कोरोना महामारी के बीच जहां सभी शिक्षण संस्थान ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने की चुनौती से जूझ रहे हैं, वहीं वर्तमान स्थिति में 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में से 19 में कोई पूर्णकालिक कुलपति नहीं है। लगभग आधे केंद्रीय विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति महीनों से लंबित हैं, जबकि सरकार नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत एक महत्वाकांक्षी शिक्षा सुधार योजना पर काम कर रही है। हालांकि, कई विश्वविद्यालयों में प्रमुख चयन प्रक्रियाएं पूरी हो चुकी हैं लेकिन इनमें से अधिकांश नियुक्तियां रमेश पोखरियाल निशंक के केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय में अटकी हुई हैं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार शिक्षा मंत्री की ओर से एक बार फिर से नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की दिशा में कदम बढ़ाया जा रहा है और इसे लेकर 24 मई को राज्यों के शिक्षा सचिवों व 25 मई को केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ वह ऑनलाइन संवाद करने की तैयारी में हैं। मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में हो रहे विलंब से मंत्रालय की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। ऐसे में मंत्रालय इस दिशा में ठोस कार्यवाही कर बिगड़ रही हालात को सुधारने की कोशिश कर रहा है। इन बैठकों में कोरोना महामारी के चलते बने हालात और उनके परिणामस्वरूप विभिन्न परीक्षाओं व दाखिला प्रक्रिया के विषय में भी चर्चा होगी।
साल 1964-66 में गठित शिक्षा आयोग कि सिफारिश के अनुसार कुलपति की नियुक्ति की प्रक्रिया मौजूदा कुलपति के कार्यकाल की समाप्ति से काफी पहले शुरू की जानी चाहिए ताकि नया व्यक्ति बिना समय गंवाए पदभार ग्रहण कर सके। हालांकि, मौजूदा समय में कई मामलों में लंबे इंतजार के बाद भी इस सिफारिश पर अमल नहीं हो पाता है। इस तरह की देरी कभी-कभी कई महीनों और एक वर्ष से भी अधिक समय तक चलती है। शिक्षा आयोग की इस सिफारिश को अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 में दोहराया गया है। एनईपी को पारित हुए काफी समय बीत चुका है, लेकिन ऐसा लगता है कि इस विशेष सिफारिश ने अभी तक उस ओर ध्यान नहीं खींचा है जिसके वह हकदार है।
देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में शामिल जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय में भी कुलपति का पद महीनों से रिक्त है। जिस तरह से बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू व कश्मीर में रिक्त कुलपति के पद को जल्द भरे जाने की मांग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के द्वारा की जा रही है, उससे साफ है कि मंत्रालय के स्तर पर केंद्रीय विश्वविद्यालयों में स्थायी कुलपतियों की लटकी पड़ी नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर अब शिक्षण संस्थानों में असंतोष बढ़ रहा है।
ऐसे में मंत्रालय इस दिशा में ठोस कार्यवाही कर बिगड़ रही हालात को सुधारने की कोशिश कर रहा है। इन बैठकों में कोरोना महामारी के चलते बने हालात और उनके परिणामस्वरूप विभिन्न परीक्षाओं व दाखिला प्रक्रिया के विषय पर भी चर्चा होगी।
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