजह से उन्होंने देश के विभिन्न शहरों में रहकर स्कूली शिक्षा प्राप्त की है। फिर गीतांजलि ने दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से बैचलर्स की डिग्री प्राप्त की है। ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने सिविल सेवा क्षेत्र में जाने का मन बना लिया था।

गीतांजलि ने साल 2016 में सिविल सेवा परीक्षा का पहला अटेम्प्ट दिया था। ठीक तरह से तैयारी न होने के कारण वह प्रीलिम्स परीक्षा भी पास नहीं कर पाई थीं। पहले प्रयास के बाद गीतांजलि ने एक साल का ब्रेक लिया और इस दौरान कोचिंग भी ज्वाइन कर ली। फिर उन्होंने साल 2018 में यूपीएससी परीक्षा का दूसरा अटेम्प्ट दिया था। इस बार उन्होंने परीक्षा तो पास कर ली थी लेकिन उनके मार्क्स संतोषजनक नहीं थे। गीतांजलि ने दो प्रयासों में हुई गलतियों और अपनी कमजोरियों पर अच्छी तरह काम किया और आखिरकार साल 2019 में सिविल सेवा परीक्षा के तीसरे प्रयास में 32वीं रैंक प्राप्त कर मनचाहा पद हासिल किया था।

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गीतांजलि की सिविल सेवा परीक्षा स्ट्रेटजी की बात करें तो उनका मानना है कि किसी विषय पर अच्छी पकड़ बनाने के लिए केवल सीमित किताबों से पढ़ने की जगह विभिन्न सोर्स से जानकारी इकट्ठा करें। इसके साथ ही नियमित रूप से रिवीजन करते रहना भी बेहद आवश्यक है। उनके अनुसार सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए मॉक टेस्ट जरूरी है लेकिन इसके पीछे ज़रूरत से ज़्यादा समय नहीं देना चाहिए।

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गीतांजलि का मानना है कि इस कठिन परीक्षा की तैयारी कर रहे लोगों को अपनी क्षमता के अनुसार टाइम टेबल तैयार करना चाहिए। हालांकि, पढ़ाई के दौरान ब्रेक लेना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। सही रणनीति, कठिन परिश्रम और सकारात्मक सोच के साथ की गई तैयारी से सफलता मिलना निश्चित है।


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