भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का लंबी बीमारी से जूझने के बाद आज 31 अगस्‍त 2020 को 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया। एक ब्रेन सर्जरी के बाद वे वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे। सर्जरी से पहले, वह COVID-19 पॉजिटिव भी पाए गए थे। उनका इलाज सेना के रिसर्च एंड रेफरल (R&R) अस्पताल में चल रहा था जहां उन्‍होनें अपनी अंतिम श्‍वास ली। देश के प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने उनकी मौत पर गहरी संवेदना जताई है।

2012 से 2017 तक देश के 13वें राष्‍ट्रपति रहे प्रणब मुखर्जी के पिता भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान सक्रिय थे और 1952-1964 के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रतिनिधि के रूप में पश्चिम बंगाल विधान परिषद के सदस्य भी थे। प्रणब मुखर्जी ने अपनी स्कूली शिक्षा सूरी विद्यासागर कॉलेज, सूरी से की। उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान और इतिहास में परास्नातक किया। उसी विश्वविद्यालय से उन्होंने LLB की डिग्री हासिल की।

राजनीति से पहले, उन्होंने उप-महालेखाकार, कलकत्ता के कार्यालय में एक अपर डिविजनल क्लर्क के रूप में कार्य किया। वर्ष 1963 में उन्होंने राजनीति विज्ञान के असिस्‍टेंट प्रोफेसर के रूप में कोलकाता के विद्यानगर कॉलेज में एडमिशन लिया। उन्होंने एक पत्रकार के रूप में देशर डाक (मातृभूमि की पुकार) के लिए भी काम किया।

वर्ष 1969 में, उन्‍होनें राजनीति में प्रवेश किया और निर्दलीय उम्‍मीदवार वी. के. कृष्‍ण मेनन के चुनाव अभियान में हिस्‍सा लिया। भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें कांग्रेस में शामिल होने की पेशकश की। प्रणब ने यह प्रस्ताव स्वीकार किया और उनका राजनैतिक सफर आगे बढ़ चला।

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल में, प्रणब मुखर्जी ने विभिन्न पदों जैसे रक्षा, वित्त, विदेश मंत्रालय और और अन्‍य पर अपनी सेवाएं दीं। उन्होंने कांग्रेस संसदीय दल और कांग्रेस विधायक दल का नेतृत्व किया, जिसमें सभी कांग्रेस सांसद और विधायक थे। आज उनके निधन पर प्रधानमंत्री मोदी ने भी ट्वीट कर कहा “पहले दिन से ही उनका सहयोग और मार्गदर्शन पाना मेरे लिए सौभाग्‍य की बात रही। उनके परिवार, मित्र और प्रशंसकों को मेरी संवेदनाएं।”

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