दीप्ति अंगरीश
बच्चों की परीक्षाओं का समय शुरू हो गया है। कुछ की इस महीने के आखिर में हैं, तो कुछ की अगले महीने से। सभी बच्चे तैयारी में जुटे हैं। फिर वे तैयारी माता-पिता के दबाव में कर रहे हों या फिर अव्वल आने की ललक में या असफल होने पर सामाजिक बेइज्जती से बचने के लिए। कारण कुछ भी हो, बच्चे दिन-रात एक कर पढ़ाई में डूबे हैं। लेकिन सोना भी तो बहुत जरूरी है। आखिर दिमाग को भी तो आराम की जरूरत होती है। दिमाग एक प्रकार की मशीन ही तो है, जिसे दिन-रात इस्तेमाल करेंगे तो कार्य क्षमता पर असर तो पड़ेगा ही। इसलिए रोजाना सात से आठ घंटे की नींद नितांत आवश्यक है। आप एक जिम्मेदार अभिभावक हैं। ध्यान रखें कि बच्चा अच्छे नंबर लाने के चक्कर में रात में नींद का त्याग कर पढ़ाई में ही डूबा न रहे। बच्चे को समझाएं यह आदत सेहत के लिए ठीक नहीं है और इससे अगला दिन भी खराब होता है। यह भी देखा गया है कि रात में पर्याप्त नींद लेने के बावजूद परीक्षा की तैयारी करते समय बच्चों को नींद बहुत आती है। आपके बच्चे के साथ भी ऐसा होता होगा। ऐसे में उसे डांटने, फटकारने से बेहतर है कि आप सुनिश्चित करें कि बच्चा एकाग्रता से परीक्षाओं की तैयारी करे। इसके लिए आपको सतर्क होना होगा।

भारी भोजन से तौबा
नींद आने का एक कारण है तला भुना भोजन। आप सोच रहे हैं बच्चा लगातार पढ़ाई में डूबा हुआ है, तो उसे पसंदीदा पकवान बनाकर खिलाऊं। कभी बे्रड पकोड़ा, तो कभी शाही पनीर तो कभी कुछ। यह लाड़ इस समय बंद कर दें। बच्चा तो छोटा है, पर आप तो बड़े। इतना तला-भुना व गरिष्ठ भोजन खाएगा तो एकाग्रता से कैसे पढ़ पाएगा। क्योंकि भारी भोजन को पचाने में समय लगता है और इससे ऊर्जा बनने में समय लगता हैै। ऐसे में लाजिमी है नींद तो आएगी ही। यह समय काफी मूल्यवान है। पल-पल बेहद कीमती है। ऐसा ना हो कि स्वाद के चक्कर में परीक्षा की तैयारी का समय हाथ से खिसकता जाए। इस समय बच्चे को ऐसा पौष्टिक खाना खिलाएं, जो पचने में सरल, पोषण का भंडार और ऊर्जा का स्त्रोत हो, जैसे-दलिया, फल, सब्जियां, ओट्स आदि।

रोशनी से सतर्कता
बिजली बिल में कटौती के लिए बेफिजूल पंखा, बल्ब, ट्यूबलाइट आदि बंद करते रहना या एक पंखे व ट्यूबलाइट में काम करना आपकी आदत में शुमार है। यह आदत तो अच्छी है, लेकिन परीक्षाओं के समय बच्चों पर यह नहीं थोपें। जिस कमरे में बच्चा पढ़ता है वहां सुनिश्चित करें कि सभी ट्यूबलाइट व बल्ब जले हों। कारण कमरे में आती पर्याप्त रोशनी बच्चे का दिमाग सचेत रखेगी। अगर आप रोशनी के नाम पर सिर्फ टेबल लैम्प बच्चे के अध्ययन के लिए जलाती हैं और कमरे की बत्ती बुझाकर रखती हैं। तो ऐसा वातावरण आलस और नींद के लिए उपयुक्त है और तो और मंद रोशनी बच्चे की आंखों की दृष्टि पर बुरा प्रभाव भी डालती है।

बिस्तर या सोफा नहीं
अगर आपका बच्चा बिस्तर या सोफे पर पढ़ता है, तो उसे यहां से उठाकर कुर्सी-टेबल पर पढ़ने की हिदायत दें। अन्यथा नींद तुरंत ही बच्चे को पास बुलाएगी, कारण बिस्तर पर जाते ही हर कोई आराम महसूस करता है और लेटते ही नींद की आहोश में आ जाता है। अगर बच्चा पढ़ाई के समय सोएगा तो वह पढ़ेगा कब। ऐसा नहीं हो। इसके लिए आपको सजग रहना होगा।

पानी पर तवज्जो
बहुत से बच्चों का मानना है कि पढ़ाई के समय कम पानी पीना उचित है। कारण पानी पढ़ाई को बाधित करता है। क्योंकि थोड़ी देर बाद शौचालय जाना पड़ता है। यहां आपको सजग होना होगा कि बच्चे उचित मात्रा में पानी व अन्य तरल पदार्थ पीते रहें। विज्ञान के अनुसार कम पानी पीने से शरीर में निर्जलीकरण हो जाता है, जिससे स्वास्थ्य गड़बड़ा जाता है। आखिर स्वस्थ शरीर से ही कोई भी काम किया जा सकता है। फिर चाहे वो पढ़ाई ही क्यों न हो।

