Kerala Politics: केरल में लंबे अरसे बाद बीजेपी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में एक सीट जीती थी। इसके बाद से ही बीजेपी राज्य में अपने विस्तार में मशक्कत कर रही है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी का टारगेट यह है कि ज्यादा से ज्यादा वोटों का फायदा हासिल किया जाए, और हिंदू-ईसाई वोट बैंक को एकजुट किया जाए। राज्य की सियासत में विकल्प बनने से लेकर युवाओं के बीच अपनी पैठ बनाने के लिए प्रदेश में बीजेपी की कमान राजीव चंद्रशेखर को देने की प्लानिंग कर रही है।
बीजेपी ने यह फैसला रविवार को तिरुवनंतपुरम में हुई कोर कमेटी की बैठक में लिया गया है। इसमें केरल के प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर और लोकसभा सांसद अपराजिता सारंगी भी मौजूद थे। सूत्रों के मुताबिक राजीव चंद्रशेखर को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का फैसला सर्वसम्मति से किया गया है।
सोमवार को हो सकती है नाम की घोषणा
अनुमान है कि तिरुवनंतपुरम के कौडियार में उदय पैलेस कन्वेंशन सेंटर में होने वाले पार्टी सम्मेलन में उनके नाम की घोषणा हो सकती है। इस दौरान केरल में पार्टी के संगठनात्मक चुनाव प्रभारी और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी मौजूद रहेंगे। जोशी ही राजीव चंद्रशेखर के नाम का ऐलान कर सकते हैं।
60 वर्षीय चंद्रशेखर ने कोर कमेटी की बैठक के बाद इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्हें खुशी के साथ ही बेहद सम्मान भी महसूस हो रहा है कि केरल बीजेपी के अध्यक्ष के तौर पर पार्टी के नेताओं ने उन्हें योग्य समझा है।
शशि थरूर को टक्कर देकर दिखाई थी राजीव चंद्रशेखर ने ताकत
राजीव चंद्रशेखर पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में केरल की ही तिरुवनंतपुरम सीट से चुनावी मैदान में थे। उन्होंने तीन बार के सांसद और कांग्रेस नेता शशि थरूर को कड़ी टक्कर दी थी। राजीव चंद्रशेखर, शशि थरूर से करीबी मुकाबले में 16,000 वोटों के अंतर से हार गए थे। इस सीट पर उनके परफॉर्मेंस ने बीजेपी को काफी प्रभावित किया था। उन्होंने दो महीने में ही इस सीट पर बीजेपी के लिए काफी पॉजिटिव माहौल बना दिया था और शशि थरूर को कड़ी टक्कर दी थी।
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राजीव चंद्रशेखर जाति से नायर है। पार्टी उनसे राज्य में उच्च जाति के हिंदू वोटों को एकजुट करने की उम्मीद है और प्रमुख एझावा समुदाय के नेता वेल्लपल्ली नटेसन और परिवार के साथ मधुर संबंध होने से, वह भारत धर्म जन सेना (बीडीजेएस) के साथ BJP का गठबंधन मजबूत कराने में अहम रोल निभा सकते हैं। केरल में ईसाई और मुस्लिम समुदायों के बीच बढ़ती दरार के चलते बीजेपी ऐसा नेता चाहती थी जो ईसाई समुदाय को पार्टी की ओर आकर्षित कर सके।
ईसाई वर्ग को लुभाने की नीति
केरल में ईसाई समुदाय का करीब 19 प्रतिशत वर्ग, पारंपरिक तौर पर कांग्रेस वोटर माना जाता है। कथित तौर पर कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) और सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) दोनों ही ईसाई समाज की चिंताओं को अनदेखा दे रहे हैं, जबकि मुस्लिम वर्ग के बढ़ते प्रभाव के चलते ईसाई काफी परेशान हैं।
राजीव चंद्रशेखर के लिए निकाय चुनाव होगा पहला बड़ा टेस्ट
