दिल्‍ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने गुरुवार को केन्‍द्र को सुझाव दिया कि COVID-19 महामारी और प्रवेश परीक्षा जैसे NEET और JEE जैसी प्रवेश परीक्षाओं के कारण हो रही कक्षाओं की निरंतर हानि के चलते सभी क्‍लासेज़ के लिए पाठ्यक्रम में 50 प्रतिशत तक की कमी की जानी चाहिए। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की अध्यक्षता में NCERT की 57 वीं सामान्य परिषद की बैठक के दौरान सिसोदिया समेत कई राज्यों के शिक्षा मंत्रियों ने भाग लिया।

उन्‍होंने कहा, “मौजूदा शैक्षणिक सत्र कोरोना संकट के कारण बिगड़ गया है। स्कूली दिनों की निरंतर हानि के कारण सभी वर्गों के लिए पाठ्यक्रम को घटाकर 50 प्रतिशत कर दिया जाना चाहिए। अगले वर्ष की प्रवेश परीक्षा जैसे JEE और NEET भी इस वर्ष के कक्षा के पाठ्यक्रम के अनुसार कम किए गए पाठ्यक्रम पर आधारित होनी चाहिए।” उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि सीबीएसई को मई 2021 से पहले कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा नहीं आयोजित करनी चाहिए ताकि छात्रों को अध्ययन के लिए कुछ और समय मिल सके। आमतौर पर परीक्षाएं फरवरी और मार्च में होती हैं।

दिल्ली सरकार ने इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) से आग्रह किया था कि वह अगले साल मई से पहले बोर्ड की परीक्षा आयोजित न करे और सिलेबस को और कम करे क्योंकि COVID-19 महामारी के कारण अभी भी स्कूल बंद हैं। हालांकि, Unlock 5 के दिशानिर्देशों के अनुसार, स्कूल, कॉलेज और अन्य शैक्षणिक संस्थान COVID-19 कंटेनमेंट जोन को छोड़कर अन्‍य जगहों पर 15 अक्टूबर के बाद फिर से खुल सकते हैं। संस्थानों को फिर से खोलने का अंतिम निर्णय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों पर छोड़ दिया गया था। दिल्ली सरकार ने 31 अक्टूबर तक स्कूलों को यथास्थिति बंद रखने का फैसला किया है, जिसके बाद स्थिति की समीक्षा की जाएगी।

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