कुछ क्षेत्र ऐसे होते हैं, जो सदाबहार कहलाते हैं। यानी उनमें काम करने की संभावनाएं बनी रही रहती है। ऐसे ही क्षेत्रों में से एक ‘प्रिंटिंग और पैकेजिंग’ का क्षेत्र।
अधिकांश संस्थानों में इस विषय का बीटेक पाठ्यक्रम होने के कारण भौतिक, रसायन और गणित से बारहवीं करने वाले विद्यार्थियों को संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई मेन) के आधार पर ही दाखिला मिलता है। लेकिन अब चुनिंदा संस्थान किसी भी विषय में बारहवीं करने वालों के लिए बीएससी वोकेशलन पाठ्यक्रम चला रहे हैं, जिसमें बिना प्रवेश परीक्षा यानी बारहवीं के अंकों के आधार पर दाखिला दे रहे हैं। उत्तर भारत में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के मीडिया प्रौद्योगिकी संस्थान में ही किसी भी विषय बारहवीं करने वाले विद्यार्थियों के लिए अवसर उपलब्ध हंै। दिल्ली सरकार के अंतर्गत चलने वाला राजधानी स्थित पूसा पॉलिटेक्निक दसवीं के आधार पर अपने डिप्लोमा पाठ्यक्रम में प्रवेश परीक्षा से दाखिला देता है।
इस क्षेत्र में रोजगार की संभावनाओं की जानकारी पाने से पहले जरूरी है कि आप यह जाने की ‘प्रिंटिंग और पैकेजिंग’ का अर्थ है क्या? जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है ‘प्रिंटिंग’ का अर्थ है छपाई का काम यानी किताबों की छपाई, समाचार पत्रों – पत्रिकाओं, सरकारी-गैर सरकारी संस्थानों के कागजात, विभिन्न संगठनों के इश्तिहार और विज्ञापन की सामग्री की छपाई और बाजार में बिकने वाले ढेरों सामान के पैकेट की छपाई। अब इसके साथ एक शब्द जुड़ा है ‘पैकेजिंग’। इसका अर्थ है कि बाजार में बिकने वाली विभिन्न वस्तुओं को एक आकर्षक पैकेट में प्रस्तुत करके, उसके ऊपर उत्पाद से संबंधित ब्योरा प्रिंट करना ‘पैकेजिंग’ कहलाता है।
यह दोनों ही क्षेत्र अब संयुक्त विषय के रूप में अपनी पहचान बनाए हुए हैं। अधिकांश संस्थान दोनों को एक संयुक्त विषय के रूप में ही पढ़ाते हैं। जबकि कुछ संस्थान इनके अलग-अलग कोर्स चलाते हैं। विभिन्न जरूरतों के लिए होने वाली प्रिंटिंग और बाजार में विभिन्न वस्तुओं की अच्छी पैकेजिंग की अपार जरूरत को बाजार से होकर गुजरने वाला हर व्यक्ति खुद अनुभव करता है। भले ही ई-पब्लिशिंग यानी इंटरनेट पर किताबें उपलब्ध होने से छपी किताबों की मांग को चुनौती मिली। इसके बावजूद ई-पब्लिशिंग मुद्रित किताब के आनंद का विकल्प नहीं बन पाई।
फिर प्रिंटिंग का क्षेत्र किताबों तक सीमित नहीं है। ऐसी बहुत सी ऐसी चीजें हैं जो हर दौर में छापेखाने से ही निकलकर आएंगी। मसलन बाजार में उपलब्ध बे- हिसाब वस्तुओं के पैकेट की छपाई, उनके प्रयोग की जानकारी देने वाला साहित्य व विभिन्न व्यवसायों में इस्तेमाल होने वाले कागज। इसे व्यवसायिक प्रिंटिंग कहते हैं। रुचिकर पहलू यह है कि यह कार्य बड़े शहरों से निकलकर छोटे शहरों में भी पहुंचा है। मांग पर प्रिंटिंग में आए दिन काम के अवसर बढ़ रहे हैं। मांग पर प्रिंटिंग का अर्थ है कि लोग कप, गिलास से लेकर अलमारी और घर की दीवारों और यहां तक की पानी पर सतह बनाकर विभिन्न तरह की प्रिंटिंग करवाना पसंद करते हैं। और इसमें आए दिन नए ट्रेंड आ रहे हैं, जिससे सिर्फ रोजगार के मौके ही नहीं बढ़ रहे। बल्कि खुद का व्यवसाय करने की अपार संभावनाएं हैं।
नौकरी और वेतन की संभावनाएं
वर्तमान में इस विषय का एक योग्य विद्यार्थी व्यवसायिक प्रिंटिंग में 6 से 10 लाख रुपए का शुरुआती पैकेज पा सकता है। उसके बाद व्यक्ति का प्रदर्शन उसे कमाने के अपार अवसर इस क्षेत्र में दे सकते हैं। इस पाठ्यक्रम में कैंपस प्लेसमेंट बहुत ही बढ़िया रहता है। उद्योग के लोग कैंपस प्लसेमेंट में भरपूर रुचि लेते हैं।
दिल्ली, कोलकाता और मुंबई में तो इस क्षेत्र में खूब कमाने की संभावनाएं शुरू से ही है। लेकिन अब छोटे शहरों में काम काफी बढ़ा है। उल्लेखनीय है कि चंडीगढ़ से लगते हिमाचल के बद्दी, बरोटीवाला आदि में पूरे विद्यार्थियों को काम के खूब अवसर मिले हैं। और फिर इस क्षेत्र में स्वयं का व्यापार करने वालों के लिए तो संभावनाएं दोगुनी हैं।
यहां से कर सकते हैं पढ़ाई
ग्गुरु जम्भेश्वर यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, हिसार
ग्हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय, महेंद्रगढ़
ग्सामने इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, रेवाड़ी
ग्कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, अन्ना विश्वविद्यालय, चेन्नई
ग्इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, मालेपुरम
ग्बीएमएस कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, बंगलुरु
– प्रदीप कुमार राय
शिक्षक, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, हिसार
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