Om Birla vs Opposition: लोकसभा में कांग्रेस और स्पीकर ओम बिरला के बीच शुक्रवार को माइक्रोफोन के मुद्दे पर तनातनी के बीच तनाव बढ़ गया है। इसको लेकर विपक्षी नेताओ ने ओम बिरला को गुरुवार को पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने विपक्ष के नेता राहुल गांधी से बात करने का मौका न दिए जाने और सरकार द्वारा संसदीय प्रक्रिया की धज्जियां उड़ाने का आरोप लगाया था।

इस बारे में कांग्रेस के सूत्रों ने बताया है कि पार्टी संसद के अंदर और बाहर विपक्ष को चुप कराने के सरकार के प्रयासों के खिलाफ अपना आक्रामक अभियान तेज करेगी और विरोध जारी रखेगी। दूसरी ओर स्पीकर ओम बिरला का कहना है कि ये सारे मुद्दे सदन के बाहर उठाए गए हैं, इसलिए इनका जवाब भी वे बाहर ही देंगे।

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मनीष तिवारी के बोलने के दौरान स्पीकर ने क्या कहा?

कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और उपनेता गौरव गोगोई, मणिकम टैगोर सहित अन्य सांसदों ने जब लिखे गए पत्र का जवाब देने के लिए कहा तो अध्यक्ष ने कार्यवाही जारी रखी। उन्होंने कांग्रेस नेता मनीष तिवारी को भारतीय बंदरगाह विधेयक, 2025 को पेश करने पर अपनी आपत्तियों पर बोलने के लिए कहा।

इस दौरान जैसे ही मनीष तिवारी बोलने के लिए अपनी सीट से उठे तो स्पीकर ने कहा कि आपका माइक चालू हो गया है न? स्पीकर ओम बिरला ने कांग्रेस के नेताओं की ओर इशारा करते हुए मनीष तिवारी से कहा,”माइक चालू हो गया न? इनको बताओ न माइक कैसे चालू होता है? (माइक काम कर रहा है, है न? कृपया उन्हें बताएं कि माइक कैसे चालू होता है।

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स्पीकर के कहने पर चालू होगा माइक- ओम बिरला

स्पीकर के ऐसा कहने पर मनीष तिवारी हैरान हो गए। उन्होंने कहा, “आप बताइए ना, अध्यक्ष जी, माइक कैसे चालू होता है? इस पर कांग्रेस सांसदों ने खड़े होकर स्पीकर का विरोध किया। स्पीकर ओम बिरला ने कहा, “माइक जब भी चालू होगा जब माननीय अध्यक्ष उसकी अनुमति देगा। बिना अध्यक्ष के माइक चालू नहीं हो सकता।”

बता दें कि पिछले साल जब माइक को लेकर विवाद हुआ था तो उस दौरान स्पीकर ने कहा था, “माइक को चेयर के आदेश के अनुसार नियंत्रित किया जाता है। माइक का नियंत्रण कभी भी चेयर पर बैठे व्यक्ति के पास नहीं होता है।”

कांग्रेस क्या पड़ गई अकेली?

वहीं मनीष तिवारी और उनकी पार्टी के सहयोगी सांसद बेनी बेहनन ने विधेयक पेश किए जाने पर अपनी आपत्तियों को लेकर शोरगुल में बोलने से इनकार कर दिया, तो ओम बिरला ने सीपीआई-एम के के राधाकृष्णन और टीएमसी के सौगत रे को बोलने के लिए कहा। कांग्रेस सदस्यों ने अपना विरोध जारी रखा, लेकिन एनसीपी, डीएमके, एसपी या टीएमसी के सांसद उनके साथ शामिल नहीं हुए। इससे पहले जब गुरुवार को माइक बंद होने को लेकर विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन ने जो पत्र लिखा था, उसमे कांग्रेस, टीएमसी, समाजवादी पार्टी , केरल कांग्रेस, आरजेडी, आईयूएमएल, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, शिवसेना (यूबीटी) और एमडीएमके शामिल थे।

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इस प्रकरण को लेकर मनीष तिवारी ने सदन के बाहर इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि जो कुछ हुआ वह पूरी तरह से टाला जा सकता था और पूरी तरह से अनावश्यक था। सदन सभी का है, न कि केवल सत्ता पक्ष का। विपक्षी नेताओं ने बताया कि अनुच्छेद 105 संसद सदस्यों और समितियों की शक्तियों और विशेषाधिकारों को परिभाषित करता है। संसद में सांसदों के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करता है। एक वरिष्ठ विपक्षी सांसद ने कहा कि नियम और प्रक्रियाएं और लोकसभा में कामकाज का संचालन सांसदों की अपनी बात कहने की स्वतंत्रता को सीमित नहीं कर सकता। स्पीकर जो कर रहे हैं, वह अनुच्छेद 105 की नई व्याख्या करने की कोशिश है।

गौरव गोगोई ने उठाए सवाल

कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने बताया कि विपक्षी सांसद स्पीकर से जवाब चाहते थे। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल हमारे द्वारा उठाए गए मुद्दों पर माननीय स्पीकर से जवाब मांगने के लिए खड़े हुए। दुर्भाग्य से, हमें अपनी चिंता दर्ज करने का मौका नहीं मिला। हमने यह तथ्य उठाया कि विपक्ष के नेता ने आखिरी बार राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान बात की थी। तब से उन्हें बोलने की अनुमति नहीं दी गई है। गौरव गोगोई ने कहा है कि अगर सरकार संसद के अंदर अपना रवैया नहीं बदलती है, तो प्रधानमंत्री को सार्वजनिक रूप से लोकतंत्र और असहमति पर उपदेश देना बंद कर देना चाहिए।

विपक्षी दलों द्वारा स्पीकर को लिखे गए पत्र में ओम बिरला ने कहा, जब भी विपक्षी सांसद कोई मुद्दा उठाते हैं, तो उनके माइक्रोफोन बंद कर दिए जाते हैं, जिससे वे अपनी चिंताएं व्यक्त नहीं कर पाते। इसके विपरीत, जब भी मंत्री या सत्तारूढ़ पार्टी के सांसद बोलना चाहते हैं, तो उन्हें तुरंत अनुमति दे दी जाती है। यह एकतरफा नियंत्रण लोकतांत्रिक बहस की भावना को कमजोर करता है।” इसके अलावा आए दिन राहुल गांधी और कांग्रेस के कई सांसद भी खुलकर स्पीकर पर माइक बंद करने का आरोप लगाते रहे हैं।




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