The methodology embraces a holistic approach to education, centred around joyful experiential learning. With a keen focus on well-defined learning objectives, the framework integrates and includes various activities like:

• Watching films
• Immersing in storytelling
• Participating, and learning about regional games
• Crafting working radio models
• Exposure to computer design skills
• Making portraits
• Observing water samples
• Delving into cutting-edge technological advancements like 3D printing, drones
• Engaging field trips

Collaborative learning strategies, and advanced technologies, will ensure a dynamic and immersive educational experience. Community interaction is emphasized, creating real-world contexts for learning. Different mediums, including paintings, podcasts, blogs, 3-D printed models, and more, empower children to express their understanding in ways that resonate with their individual strengths.

The approach to Prerana underscores the importance of providing teachers with the necessary training and resources, implementing varied strategies, and fostering continuous improvement through reflection and feedback.

Exposure to activities in this programme will instil in the youngsters a sense of citizenship and pride in their nation, as well as a spirit of enterprise and entrepreneurship. This will foster respect for India’s immense unity and diversity, as well as the ethos of “Vasudaiva Kutumbakam.”

यह पद्धति शिक्षा के प्रति एक समग्र दृष्टिकोण अपनाती है, जो आनंदमय अनुभवात्मक शिक्षा पर केंद्रित है। सुपरिभाषित शिक्षण उद्देश्यों पर ध्यान केन्द्रित करने के साथ इस संरचना में विभिन्न गतिविधियों को एकीकृत और शामिल किया गया है जैसे : –

● फिल्में दिखाना
● कहानी सुनाने की कला
● विभिन्न क्षेत्रों के स्थानीय खेलों में भाग लेना और उनके बारे में सीखना
● कार्यशील रेडियो मॉडल तैयार करना
● कंप्यूटर डिज़ाइन कौशल सीखना
● चित्र बनाना
● पानी के नमूनों का निरीक्षण करना
● 3डी प्रिंटिंग, ड्रोन जैसी अत्याधुनिक तकनीकी जानकारी
● शैक्षिक भ्रमण
सहयोगात्मक शिक्षण विधियां और उन्नत प्रौद्योगिकी एक सक्रिय और दिलचस्प शैक्षिक अनुभव सुनिश्चित करेंगी। सामुदायिक संवाद पर विशेष ज़ोर दिया गया है, जिससे अधिगम हेतु वास्तविक दुनिया के संदर्भों का निर्माण होता है। चित्रकला, पॉडकास्ट, ब्लॉग, 3-डी प्रिंटेड मॉडल और अन्य माध्यम, बच्चों को अपनी समझ को उनकी व्यक्तिगत क्षमताओं के अनुरूप विभिन्न माध्यमों में व्यक्त करने के लिए सशक्त बनाते हैं।
प्रेरणा का दृष्टिकोण शिक्षकों को आवश्यक प्रशिक्षण और संसाधन प्रदान करने, विभिन्न शिक्षा प्रणालियों को लागू करने और चिंतन व फीडबैक के माध्यम से निरंतर सुधार को बढ़ावा देने के महत्व को रेखांकित करता है।
इस कार्यक्रम की गतिविधियों में भाग लेने से युवाओं में अपने राष्ट्र के प्रति गौरव और नागरिक मूल्यों के विकास के साथ-साथ उद्यमशीलता की भावना भी पैदा होगी। इससे भारत की असीम विविधता में अंर्तनिहित एकता के साथ-साथ “वसुधैव कुटुंबकम” की भावना के प्रति सम्मान को बढ़ावा मिलेगा।


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