भूमंडलीकरण के परिणाम स्वरूप तेजी से बदलती दुनिया में अनुवाद रोजगार का एक प्रमुख क्षेत्र बन कर सामने आया है। अनुवाद एक सेतु है जो दो देशों, उनकी भाषाओं, उनकी संस्कृतियों को आपस में जोड़ता है। इसीलिए मानव सभ्यता और संस्कृति के विकास में अनुवाद की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। अनुवाद का संसार अत्यंत विशाल है जिसमें एक साथ सैकड़ों भाषाओं और हजारों विषयों में ज्ञान का निरंतर आदान-प्रदान हो रहा है। चाहे सरकारी दस्तावेजों का अनुवाद हो, विदेशी भाषा की पुस्तकों का अनुवाद हो या विदेशी फिल्मों की डबिंग का कार्य हो, हर जगह अनुवादकों की आवश्यकता पड़ती है। यदि आप दो या अधिक भाषाओं पर अधिकार रखते हैं तो अनुवाद की दुनिया में आप अच्छा करिअर बना सकते हैं। भारत में विदेशी कंपनियों के बढ़ते कामकाज के कारण अंग्रेजी-हिंदी अनुवाद के साथ-साथ अब विदेशी भाषाओं में भी अनुवाद की मांग बढ़ने लगी है जिसमें संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों में रोजगार के अनेक अवसर मौजूद हैं।

सरकारी क्षेत्र में अनुवादकों की जरूरत

केंद्र सरकार की राजभाषा नीति के कार्यान्वयन और विभिन्न संवैधानिक प्रावधानों के अनुपालन के लिए केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में अंग्रेजी-हिंदी अनुवादकों की भारी मांग रहती है। इसी क्रम में राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय के अंतर्गत केंद्रीय सचिवालय राजभाषा सेवा काडर में कनिष्ठ अनुवाद अधिकारी के पदों पर भर्ती की जाती है। इस प्रतिष्ठित सेवा में कोई अनुवादक अपने सेवा काल में निदेशक (राजभाषा) के पद तक पहुंच सकता है। इसी तर्ज पर रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत अनुवादकों का अलग कैडर है। मंत्रालयों के अतिरिक्त विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, राज्य सरकारों के कार्यालयों, विभिन्न न्यायालयों और प्राधिकरणों आदि में भी अनुवादकों के पदों की आवश्यकता होती है। इसके अलावा लोक सभा, राज्यसभा सचिवालयों में संपादन व अनुवाद सेवा में अनुवादकों के पदों पर भर्तियां की जाती हैं।

अनुवादकों के लिए शैक्षणिक योग्यता

सरकारी क्षेत्र में अंग्रेजी-हिंदी अनुवादकों के पदों के लिए कर्मचारी चयन आयोग द्वारा ली जाने वाली परीक्षाओं और बैंकों आदि में राजभाषा अधिकारी के लिए ली जाने वाली परीक्षाओं में आम तौर पर एक भाषा में स्नातकोत्तर की डिग्री और दूसरी भाषा का ज्ञान स्नातक स्तर पर एक विषय के रूप में होना आवश्यक होता है। कहीं-कहीं अनुवाद में डिप्लोमा की भी मांग की जाती है। स्वतंत्र रूप से कार्य करने वाले अनुवादकों से डिग्री या डिप्लोमा की मांग से ज्यादा अनुभव और कौशल की अपेक्षा की जाती है। अनुवाद का कार्य पीजी डिप्लोमा करने के बाद ही किया जा सकता है। एक ओर, जहां बहुत से विश्वविद्यालय अनुवाद में डिप्लोमा पाठ्यक्रम चला रहे हैं। वहीं, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से अनुवाद के क्षेत्र में पीएचडी भी जा सकती है।

भाषा पर पकड़

एक अच्छे अनुवादक के लिए दो भाषाओं पर अच्छी पकड़ का होना सबसे जरूरी है। हर भाषा की अपनी संस्कृ़ति और शैली होती है। इसलिए अच्छे अनुवाद के लिए इसकी समझ होने की भी अनुवादक से अपेक्षा की जाती है। इसके अलावा दोनों भाषाओं के शब्द भंडार और व्याकरण के साथ-साथ अनुवाद की जाने वाली सामग्री का विषय बोध होना भी एक शर्त है। इन गुणों के साथ ही अनुवादक मूल भाषा के सामग्री के साथ न्याय कर सकता है। यह एक भाषा से विषयवस्तु की मूल आत्मा को निकाल कर दूसरी भाषा के शरीर में डालने जैसा संवेदनशील काम है।

स्वतंत्र अनुवादक के रूप में कार्य

यदि आप अनुवाद कला में माहिर हैं तो फिर आपके लिए काम की कोई कमी नहीं। आज हजारों लोग स्वतंत्र रूप से अनुवाद कार्य करते हुए अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं। ऐसे अनुवादक विभिन्न अनुवाद एजंसियों और मीडिया हाउस के साथ जुड़कर अपनी क्षमतानुसार अनुवाद से अच्छा अर्जन कर रहे हैं। ऐसे अनुवाद कार्य के लिए आम-तौर पर प्रति शब्द एक से दो रुपए तक या प्रति पृष्ठ 300 से 500 रुपए तक का भुगतान किया जाता है। अच्छी मीडिया/विज्ञापन/पीआर एजंसियां काम की प्रकृति के आधार पर पांच रुपए प्रति शब्द तक भी देती हैं। फिल्मों के उपशीर्षक और डबिंग आदि के काम में अनुवाद के लिए प्रति मिनट या प्रति घंटे के आधार पर आकर्षक मेहनताना दिया जाता है। विदेशी फिल्मों के साथ-साथ डिस्कवरी और नेशनल ज्यो-ग्राफिक जैसे ‘इंफोटेनमेंट’ चैनलों के सामग्री की हिंदी में डबिंग के कारण एक बड़ा बाजार खुल गया है। कई वेबसाइट स्वतंत्र अनुवादकों के लिए पूरी दुनिया से अनुवाद का काम उपलब्ध करा रही हैं।

पाठ्यक्रम कराने वाले अग्रणी संस्थान

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विवि, दिल्ली
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली
भारतीय अनुवाद परिषद, दिल्ली
भारतीय विद्या भवन, दिल्ली
दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली

– सौरभ आर्य
वरिष्ठ अनुवाद अधिकारी
(इस्पात मंत्रालय)





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