ये बातें नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने भारतीय शिक्षण मंडल एवं नीति आयोग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित ‘शैक्षणिक नेतृत्व’ विषय पर वेबगोष्ठी के दौरान कहीं।

राजीव कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को क्रियान्वित करने के लिए एक जन आंदोलन की जरूरत है जो बिना शिक्षकों की सक्रीय भागीदारी के संभव नहीं है। उन्होंने भारतीय बौद्धिक संपदा को रोकने एवं उन्हें वापस लाने पर बल देते हुए कहा कि यह शिक्षा नीति न केवल शैक्षणिक बदलाव लाने में सहायक सिद्ध होगी बल्कि विश्व में प्राचीन भारतीय शिक्षण गौरव को स्थापित करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करेगी।

इस अवसर पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने भारतीय शिक्षण मंडल की सराहना करते हुए कहा कि शिक्षक को समाज में गौरव दिलाने में यह संगठन निरंतर प्रयत्नशील है।

वेब-गोष्ठी के दौरान भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय महासचिव मुकुल कानिटकर ने कहा कि भारतीय शिक्षण मंडल नीति आयोग के साथ मिलकर एक ऐसे शैक्षिक परिवेश के निर्माण में लगा है जिसके मूल में भारतीय संस्कृति हो एवं जिसमें भारतीयता का बोध निहित हो।

उन्होंने समाधान मूलक शिक्षण व्यवस्था पर बल देते हुए कहा कि शिक्षक किसी भी समस्या का समाधान निकाल सकता है, समस्या के पीछे भले ही अनगिनत कारण हो सकते हैं परंतु उस समस्या का निवारण शिक्षक ही कर सकता है।

भारतीय शिक्षण मंडल के अध्यक्ष सच्चिदानन्द जोशी ने कहा कि भारत को विश्व गुरु बनाना है तो हमें भारतीय परंपराओं पर आधारित शिक्षा पद्धति को केंद्र में रखना होगा साथ ही मैकाले पद्धति से भारतीय शिक्षा व्यवस्था को मुक्त कराना होगा। इस वेब-गोष्ठी में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से लगभग 300 कुलपति ने हिस्सा लिया।

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