अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) ने इंजीनियरिंग कॉलेजों की बढ़ती गिनती पर लगाम लगाने की तैयारी कर ली है। पूरे भारत में अब 2022 तक नए बीटेक संस्थानों की स्थापना के लिए कोई नया आवेदन स्वीकार नहीं किया जाएगा। यह निर्णय 2019-20 में छात्रों के इंजीनियरिंग में एडमिशन के गिरते ग्राफ को लेकर किया गया है। इस वर्ष हर दूसरी इंजीनियरिंग सीट मतलब 50% सीटें खाली रह गई हैं।

भारत में स्नातक (14 लाख), डिप्लोमा (11 लाख) और पोस्‍ट ग्रेजुएट (1.8 लाख) की कुल 27 लाख सीटें हैं, लेकिन 2019-20 में केवल 13 लाख छात्रों ने इंजीनियरिंग कोर्स में एडमिशन लिया, जिनमें से सात लाख ग्रेजुएट कोर्सेज़ के लिए थे। नई AICTE हैंडबुक मे कहा गया, “पिछले कुछ वर्षों के दौरान विभिन्न कार्यक्रमों में रिक्त सीटों की बड़ी संख्या और भविष्य की संभावित मांग को देखते हुए, परिषद इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी में डिप्लोमा/ ग्रेजुएट/ पोस्‍टग्रेजुएट स्तर पर नए तकनीकी संस्थानों को मंजूरी नहीं देगा।” कहा। AICTE हैंडबुक आने वाले शैक्षणिक वर्ष के लिए दिशानिर्देशों को परिभाषित करती है।

नेशनल पर्सपेक्टिव प्लान में यह भी कहा गया है कि मौजूदा कॉलेज भी यदि नए कार्यक्रमों या इंजीनियरिंग एंड टेक्‍नोलॉजी में सीटें बढ़ाने के लिए आवेदन करते हैं तो ऐसे आवेदन रद्द कर दिए जाएंगे। हालांकि, नये कोर्सेज़ की शुरूआत करने वाले कॉलेजों को मंजूरी रहेगी। AICTE के आंकड़ों के मुताबिक, 2019 में कैंपस प्लेसमेंट के दौरान केवल छह लाख ग्रेजुएट्स को नौकरी मिली। छात्रों की कम संख्‍या के चलते 2015 और 2019 के बीच, कुल 518 इंजीनियरिंग कॉलेज बंद हो गए हैं।

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