सुशील राघव
खाने के प्रति युवाओं में पहले की अपेक्षा दिलचस्पी ज्यादा बढ़ रही है, इसलिए खाद्य प्रौद्योगिकी आज के युवाओं के लिए एक आकर्षक करिअर के रूप में सामने आया है। हमारे देश ने खाद्य प्रसंस्करण के रूप में एक ऐसे उद्योग क्षेत्र को जन्म दिया है, जो पांच करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार दे रहा है। प्रोसेस्ड फूड तैयार करने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियां दुनियाभर से जहां भारत का रुख कर रही हैं। वहीं फिक्की की एक रिपोर्ट के मुताबिक खाद्य प्रसंस्करण के कारोबार में भारत में कुशल लोगों की कमी है। ऐसे में आने वाले समय में खाद्य प्रौद्योगिकी का भविष्य बहुत ही सुनहरा होने वाला है। अनुमान है कि 2024 तक खाद्य प्रसंस्करण उद्योग 50,500 अरब रुपए से अधिक का हो जाएगा।

शैक्षणिक योग्यता

अगर आप खाद्य प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपना करिअर बनाना चाहते हैं, तो भौतिक, रसायन, बायो केमिस्ट्री व जीव विज्ञान या गणित विषयों के साथ आपने बारहवीं कम से कम 50 फीसद अंकों के साथ पास की हो। बीटेक में जेईई मुख्य परीक्षा के परिणाम के आधार पर दाखिले होते हैं। स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में दाखिला लेने के लिए खाद्य प्रौद्यागिकी से संबंधित विषयों में स्नातक की डिग्री भी आवश्यक होती है।

पाठ्यक्रम

बीएससी (ऑनर्स) खाद्य प्रौद्योगिकी
बीटेक खाद्य प्रौद्योगिकी
एमटेक खाद्य प्रौद्योगिकी
पीजी डिप्लोमा (खाद्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)
एमबीए (एग्री बिजनेस मैनेजमेंट)

संस्थान

दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, दिल्ली
बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश
कानपुर विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश
मुंबई विश्वविद्यालय, महाराष्ट्र
नागपुर विश्वविद्यालय, महाराष्ट्र
कोलकाता विश्वविद्यालय, कोलकाता
महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विवि, मध्य प्रदेश
गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, पंजाब

वेतन और कार्य

खाद्य प्रौद्योगिकी में नौकरी के लिए आपके पास दो क्षेत्र होते हैं। एक है गुणवत्ता और दूसरा होता है उत्पादन क्षेत्र। दोनों ही क्षेत्रों में शुरुआती तौर पर आपको 15 से 20 हजार की नौकरी मिल सकती है। कुछ सालों के अनुभव के बाद यह वेतन 50 हजार रुपए प्रतिमाह या इससे भी अधिक तक पहुंच सकता है। अगर कोई युवा स्वरोजगार से जुड़ता है तो उसकी कमाई और बढ़ सकती है। इस क्षेत्र में वेतन और काम दोनों दिलचस्प होते हैं। इसके अलावा इस क्षेत्र में विदेश में भी नौकरी के अवसर उपलब्ध होते हैं।
खाद्य प्रौद्योगिकी में पाठ्यक्रम करने के बाद नौकरी के कई सारे विकल्प होते हैं। खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों, रिटेल कंपनियों, होटल, कृषि उत्पाद बनाने वाली कंपनियों से जुड़ा जा सकता है। या फिर खाद्य वस्तुओं की गुणवत्ता जांचने, उनके निर्माण कार्य की निगरानी करने और खाद्य वस्तुओं को संरक्षित करने की तकनीकों पर काम करने वाली प्रयोगशालाओं से भी जुड़ सकते हैं।

खाद्य प्रौद्योगिकीविदों के कार्य

खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के तहत वे सभी कार्य शामिल हैं, जिनसे प्रोस्सेड फूड जैसे-मक्खन, सॉफ्ट ड्रिंक, जैम व जेली, फलों का रस, बिस्कुट, आइसक्रीम आदि की गुणवत्ता, स्वाद और रंग-रूप बरकरार रह सके। इसके अलावा वह कच्चे और बने हुए माल की गुणवत्ता, भंडारण, साफ-सफाई आदि की निगरानी भी करता है। वह कंपनी के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। कच्चे माल से लेकर उत्पाद तैयार होने तक कंपनी को उसकी हर स्तर पर जरूरत होती है। वैश्विक स्तर पर कंपनी का भविष्य खाद्य प्रौद्योगिकीविदों पर ही निर्भर रहता है।
दो भागों में बंटा है क्षेत्र
उत्पाद निर्माण की प्रक्रिया : इस प्रक्रिया के जरिए कच्चे कृषि उत्पादों और मांस आदि पशु उत्पादों के भौतिक स्वरूप में बदलाव लाया जाता है। इससे यह उत्पाद खाने और बिक्री योग्य बन जाते हैं।
मूल्य संवर्धन प्रक्रिया : इसके जरिए कच्चे खाद्य उत्पादों में कई ऐसे बदलाव किए जाते हैं जिससे वह ज्यादा समय के लिए सुरक्षित रहते हैं और कभी भी खाने लायक बन जाते हैं। उदाहरण के लिए टमाटर से बने सॉस और दूध से तैयार आइसक्रीम जैसे उत्पादों को देखा जा सकता है।

ये गुण हैं जरूरी
खाद्य प्रौद्योगिकीविद बनने के इच्छुक युवाओं को विज्ञानी सोच वाला होना जरूरी है। उनकी तकनीकी विकास, स्वास्थ्य एवं पोषण में रुचि होनी चाहिए। इसके साथ ही वह फैसले लेने की क्षमता वाला होने चाहिए। उनके अंदर जिम्मेदारी व टीम के साथ काम करने की क्षमता भी होनी चाहिए।
इसके साथ ही अच्छा संचार कौशल का होना भी जरूरी है।

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