Saugat-e-Modi yojana Kya hai: भारतीय जनता पार्टी ने अल्पसंख्यकों को साधने के लिए नया दांव चल दिया है। बीजेपी ने सौगात-ए-मोदी कैंपेन चलाने की घोषणा की है। इसके तहत बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा देशभर के 32 लाख मुस्लिम परिवारों को ईद के मौके पर ‘सौगात-ए-मोदी’ किट बांटेगा। अल्पसंख्यक मोर्चा के 32000 पदाधिकारी 32000 मस्जिदों से जुड़ेंगे। यहां से जरूरतमंद लोगों की पहचान की जाएगी और इसके बाद उन्हें यह किट दी जाएगी। वहीं विपक्षी पार्टियों ने इस कैंपेन को लेकर तंज कसा है।
क्या है सौगात-ए-मोदी कैंपेन
अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी यासिर जिलानी ने बताया कि सौगात-ए-मोदी कैंपेन भारतीय जनता पार्टी की तरफ से शुरू किया गया एक अभियान है जिसका मकसद मुस्लिम समुदाय के बीच कल्याणकारी योजनाओं को बढ़ावा देना और बीजेपी और एनडीए के लिए राजनीतिक समर्थन जुटाना है। सौगात-ए-मोदी कैंपेन के तहत बांटी जाने वाली किट में कई तरह की चीजें होंगी। खाने-पीने की चीजों के साथ-साथ किट में कपड़े, सेंवई, खजूर, सूखे मेवे और चीनी भी शामिल होगी। महिलाओं की किट में सूट के कपड़े होंगे, जबकि पुरुषों की किट में कुर्ता-पायजामा शामिल होगा। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, हर एक किट की कीमत करीब 500 से 600 रुपये होगी।
बिहार में किसी के नेतृत्व में चुनाव न लड़े कांग्रेस
विपक्ष ने बोला हमला
सौगात-ए-मोदी कैंपेन की घोषणा के साथ ही सियासत गर्म हो गई है। विपक्ष ने भारतीय जनता पार्टी पर बिहार में चुनाव से पहले राजनीतिक नौटंकी करने का आरोप लगाया। यहां पर मुसलमान राज्य के कुल वोटर्स का लगभग 16-17 प्रतिशत हिस्सा हैं और खास तौर पर किशनगंज, अररिया, कटिहार, सीमांचल क्षेत्र और मध्य बिहार के कुछ हिस्सों में मजबूत हैं।
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने समाचार न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा, ‘भारतीय जनता पार्टी और उसके लोगों को हर त्योहार मनाना चाहिए। समाजवादियों का हमेशा से मानना रहा है कि सभी त्योहार मनाए जाने चाहिए, चाहे वह किसी भी धर्म के हों। यह खुशी की बात है कि बीजेपी अब बड़े पैमाने पर त्योहार मना रही है। बीजेपी ऐसी पार्टी है जो एक वोट पाने के लिए कुछ भी कर सकती है।’ वहीं कांग्रेस सांसद रंजीत राजन ने कहा कि आप देखिए कि बिहार में चुनाव है, वे सौगात किट नहीं दे रहे हैं, बल्कि इसके ज़रिए वोट मांग रहे हैं। अगर उन्हें बिहार में ‘सौगात’ देने की इच्छा थी, तो उन्हें बिहार से पलायन रोकने के लिए नौकरियां देनी चाहिए थीं। अनुभवी राजनेता और बिगड़े बोल
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