दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) अपने कुलपति की बर्खास्तगी प्रकरण से अभी उभरा नहीं कि एक और प्रकरण उसकी साख को बट्टा लगाने को तैयार है। यह मसला दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित कॉलेज दिल्ली कॉलेज आफ आर्ट्स एंड कॉमर्स (डीसीएसी) का है। सूत्रों के मुताबिक कॉलेज और विश्वविद्यालय की गलती के कारण यहां इस साल दाखिला लेने वाले कम से कम 75 विद्यार्थियों का भविष्य दाव पर लग गया है। ये वे छात्र हैं जो शीर्ष बेस्ट फोर के साथ इस साल डीसीएसी में पढ़ाई करने पहुंचे हैं।
दरअसल जिन पाठ्यक्रमों में इन छात्रों ने दाखिला लिया है उसकी अब कॉलेज में पढ़ाई नहीं हो सकती। कॉलेज ने इस साल बिना विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से स्वीकृति लिए अपने यहां तीन पाठ्यक्रमों में विद्यार्थियों का दाखिला ले लिया। जब बात यूजीसी तक पहुंची तो उसने साफ कर दिया कि उसने इसे मंजूरी ही नहीं दी है। लिहाजा, वह इसको वहन नहीं कर सकता।
जानकारों की मानें तो अब दिल्ली कॉलेज आफ आर्ट्स एंड कॉमर्स में इन विद्यार्थियों की पढ़ाई नहीं हो सकती। दिल्ली कॉलेज आफ आर्ट्स एंड कॉमर्स ने इस साल तीन नए पाठ्यक्रम शुरू करने की घोषणा की थी। ये पाठ्यक्रम थे- बीएससी (आनर्स) कंप्यूटर साइंस, बीए (आनर्स) हिंदी और बीएससी (आनर्स) गणित से स्नातक। इनकी न केवल घोषणा हुई बल्कि कॉलेज ने इनमें पढ़ाई के लिए नए अकादमिक सत्र (2020-21) में इस साल ही क्रमश: 23, 32 और 20 छात्रों का दाखिला भी दे दिया। यह कदम नियम के विरूद्ध था। क्योंकि इसके लिए जरूरी स्वीकृति यूजीसी से नहीं ली गई थी। चौंकाने वाला तथ्य यह है कि इससे पहले भी डीसीएसी के नए पाठ्यक्रम खोलने की मांग को यूजीसी मना कर चुका है।
डीयू प्रशासन ने कहा
जनसत्ता ने इस बाबत विश्वविद्यालय प्रशासन से बात की। संवाददाता ने मामले के दस्तावेजों का अपने पास होने का हवाला दिया। रजिस्ट्रार डॉ विकास गुप्ता ने मामले में अपनी अनभिज्ञता जताई। उन्होंने जवाब के लिए विश्वविद्यालय के डीन आफ कालेज से संपर्क करने का सुझाव दिया। कॉलेज की प्राचार्या डा अनुराधा गुप्ता से संपर्क साधने की सभी कोशिश नाकाम रही। डीयू के डीन आफ कालेज बालाराम पाणिजी ने कहा-मामला उनके संज्ञान में है, कॉलेज के स्तर पर बड़ी चूक है, वे प्राचार्य को तलब कर रहे हैं, उनके खिलाफ चिट्ठी जारी की जा रही है। बिना अधिकृत स्वीकृति के दाखिला लेना गंभीर मामला है।
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