छोटे-छोटे विराम
आप ध्यान रखें कि बच्चा लगातार नहीं पढ़े। अन्यथा बच्चा बोझिल हो जाएगा और खानापूर्ति करेगा। शुरू-शुरू के कुछ घंटे बच्चा मन लगाकर पढ़ेगा पर लगातार पढ़ते रहने से उसमें ऊब आएगी और वो आपको दिखाने के लिए बिना उठे लंबे अंतराल तक दिखावटी पढ़ेगा यानी समय की बबार्दी करेगा। पढ़ाई में गुणवत्ता लाने के लिए छोटे-छोटे विराम देना जरूरी है। आप बच्चे को कहें कि इस ब्रेक पीरियड में वो टहले, संगीत सुने, सुस्ताए या बातें करे। इससे बच्चा ताजगी महसूस करेगा। नतीजतन शरीर में खुशी वाले हार्मोंस का संचार होगा। यानी पढ़ाई में एकाग्रता आएगी और नींद होगी काफूर। इस ब्रेक में बच्चे को कार्टून, टीवी या डिजिटल मीडिया से दूर रखें। अन्यथा इस चिपकू डिब्बे से बच्चे को छुड़वाना काफी मशक्कत भरा काम है।

कुछ कायदे बनाएं
आप चाहते हैं कि बच्चा परीक्षा में अच्छे अंकों से सफल हो, तो तैयारी करते समय कुछ कायदे बनाएं, जिसका अनुसरण आप और बच्चा दोनों करें। आखिर बच्चे आपको देखकर ही बहुत कुछ सीखते हैं। इन कायदों में शाामिल करें रोजाना दस बजे सोना, सुबह जल्दी उठना और सुबह पढ़ाई करना। इस समय मस्तिष्क सबसे अधिक कार्यात्मक होता है। बच्चे को बताएं कि कोई भी कठिन विषय सुबह पढ़े। क्लिष्ठ विषयों का अध्ययन रात के समय नहीं करें। क्योंकि दिनभर क्रियाशील रहने के बाद इस समय मस्तिष्क थक जाता है और उसे नींद की दरकार होती है।

समय सारिणी बनाएंं
आप चाहते हैं कि बच्चा अच्छे अंकों से पास हो, तो आपको मेहनत करनी पड़ेगी। जी आपने सही पढ़ा है। मेहनत आपकी होगी, क्योंकि बच्चों की पढ़ाई के लिए प्रबंधन आपको ही करना होगा। यह नहीं करेंगे तो बच्चे पढ़ेंगे, लेकिन बिना अध्यापिका के। यानी उनकी मनमर्जी से कुछ भी पढेÞं। ऐसे में बच्चों का समय बर्बाद होगा। बच्चा दिनभर में क्या करेगा, कितना और कौन सा विषय पढ़ेगा, कब सोएगा आदि की योजना आप बनाएं। इस समय सारिणी के लिए आप बच्चे से विचार-विमर्श जरूर करें। इस सारिणी को एक सप्ताह के लिए आजमाएं। देखें कि बच्चा कितना इस सारिणी का पालन कर रहा है और उसकी सेहत पर कैसा प्रभाव पड़ रहा है। अगर आवश्यक हो तो इसमें समायोजन करें।

प्रोत्साहित करते रहें
तैयारी के मध्य ब्रेक का मतलब यह नहीं है कि बच्चा सुबह से रात तक लगातार पढ़ता ही रहे। अगर बच्चा समय सारिणी के अनुसार पढ़ेगा तो कम समय में एकाग्रतापूर्वक पढ़ाई करेगा। बच्चे के साथ आपको भी बैठना होगा, तभी आप बच्चे की पढ़ाई पर पैनी नजर रख पाएंगे। बच्चों को पढ़ते समय नींद नहीं आए और वो अध्ययन मन से करे। इसके लिए उसे बीच-बीच में कम अंतराल का विराम देते रहें। अगर बच्चा कुछ अच्छा करता है तो उसे प्रोत्साहित करते रहे। प्रोत्साहन से पढ़ाई में रुझान बढ़ता है। प्रोत्साहित करने का तरीका कुछ भी हो सकता है, जैसे शाबाशी, प्यार की झप्पी, तारीफ के बोल आदि।

योग से जोड़ें
बच्चा पढ़ाई से जी चुराता है या पढ़ते समय उबकाई लेता है, तो उसे योग से जोड़ें। नियमित योग से नव ऊर्जा का संचार होता है, आत्मविश्वास बढ़ता और खुशी वाले हार्मोंस का संचार होता है। नतीजतन एकाग्रता बनती है।

विषम परिस्थितियों से जूझना
अधिकांश बच्चों को पढ़ाई के नाम पर नींद आती है। स्थिति और भी विकट हो जाती जब परीक्षाओं के दिन में शादी, त्योहार, निजी समारोह, जन्मदिन, सालगिरह या फिर खेलकूद का कोई आयोजन हो। अब इस समय बच्चे इन मौकों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेंगे तो पढ़ाई से जी चुराएंगे और लाजिमी है नींद तो आएगी ही। इनसे निपटने का तरीका है कि आप बच्चे को पढ़ाई के दौरान अवांछित स्थितियों के लिए पहले से तैयार करें। इस परीक्षा की तैयारियों के लिए छुट्टी में पढ़ाई और बच्चों के साथ समझौता नहीं करें। जरा सी कोताही बरतना समय की बर्बादी हो सकती है।

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