आज महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की पुण्यतिथि है। अहिंसा के सिद्धांत को मानने वाले बापू की 30 जनवरी 1948 की शाम नाथूराम गोडसे नाम के शख़्स ने हत्या कर दी थी। उस शाम महात्मा गांधी प्रार्थना सभा में शामिल होने के लिए जा रहे थे। इसी बीच गोडसे ने उनके सीने में 3 गोलियां उतार दी नाथूराम गोडसे मूल रूप से महाराष्ट्र के बारामती का रहने वाला था।
गोडसे (Nathuram Godse) पहली बार लोगों की नजर में आजादी के तीन महीने बाद आया। गोडसे ने ‘हिंदू राष्ट्र’ नाम का एक अखबार शुरू किया। 1 नवंबर 1947 को इस अखबार के कार्यालय का उद्घाटन होना था। इस कार्यक्रम का न्योता पूना (अब पुणे) के तमाम हिंदूवादी नेताओं को भेजा गया था।
विख्यात इतिहासकार डोमिनिक लॉपियर और लैरी कॉलिन्स ने अपनी किताब ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ (Freedom At Midnight) में इस उद्घाटन कार्यक्रम का विस्तार से ब्योरा दिया। उनके मुताबिक गोडसे ने इस कार्यक्रम में बंटवारे के लिए महात्मा गांधी को जिम्मेदार ठहराया और इसको सहन न करने की बात कही।
जासूूसी उपन्यास और नए कपड़ों का शौकीन था: 28 साल की उम्र में ब्रम्हचर्य का व्रत लेने वाला गोडसे जासूसी उपन्यास बड़े शौक से पढ़ता था। खासकर पेरी मेसन की जासूसी कहानियां उसको पसंद थीं। ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ में दिये ब्योरे के मुताबिक गोडसे को नए कपड़े पहनने का भी शौक था।
उसके पास कहीं से थोड़े पैसे आते तो वह सीधे नए कपड़े सिलाने चला जाता। खाने-पीने और मौज-मस्ती में भी वह पीछे नहीं रहता। इतिहासकारों के मुताबिक गोडसे को अक्सर पूना के कैपिटल सिनेमा के आसपास देखा जाता। मारपीट और जासूसी पर आधारित फिल्मों को वह कभी नहीं छोड़ता था।
गांधी ही थे गोडसे के पहले आदर्श: गोडसे ने जिस गांधी की हत्या की, वही उसके पहले आदर्श थे। एनडीटीवी की एक खबर के मुताबिक गोडसे पहली बार गांधी के सत्याग्रह आंदोलन के मामले में ही जेल गया था। वह उनकी हर बात पर भरोसा करता था। लेकिन बंटवारे के बाद गांधी को अपना दुश्मन मान लिया।
डरपोक था गोडसे: इतिहासकारों के मुताबिक बंटवारे के ऐलान के बाद एक बड़ा वर्ग था, जो इसके लिए गांधी को जिम्मेदार ठहरा रहा था। जब गोडसे ने खुलेआम गांधी का विरोध शुरू किया तो ऐसे लोग गोडसे के साथ हो लिये। हालांकि गोडसे डरपोक किस्म का था और लोगों से मिलने-जुलने में डरता था।
इतिहासकार डोमिनिक लॉपियर और लैरी कॉलिन्स के मुताबिक गोडसे भीड़ से डरता था। अक्सर लोगों को अवॉइड कर देता था। वह बहाने बनाता था और कहता था कि मैं लोगों से इसलिये नहीं मिलता, ताकि चुपचाप अपना काम कर सकूं।
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