Mukesh Chandrakar Murder Case: छत्तीसगढ़ में बीजापुर में पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या के केस में बीजापुर पुलिस पुलिस ने चार आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में 1,200 पन्नों से ज्यादा पन्नों का आरोप पत्र दाखिल किया है। पुलिस के अनुसार, मुकेश की हत्या का मुख्य आरोपी ठेकेदार सुरेश चंद्राकर था, जो कि उसका रिश्तेदार भी था।

मुकेश ने ठेकेदार सुरेश चंद्राकर पर आरोप लगाया था कि उसने घटिया सड़क निर्माण कार्य किया था और उसने मीडिया में यह सच उजागर किया था। यही मुकेश चंद्राकर की हत्या की वजह बन गया था। पुलिस के अनुसार, सुरेश के भाई रितेश और एक कर्मचारी महेंद्र रामटेके ने हत्या को अंजाम दिया था।

लोहे की रॉड से किए गए कई वार

इस केस की जांच कर रहे बीजापुर पुलिस का कहना है कि मुकेश को लोहे की रॉड से कई बार मारा गया और उसके शव को टैंक में फेंक दिया गया, जिसे बाद में कंक्रीट से ढक दिया गया।

2 जनवरी को गुमशुदगी की शिकायत की जांच करते समय पुलिस को पता चला था कि मुकेश चंद्राकर के फोन की आखिरी लोकेशन सुरेश की प्रॉपर्टी पर थी। प्रॉपर्टी में 14 कमरे और एक बैडमिंटन कोर्ट है, जिसकी तलाशी के दौरान टैंक पर हाल ही में बिछाए गए कंक्रीट के कवर के अंदर से मुकेश का शव बरामद हुआ।

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घटिया निर्माण कार्य की दिखाई थी रिपोर्ट

पुलिस ने फिर आरोपी रितेश की तलाश शुरू की, जिसने उस रात मुकेश को मिलने के लिए बुलाया था। जांच के दौरान, पुलिस को पता चला कि आरोपी मुकेश से नाराज थे क्योंकि उसने बीजापुर में घटिया सड़क निर्माण कार्य के बारे में NDTV द्वारा प्रकाशित एक समाचार रिपोर्ट पर काम किया था, जहां सुरेश मुख्य ठेकेदार था।

इस समाचार रिपोर्ट के बाद न केवल इस सड़क निर्माण परियोजना पर बल्कि सुरेश द्वारा संचालित दो अन्य परियोजनाओं पर भी जांच शुरू हुई। तीनों सड़क परियोजनाओं की अनुमानित लागत लगभग 170 करोड़ रुपये थी। सुरेश, रितेश और महेंद्र के अलावा आरोपपत्र में ठेकेदार के भाई दिनेश का भी नाम है।

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पुलिस के पास हैं 72 गवाह

पुलिस के मुताबिक इस मामले में 72 गवाह हैं और साक्ष्य में सीसीटीवी फुटेज और कॉल डेटा रिकॉर्ड विश्लेषण शामिल हैं। हत्या मामले की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) का नेतृत्व करने वाले अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मयंक गुर्जर ने कहा कि जांच के दौरान डिजिटल और फिजिकल साक्ष्यों की बारीकी से निगरानी की गई और उन्हें आरोपपत्र में उचित रूप से शामिल किया गया। चारों आरोपियों को अदालत से कड़ी सजा दिलाने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं।

कई बार दी थीं धमकियां

हत्या के मकसद के बारे में पूछे जाने पर एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सुरेश मुकेश से इसलिए नाराज था क्योंकि उन्होंने घटिया सड़क निर्माण कार्य को उजागर किया था। उनके खिलाफ जांच के कारण उनके परिसरों पर जीएसटी छापे भी पड़े और उन पर करीब 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया। पुलिस अधिकारी ने बताया कि हत्या से पहले सुरेश ने मुकेश को कई बार फोन किया था। उसे चिंता थी… उसका साम्राज्य टूट जाएगा। साथ ही हत्या से कुछ दिन पहले सुरेश ने उससे मुलाकात की और उसे धमकाया था।

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