अमेरिका से भारत के लिए एक अच्छी खबर आई है। भारतीय मूल की अमेरिकी छात्रा नताशा पेरी (11) को एसएटी और एसीटी मानकीकृत परीक्षाओं में असाधारण प्रदर्शन के लिए अमेरिका के एक शीर्ष विश्वविद्यालय की ओर से दुनिया के सबसे प्रतिभाशाली विद्यार्थियों में से एक के रूप में आंका गया है।

पेरी को जॉन्स हॉपकिंस प्रतिभाशाली युवा प्रतिभा केंद्र (सीटीवाई) के तहत एसएटी, एसीटी या इसी तरह के मूल्यांकन में उसके असाधारण प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया है। चार-पांच दिन से सोशल मीडिया पर इस नन्ही सी परी की प्यारी सी तस्वीर छाई हुई है। चेहरे पर मासूम मुस्कुराहट, इस उम्र के सबसे लोकप्रिय हेयरस्टाइल-दो चोटियां और कानों में बूंदे पहने पेरी ने अपनी इस उपलब्धि पर कहा, ‘यह मुझे और बेहतर करने के लिए प्रेरित करता है।’ उसने कहा कि डूडल और जेआरआर टोलकिन के उपन्यासों को पढ़ने से उसको मदद मिली।

पेरी ने 2021 में यह परीक्षा तब दी थी, जब वह पांचवीं कक्षा में थी। वह ‘जॉन्स हॉपकिंस सीटीवाइ के ‘उच्च सम्मान पुरस्कार’ में जगह बनाने में सफल रही। एक बयान में सोमवार को बताया गया कि न्यू जर्सी में ‘थेलमा एल सैंडमियर एलिमेंट्री’ स्कूल की छात्रा, पेरी को जॉन्स हॉपकिंस प्रतिभाशाली युवा प्रतिभा केंद्र (सीटीवाइ) के तहत एसएटी, एसीटी या इसी तरह के मूल्यांकन में उसके असाधारण प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया है।

वह 84 देशों के लगभग 19,000 विद्यार्थियों में से एक थी, जो 2020-21 प्रतिभा खोज वर्ष में सीटीवाइ में शामिल हुए थे। सीटीवाइ दुनियाभर के मेधावी छात्र-छात्राओं की पहचान करने और उनकी वास्तविक शैक्षणिक क्षमताओं की एक स्पष्ट तस्वीर प्रदान करने के लिए ‘अबव ग्रेड-लेवल’ परीक्षा आयोजित करता है।

स्कूली मूल्यांकन परीक्षा (सैट) और अमेरिकी कॉलेज परीक्षा (एसीटी) दोनों ही मानकीकृत परीक्षाएं हैं, जिनके आधार पर कई कॉलेज यह निर्धारित करते हैं कि किसी छात्र या छात्रा को प्रवेश देना है या नहीं। कुछ मामलों में, कंपनियां और गैर लाभकारी संगठन इन अंकों के आधार पर मेधा आधारित छात्रवृत्ति भी देते हैं।

सीटीवाइ की कार्यकारी निदेशक वर्जीनिया रोच ने परीक्षा के परिणामों की घोषणा करते कहा, ‘हम इन विद्यार्थियों की सफलता को लेकर रोमांचित हैं। इस पूरे साल में ऐसा कुछ नहीं था, जिसे अच्छा कहा जा सके, लेकिन इन छात्र-छात्राओं की प्रतिभा और सीखने की ललक ने इसे शानदार बना दिया। हमें आने वाले दिनों में हाईस्कूल, कॉलेज और उससे आगे की पढ़ाई तथा जीवन में इन बच्चों को विद्वान और नागरिक के रूप में विकसित होने में मदद कर खुशी होगी।’



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