मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव बाबू विश्वनाथ इस बात से बहुत खुश हैं कि वो घर से काम (WFH) कर पैसा बचाने में सफल रहे हैं। उन्होंने बाहर खाने, ऑफिस जाने और खरीदारी में पैसा खर्च नहीं किया क्योंकि कोरोना वायरस महामारी के चलते देश में मार्च के महीने से लगातार अलग-अलग चरणों में लॉकडाउन की घोषणा होती रही है। हालांकि कोरोना काल में दैनिक यात्रा ना होने की वजह से आपकी जेब को हल्की राहत बेशक मिल सकती है मगर बाद में वित्त वर्ष 2020-21 के लिए आपको अपनी टैक्स देनदारी में अधिक जानकारी प्राप्त करनी होगी।

टीओआई में छपी एक खबर के मुताबिक विश्वनाथ के केस में दस लाख रुपए के उनके सीटीसी में एचआरए, कन्वेयन्स, एलटीए और संचार रिम्बर्समेंट शामिल है। उन्होंने गृह नगर में परिवार के साथ रहने के लिए अपना किराए का घर खाली कर दिया है। हालांकि फिर भी उन्हें वित्त वर्ष 2021 के लिए 70 फीसदी से अधिक टैक्स का भुगतान करना पड़ सकता है। उनका एचआर डिपार्टमेंट सलाहकारों के साथ काम कर रहा है ताकि उनके टैक्स स्ट्रक्चर को फिर से नया बनाया जा सके, क्योंकि उनकी कंपनी ने अप्रैल महीने में 20 फीसदी वेतन में कटौती की घोषणा की थी।

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खबर के मुताबिक चूंकि कर्मचारी अपने घर से काम कर रहे हैं ऐसे में वेतन घटकों जैसे कन्वेयन्स अलाउंस अब टैक्स फ्री नहीं हो सकेंगे। इसके अलावा महामारी के प्रसार के चलते एक भी छुट्टी लेने और एलटीए (जिसका चार साल के ब्लॉग में दो बार क्लेम किया जा सकता है।) का क्लेम करने में सक्षम नहीं हो सकेंगे। बता दें कि कन्वेयन्स टैक्स फ्री तभी होता है जब खर्च वास्तव में किए जाते हैं और सबूत समर्थित होते हैं। अब किसी भी आधिकारिक आवागमन की अनुपस्थिति को टैक्स योग्य आय माना जाएगा।

इसी तरह अगर आपने अपना किराए का अपार्टमेंट खाली कर दिया और किराया बचाने के लिए परिवार के साथ अपने गृहनगर चले गए है तो आपको अधिक टैक्स का भुगतान करना पड़ सकता है, क्योंकि एचआरए आपके लिए अब टैक्स फ्री नहीं रहेगा। पीडीओ इंडिया पार्टनर प्रकाश कहते हैं, ‘अगर किसी व्यक्ति ने अपने किराए का घर खाली कर दिया है और अब किराए का भुगतान नहीं करता है तो उसकी टैक्स देनदारी बढ़ जाएगी।’

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