देश की सर्वोच्च अदालत के सामने अब एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है, जिसमें मांग है कि भारत के संघ (UOI) को निर्देश दिया जाए कि वे बच्चों के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ऑनलाइन वर्चुअल कक्षाओं के संबंध में व्यापक दिशा-निर्देश जारी करे। यह मांग बच्चों के अभिभावकों की है जिनका मानना है कि इंटरनेट पर उपलब्ध अप्रिय सामग्री से उनके बच्चों को खतरा है। यह याचिका डॉ नंद किशोर गर्ग ने अपने वकील शशांक देव सुधी के माध्यम से दायर की है।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि ऑनलाइन लर्निंग के चलते छोटे बच्चे इंटरनेट और अनगिनत ओपन वेबसाइटों पर उपलब्ध अप्रिय सामग्रियों के संपर्क में हैं, जिनका बच्चों के सर्वांगीण विकास पर गंभीर असर पड़ता है। सुधी ने कोर्ट से निर्देश मांगा कि पूरी तरह से एन्क्रिप्टेड और सुरक्षित तरीके से ऑनलाइन कक्षाएं होस्ट करने के लिए व्यापक दिशानिर्देश तैयार करने तक ऑनलाइन कक्षाओं को बंद करने का आदेश दिया जाए। उन्होंने आगे यह भी मांग की कि दिशानिर्देशों में सत्र में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ऑनलाइन कक्षाओं के दौरान कई इंटरनेट संचालित निषिद्ध वेबसाइटों की पहुंच को रोकने के लिए एक उचित तंत्र होना चाहिए।
सुधी ने कहा कि UOI सहित शैक्षणिक इकाइयों को समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के उन बच्चों के लिए कंप्यूटर उपकरणों को सुनिश्चित करने के लिए एक उचित तंत्र विकसित करने के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए, जिन्हें लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन लर्निंग में परेशानी उठानी पड़ी है।
उन्होनें कहा, “हमारे देश के सभी बहिष्कृत और सीमांत बच्चों के लिए कंप्यूटर संचालित उपकरणों या ऑनलाइन कक्षाओं की कोई वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक तंत्र विकसित किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वंचित बच्चे ऑनलाइन वीडियो कक्षाओं के लाभार्थी हो सकते हैं।” दिशानिर्देश तय करने के लिए UOI, शिक्षा मंत्रालय और CBSE सभी को इस मामले में रिस्पांडेंट बनाया गया है जिसका अर्थ है कि अगर अदालत याचिका के पक्ष के फैसला सुनाती है तो इन तीनों को ही दिशनिर्देश तय करने का आदेश अदालत द्वारा दिया जाएगा।
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