Chaitra Navratri: मैया की उपासना का महापर्व चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2025 Date) 30 मार्च से शुरू होने जा रहे हैं। इस दौरान मातारानी के भक्त शक्ति की उपासना करेंगे। मंदिरों से लेकर घरों में इसके लिए विशेष तैयारियां चल रही हैं। इस बार नवरात्रि 9 दिन की बजाए 8 दिन के पड़ रहे हैं। ये ऐसा समय होता है जब मातारानी की विशेष कृपा पाने के लिए भक्त दूर-दूर जगहों पर स्थापित उनके मंदिरों में दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। यहां हम कुछ ऐसे देवी मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां दर्शन मात्र से ही सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां भक्तों की हर जायज मुराद पूरी होती है। आइए जानते हैं इसके बारे में।

मां वैष्णो का पावन दरबार (जम्मू )

जम्मू के त्रिकूट पर्वत पर स्थापित मां वैष्णो देवी मंदिर में नवरात्रि में सबसे ज्यादा भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने त्रेतायुग में देवी त्रिकूटा (माता वैष्णो) को यहां रहकर कलियुग के अंत तक भक्तों के कष्ट दूर करने का आदेश दिया था।

कामाख्या शक्तिपीठ गुवाहाटी (असम)

नीलांचल पर्वत पर विराजमान कामाख्या शक्तिपीठ में दर्शन करने का सौभाग्य बड़ी मुश्किल से मिलता है। यह माता के शक्तिपीठों में से एक है। ऐसा कहा जाता है कि यहां पर माता सती का गुह्वा (योनि) भाग गिरा था।

मां पीतांबरा देवी (मध्‍यप्रदेश)

मां पीतांबरा सिद्धपीठ मध्यप्रदेश के दतिया जिले में है। यूं तो हर समय ही यहां भक्‍तों की भीड़ रहती है। लेकिन नवरात्रि में दर्शन करने का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि यहां दर्शन करने से भक्‍त की हर मुराद पूरी होती है।

मां त्रिपुर सुंदरी (बिहार)

बिहार के बक्‍सर में स्थापित मां त्रिपुर सुदंरी के मंदिर में नवरात्रि के दिनों में भक्त बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। ऐसा कहा जाता है कि मंदिर में प्रवेश करते हैं अलग ही शक्ति का अहसास होता है।

दुर्गा परमेश्‍वरी मंदिर ( मंगलूरू)

मंगलूरू में बने दुर्गा परमेश्‍वरी मंदिर में नवरात्र के दिनों में भक्‍तों की भारी भीड़ रहती है। यहां अग्नि केलि नाम की परंपरा निभायी जाती है। जिसमें भक्‍त एक-दूसरे पर अंगारे फेंकते हैं।

करणी माता मंदिर ( राजस्‍थान)

बीकानेर से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित माता करणी मंदिर में नवरात्रि के दौरान खूब भीड़ रहती है। यहां भक्‍तों को चूहों का जूठा प्रसाद खिलाया जाता है।

नैना देवी मंदिर (नैनीताल)

नैनी झील के किनारे स्थापित इस मंदिर में नवरात्रि के दौरान भक्तों की लंबी कतारें लगती हैं। ऐसा मान्यता है कि कोई भी भक्‍त मां नैना देवी के दरबार से खाली नहीं लौटता है।




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