राजीव चंद्रशेखर के लिए केरल में सबसे बड़ी चुनौती अक्टूबर में होने वाले स्थानीय निकाय चुनाव होंगे, जहां बीजेपी ज्यादा से ज्यादा नगर निगमों पर जीत हासिल करने की सोच रही है। उनसे तिरुवनंतपुरम नगर निगम में भाजपा के प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद है, और वहां जीत नेमम और कझाकूटम विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकती है, जहां पार्टी का अच्छा खासा समर्थन आधार माना जाता है।
हालांकि, सूत्र य भी बताते हैं कि चंद्रशेखर को केरल बीजेपी में गुटबाजी भी चंद्रशेखर के लिए एक चुनौती हो सकती है, क्योंकि इसमें एक बड़ा वर्ग उन्हें “बाहरी व्यक्ति” मानता है। पार्टी के एक नेता ने कहा कि उन्हें नेताओं और कार्यकर्ताओं को विश्वास में लेने और लोगों को एकजुट रखने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। बीजेपी के सूत्रों ने कहा है कि पार्टी केरल में भी अपनी चुनावी रणनीति को दोहराना चाहती है।
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RSS भी है राजीव चंद्रशेखर के साथ
इंडियन एक्सप्रेस ने एक सूत्र के हवाले से कहा कि बीजेपी केरल में (प्रधानमंत्री) नरेंद्र मोदी को अपना शुभंकर बनाने की योजना बना रही है। इसलिए, राज्य और राष्ट्रीय नेतृत्व को एक साथ लाया जाना चाहिए। अगर मोदी का व्यक्तित्व और (केंद्रीय गृह मंत्री) अमित शाह की रणनीति केरल की राजनीति को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाती है, तो हमें ऐसे नेता की जरूरत है, जिसके पास BJP के विकास की राजनीति के एजेंडे का राष्ट्रीय दृष्टिकोण हो।”
BJP नेताओं ने कहा कि केरल के सफ़ेदपोश नेताओं के विपरीत चंद्रशेखर एक नया चेहरा होंगे और अपनी टेक्नोक्रेट-उद्यमी छवि के साथ, केरल के शिक्षित युवाओं को पार्टी की ओर आकर्षित कर सकते हैं। उनको लेकर आरएसएश विचारक और बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय पदाधिकारी बालाशंकर ने कहा है कि चंद्रशेखर व्यापक रूप से स्वीकार्य हैं। वे पारंपरिक राजनीतिक व्यक्तित्व से एक ताज़ा बदलाव हैं और एक सफल टेक्नोक्रेट-उद्यमी के साथ-साथ एक अनुभवी राजनेता के रूप में सम्मानित और प्रसिद्ध हैं।
RSS नेता ने राजीव चंद्रशेखर को लेकर कहा कि वे लंबे समय से राज्यसभा सांसद हैं और चुनावी रूप से स्वीकार्य चेहरा हैं, जैसा कि हमने पिछले लोकसभा चुनाव में देखा था, जब उन्होंने तिरुवनंतपुरम से चुनाव लड़ा था, जहां उन्होंने लगभग सीट जीत ली थी लेकिन अंत में उन्हे छोटे अंतर से हार का सामना करना पड़ा।
ईसाई वोटर्स को लुभाने का प्लान
केरल बीजेपी की राजनीति में राजीव चंद्रशेखर के प्रमुख के रूप में प्रवेश से ईसाई समुदाय को बीजेपी की ओर आकर्षित करने के प्रयासों की एक नई लहर शुरू होने की उम्मीद है। हाल के दिनों में तिरुवनंतपुरम की उनकी यात्राओं में वे हमेशा चर्च के किसी नेता से मुलाकात करते थे।
दूसरी ओर मोदी ईसाई बहुल गोवा और पूर्वोत्तर राज्यों में BJP की सफलता का हवाला देते हुए समुदाय के साथ समुदाय के बढ़ते जुड़ाव को जनता के बीच ले जाते हैं। पिछले चुनावों में थोड़ी सफलता का स्वाद चखने के बाद पार्टी को केरल में फिर से बढ़त हासिल करने की उम्मीद है। हालाँकि, मणिपुर में 2023 में जातीय संघर्ष भड़कने के बाद बीजेपी के प्रयासों को झटका लगा है, जहाँ कई ईसाई हमले की चपेट में आ गए थे।
दूसरी ओर बीजेपी नेताओं ने कहा कि चंद्रशेखर जैसे सौम्य और स्पष्टवादी नेता केरल में विभिन्न चर्च समूहों के नेताओं के साथ बातचीत करने और धीरे-धीरे समुदाय का विश्वास जीतने में सक्षम होंगे। तीन बार राज्यसभा सांसद रहे चंद्रशेखर को जुलाई 2021 में मोदी कैबिनेट में शामिल किया गया था और उनका वैश्विक दृष्टिकोण है, जो शासन को आगे बढ़ाता है।
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