दुनिया भर में फैले कोरोना वायरस का असर सभी पर हुआ है। 1100 करोड़ शब्द संग्रह वाली ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी इस साल ‘वर्ड ऑफ द ईयर’ नहीं चुन पाई है। इस साल एक वर्ड चुनने के बजाय ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी प्रकाशित करने वाली कंपनी ऑक्सफोर्ड लैंग्वेजेस ने शब्दों की एक पूरी लिस्ट जारी की है। ऑक्सफोर्ड लैंग्वेजेज के प्रेसिडेंट कास्पर ग्रैथव्होल ने कहा कि “हमने भाषा की नजरिए से ऐसा साल कभी नहीं देखा। हर साल हमारी टीम सैकड़ों नए शब्दों और उनके प्रयोगों की पहचान करती है, लेकिन 2020 ने हमें नि:शब्द कर दिया है। इसमें इतने शब्द आ गए हैं कि चुनना मुश्किल हो रहा है।”
ऑक्सफोर्ड लैंग्वेजेज ने कहा है कि “कोरोना वायरस” शब्द इस साल अप्रैल तक सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए गए अंग्रेजी शब्दों में से एक रहा है। संगठन ने कहा कि ‘वर्ड्स ऑफ अनप्रेसेडेंटेड ईयर’ रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉकडाउन, डब्ल्यूएफएच (वर्क फ्रॉम होम), सपोर्ट बबल्स जैसे शब्दों का भी इस साल खूब इस्तेमाल हुआ। अगर भारत की बात करें तो ‘ई पास’ जैसे शब्द का लोगों ने व्यापक इस्तेमाल किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि कोरोना वायरस की कहानी 1960 के दशक से जुड़ी है, लेकिन तब इसका इस्तेमाल वैज्ञानिक और चिकित्सा जगत से जुड़े लोग ही करते थे। इस साल अप्रैल तक यह सबसे अधिक इस्तेमाल किए गए शब्दों में से एक बन गया। मई तक कोविड-19 शब्द इससे आगे निकल गया।
ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी की लिस्ट में एंटी-वैक्सर (वैक्सीन का विरोधी), एंटी-मास्कर (मास्क विरोधी), एंथ्रोपॉज (घूमने पर वैश्विक पाबंदी), बीसी (बिफोर कोविड), ब्लैक लाइव्ज मैटर, बबल, कोविडिएट (कोरोना गाइडलाइन न मानने वाला), फ्लैटन द कर्व, ट्विंडेमिक (दो महामारी एक साथ आना), अनम्यूट (माइक्रोफोन ऑन करना), वर्केशन (छुटि्टयों में काम करना) जूमबॉम्बिंग (वीसी कॉल में घुसपैठ करना) जैसे शब्द शामिल हैं। महामारी के दौरान कामकाजी आदतों में क्रांति ने भी भाषा को प्रभावित किया है, मार्च से अब तक “रिमोट” और “रिमोटली” दोनों के उपयोग में 300 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी देखी गई है। “म्यूट” और “अनम्यूट” में मार्च के बाद से 500 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई, जबकि पोर्टमेन्टियस “वर्केशन” और “स्टेकेशन” में भी काफी बढ़ोतरी हुई है।
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