Ramnath Goenka Awards: रामनाथ गोयनका अवॉर्ड्स 2023 के सामारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मु मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुई। इस दौरान उन्होंने विजेता पत्रकारों को अवॉर्ड्स भी दिए। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के संस्थापक रामनाथ गोयनका द्वारा स्थापित किए गए पत्रकारिता के मूल्यों की तारीफ की। इस दौरान उन्होंने इमरजेंसी का उल्लेख किया और कहा कि इंडियन एक्सप्रेस अखबार 1975 के आपातकाल के दौरान सरकार के सामने नहीं झुका था।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ब्लैंक एडिटोरियल का जिक्र किया और कहा कि एडिटोरियल पेज को खाली छोड़कर अखबार ने आपातकाल का विरोध किया था। राष्ट्रपति ने कहा कि आपातकाल में एक्सप्रेस ग्रुप का वह कदम न केवल प्रेस की स्वतंत्रता बल्कि स्वस्थ लोकतंत्र के पुनर्गठन का संकेत भी था।
स्वतंत्रता आंदोलन में पत्रकारिता
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि रामनाथ गोयनका ने जो नियम और मानक स्थापित किए, वे उन्होंने निश्चित तौर पर स्वतंत्रता आंदोलन से सीखे थे। उन्होंने कहा कि कई स्वतंत्रता सेनानियों ने लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए पत्रकारिता का सहारा लिया था। महात्मा गांधी भी एक पत्रकार ही थे। उन्होंने यंग इंडिया में जर्नल लिखे थे।
‘हिंदी को बढ़ाने में योगदान’
राष्ट्रपति ने कहा कि रामनाथ गोयनका का दायरा केवल पत्रकारिता तक ही सीमित नहीं था। 1935 में जब गांधी जी एक बार फिर हिंदी साहित्य सम्मेलन के लिए चुना गया, तो दक्षिण में हिंदी का दायरा बढ़ाने के लिए पहल की गई। रामनाथ गोयनका भी उस मिशन में शामिल थे। न्यूज मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है, और इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप इसमें अपनी अहम भूमिका निभाता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि सबसे पहले, समाचार के व्यवसाय के लिए विचारों से भरा एक विस्तृत न्यूजरूम जरूरी है। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने एक बार इसी मंच पर इस बात पर जोर दिया था कि समाचार की गुणवत्ता और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए न्यूजरूम में बेहतरीन रिसर्च विंग की आवश्यकता है। यह जानकर संतोष होता है कि इंडियन एक्सप्रेस के पास एक जीवंत न्यूजरूम है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि रामनाथ कोविंद यह सच है कि दुनिया भर में वित्त पोषण के स्रोतों की संख्या सीमित है। यह राज्य या कॉर्पोरेट संस्थाएं या पाठक हो सकते हैं, जबकि पहले दो के अपने फायदे और सीमाएं हैं।
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