बारहवीं के बाद : इसके अंतर्गत कोई भी विद्यार्थी बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण करके सीधे कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (क्लैट) की परीक्षा पास करके योग्यता के आधार पर देश के किसी भी प्रमुख्य विधि संस्थान में दाखिला ले सकता है। इस परीक्षा को पास करने के बाद विद्यार्थी को एलएलबी का पांच वर्षीय पाठ्यक्रम करना होता है। क्लैट की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले विद्यार्थियों को सामान्यतौर पर देश के विभिन्न राष्ट्रीय विधि महाविद्यालयों में प्रवेश मिलता है। इसके अलावा कुछ और संस्थान हैं जो विधि पाठ्यक्रम के लिए अपनी अलग प्रवेश परीक्षा लेते हैं।
स्नातक के बाद : किसी भी विषय में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद तीन वर्षीय एलएलबी की डिग्री भी प्राप्त की जा सकती है। कुछ विश्वविद्यालयों के तीन वर्षीय एलएलबी पाठ्यक्रम में प्रवेश परीक्षा के माध्यम से दाखिला होता है तो कुछ जगहों पर स्नातक स्तर पर प्राप्त अंकों के आधार पर ही दाखिला दे दिया जाता है।
उच्च शिक्षा : ऐसे विद्यार्थी जिनकी रुचि इस विषय को और अधिक पढ़ने की होती है। वे एलएलबी के बाद एलएलएम और पीएचडी करके इसी विषय में प्राध्यापक बन सकते है। और फिर कुछ लोग इसके बाद न्यायिक परीक्षाओं को पास करके न्यायाधीश भी बन जाते हैं।
डिप्लोमा और सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम
एलएलबी के अलावा इस क्षेत्र के किसी एक विशिष्ठ क्षेत्र में आप डिप्लोमा या सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम भी प्राप्त कर सकते हैं। इनमें कराधान कानून, साइबर कानून, श्रम कानून, अंतरराष्ट्रीय कानूनॅ, साइबर एवं सूचना कानून, बौद्धिक अधिकार कानून, उपभोक्ता संरक्षण कानून आदि शामिल हैं।
विधि के क्षेत्र में रोजगार के अवसर
एलएलबी या एलएलएम करने के बाद एक विद्यार्थी के लिए इससे जुड़े रोजगार के कई अवसर एक साथ खुल जाते हैं।
वकील के रूप में : कानून के क्षेत्र में यह सबसे बड़ा और लोकप्रिय पेशा है। वकालत एक ऐसा रोजगार है, जिसमें युवा काफी नाम और पैसा कमा सकते हैं। इसका क्षेत्र भी बहुत व्यापक है।
देश की सबसे निचली अदालत से अपना करिअर प्रारंभ करके एक व्यक्ति देश की सर्वोच्च अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट तक अपनी सेवा दे सकता है। यह पूरी तरह व्यक्ति विशेष की योग्यता और क्षमता पर आधारित होता है कि वह अपनी प्रतिभा को कैसे निखारता है और कैसे इस क्षेत्र में अपनी पहचान बनाता है। कई बार बड़े-बड़े मुकदमों में शामिल होने तक के लिए एक वकील 20-20 लाख रुपए तक भी अपनी फीस के रूप में ले लेते हैं। तो कुछ बड़े नामी-गिरामी वकीलों की फीस करोड़ों रुपए तक होती हैं।
शिक्षा के क्षेत्र में : यदि कोई विद्यार्थी एलएलबी करने के बाद इसमें उच्च डिग्री जैसे पीएचडी और नेट जैसी परीक्षा पास कर लेता हैं तो वह किसी भी कॉलेज या विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक के रूप में कार्य करना प्रारंभ कर सकता है। विधि में एक सहायक प्राध्यापक के रूप में अपना करिअर प्रारंभ करने वाले एक व्यक्ति का न्यूनतम वेतन 75,000 से लेकर 1,20,000 के आसपास तक होता है।
न्यायाधीश के रूप में : एलएलबी की डिग्री हासिल करने के बाद एक व्यक्ति न्यायाधीश की परीक्षा में भी अपनी किस्मत आजमा सकता है। यह परीक्षा तीन चरणों में होती हैं। प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और साक्षत्कार। प्राय: यह परीक्षा राज्यों के आयोगों द्वारा आयोजित की जाती हैं ।
इसके अलावा विधि क्षेत्र में रोजगार की अनेक संभावनाएं मौजूद हैं। एक कापोर्रेट लॉ फर्म के परामर्शदाता से लेकर साइबर विशेषज्ञ तक शामिल हैं। साथ ही कानूनी सलाहकार, विधि संवाददाता, अपराध संवाददाता, राजनीतक पार्टियों में कानूनी सलाहकार, आदि भी शामिल हैं। इन कार्यों में शुरुआती रूप से 20,000 से लेकर 30,000 रुपए महीने तक कमा सकते हैं। इसके लिए विद्यार्थियों के पास विधि में सर्टिफिकेट या डिप्लोमा होना ही काफी है।
देश के कुछ प्रमुख्य विधि कॉलेज
विधि संकाय, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी
राष्ट्रीय विधि संस्थान, बंगलुरु
राष्ट्रीय विधि संस्थान, भोपाल
सिम्बायोसिस विधि कॉलेज, पुणे
राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, जोधपुर
एनएलएसआर विधि विश्वविद्यालय, हैदराबाद
गुजरात राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय
राजकीय विधि, मुंबई
इलहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज
– संजय सिंह बघेल
(शिक्षक, दिल्ली विश्वविद्यालय)
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