केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये तीन योजनाओं को मंजूरी दी, जिनमें 48 हजार करोड़ रुपये का प्रोत्साहन शामिल है। केंद्रीय दूरसंचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने शनिवार को इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार को इन योजनाओं से 2025 तक 10 लाख करोड़ रुपये का विनिर्माण राजस्व और 20 लाख लोगों को प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रोजगार मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा मंत्रिमंडल ने देश में चिकित्सा में इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के आयात पर निर्भरता कम करने के लिये चिकित्सकीय उपकरणों के विनिर्माण पर प्रोत्साहन को भी मंजूरी दी।

प्रसाद ने बताया कि सरकार इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये पांच साल में 40,995 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन देगी। उन्होंने कहा कि योजना के तहत पूंजीगत निवेश पर 25 प्रतिशत का प्रोत्साहन दिया जायेगा। उन्होंने कहा, ‘‘भारत को नयी दिशाओं तथा चिकित्सकीय इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण का बड़ा केंद्र बनाने के लिये दो दीर्घकालिक नीतिगत निर्णय लिये गये हैं। मंत्रिमंडल ने इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण कंपनियों के लिये उत्पादन आधारित प्रोत्साहन को मंजूरी दी है। हम इस क्षेत्र में उत्पादन आधारित प्रोत्साहन के तहत अगले पांच साल के दौरान 40,995 करोड़ रुपये उपलब्ध करायेंगे।’’ उन्होंने कहा कि प्रोत्साहन कंपनियों की बिक्री में वृद्धि तथा पूंजीगत निवेश से जुड़ा होगा। उन्होंने कहा, ‘‘हम इन योजनाओं के दम पर 2025 तक 10 लाख करोड़ रुपये का विनिर्माण राजस्व सृजित करने की उम्मीद कर रहे हैं।’’ प्रसाद ने कहा कि योजना के तहत पूंजीगत निवेश पर 25 प्रतिशत का प्रोत्साहन दिया जायेगा।

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि योजना का लक्ष्य घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना तथा मोबाइल फोन विनिर्माण और एसेंबली टेस्टिंग, मार्किंग एंड पैकेंजिंग (एटीएमपी) इकाइयों समेत विशिष्ट इलेक्ट्रॉनिक कल-पुर्जों के विनिर्माण में निवेश आर्किषत करना है। मंत्रालय ने कहा, ‘‘योजना के तहत तय क्षेत्रों में पात्र कंपनियों को आधार वर्ष की तुलना में बिक्री में हुई वृद्धि पर चार प्रतिशत से छह प्रतिशत का प्रोत्साहन मिलेगा। यह प्रोत्साहन आधार वर्ष से अगले पांच साल तक मिलेगा। इस योजना के तहत मोबाइल फोन के घरेलू मूल्य वर्धन के 2025 तक बढ़कर 35 से 40 प्रतिशत हो जाने का अनुमान है, जो अभी दो से 25 प्रतिशत तक है।’’ बयान में कहा गया कि इस योजना से प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर रोजगार के आठ लाख अवसरों के सृजन का अनुमान है। मंत्रालय ने कहा कि भारत में विनिर्मित इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों का मूल्य सालाना करीब 25 प्रतिशत की दर से बढ़ा है और यह 2014-15 के 1,90,366 करोड़ रुपये से बढ़कर 2018-19 में 4,58,006 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।

बयान में कहा गया कि वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में भारत की हिस्सेदारी छह साल में करीब ढाई गुना बढ़ी है। यह हिस्सेदारी 2012 में महज 1.3 प्रतिशत थी जो 2018 में तीन प्रतिशत पर पहुंच गयी। इलेक्ट्रॉनिक सामानों का देश का निर्यात भी 2017-18 के 41,220 करोड़ रुपये से बढ़कर 2018-19 में 61,908 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। मंत्रालय ने कहा, ‘‘उद्योग जगत के अनुमान के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण से देश भर में 20 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला है।’’ उद्योग संगठन इंडिया सेल्यूलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन ने उत्पादन आधारित प्रोत्साहित योजना की सराहना करते हुए कहा कि यह विश्वस्तरीय है। संगठन ने कहा कि इससे न सिर्फ विनिर्माण बढ़ेगा बल्कि मोबाइल फोन का निर्यात भी बढ़ेगा।

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