रोजगार और करिअर की दृष्टि से ज्यादातर क्षेत्रों में अंग्रेजी में निपुणता आजकल लगभग जरूरी शर्त बन गई है। दूसरी ओर, हमारे शिक्षा संस्थानों में अंग्रेजी की पढ़ाई के दो अलग-अलग मायने हैं। एक तो है अंग्रेजी भाषा में सही और प्रभावशाली संप्रेषण व अभिव्यक्ति और दूसरा है अंग्रेजी साहित्य का ज्ञान। इसमें संदेह नहीं कि ये दोनों आपस में जुड़े हुए भी हैं। आम तौर पर इस विषय का अध्ययन करने वाले लोगों से यह अपेक्षा रहती है कि अंग्रेजी में लेखन और बोलचाल के रूप में उनकी अभिव्यक्ति दूसरों से बेहतर व ज्यादा सशक्त और प्रभावशाली हो। बहरहाल भाषा और साहित्य के ज्ञान के इस अंतर को समझ लेना जरूरी है। कॉलेज और विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आवेदन करने वालों की तादाद से ही अनुमान लगाया जा सकता है कि इसमें रोजगार और करिअर के लिए संभावनाओं के द्वार खोलने की कितनी क्षमता है।

बढ़ा वर्चस्व
बीते हुए दो दशकों में इंटरनेट, कंप्यूटर, मोबाइल आदि पर आधारित हमारी पूरी अर्थव्यवस्था में भी अंग्रेजी का वर्चस्व साफ देखा जा सकता है। इसके बावजूद यह देखा गया है कि ज्यादातर युवाओं के सामने अंग्रेजी का अध्ययन करते हुए यह स्पष्ट नहीं होता कि इसमें रोजगार की संभावनाएं किस तरह की हैं और इसकी सहायता से करिअर बनाने के कौन कौन से विकल्प मौजूद हैं। एक बात स्पष्ट रूप से समझ लेना जरूरी है कि मात्र डिग्री या प्रमाणपत्र प्राप्त कर लेने से करिअर नहीं बनता। इसके लिए अंग्रेजी में लिखने और बोलने दोनों तरह की क्षमता अर्जित करने और निरंतर अभ्यास से उसका विकास करने की जरूरत होती है। दरअसल, यही वह कुंजी है, जिससे किसी भी व्यावसायिक क्षेत्र में आपके लिए सफलता के द्वार खुलने लगते हैं।

शिक्षण क्षेत्र
सामान्य तौर पर आज भी यह मान लिया जाता है कि अंग्रेजी में डिग्री हासिल करने वाला व्यक्ति शिक्षक ही बनेगा। इसमें संदेह नहीं कि आज भी शिक्षक बनने के उद्देश्य से ही ज्यादातर लोग अंग्रेजी में एमए करते हैं। इनमें से कुछ शोध करके और अंग्रेजी साहित्य में विशेषज्ञता हासिल करके किसी स्कूल, कॉलेज या विश्वविद्यालय में अध्यापन करते हैं। एमए करने वालों में कुछ ऐसे भी हैं जो प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अंग्रेजी की कोचिंग देना शुरू कर देते हैं। विदेश जाने के इच्छुक लोगों को आइईएलटीएस के लिए कोचिंग देने का भी काफी चलन है। अंग्रेजी बोलने के पाठ्यक्रम भी छोटे-बड़े सभी शहरों में प्रचलित हैं।

अन्य विकल्प
वैसे शिक्षण और शोध के अलावा अन्य विकल्पों की बात की जाए तो कार्पोरेट जगत में प्रवेश कर के अपना करिअर बनाने के इच्छुक युवाओं को सबसे पहले अंग्रेजी में महारत हासिल कर लेनी चाहिए। पर्यटन क्षेत्र, जनसंचार, प्रकाशन, विज्ञापन, बीमा, बीपीओ, अनुवाद, इवेंट मैनेजमेंट, संपादन, सोशल मीडिया, सृजनात्मक लेखन, प्रसारण, समाज सेवा, पर्यावरण संरक्षण, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन जैसे विविध क्षेत्रों में भी अंग्रेजी में निपुणता सुनहरे अवसरों और संभावनाओं का एक पूरा संसार आपके सामने खोल देती है। विकल्प इतने ज्यादा होते हैं कि यह निर्णय करना मुश्किल हो जाता है कि किस क्षेत्र को चुना जाए।

ऐसे तय करें क्षेत्र
यह अत्यंत महत्त्वपूर्ण सवाल है कि अंग्रेजी का पर्याप्त ज्ञान हासिल करने के बाद उपयुक्त क्षेत्र का चुनाव कैसे किया जाए। इसका एक आसान तरीका है कि आप खुद से तीन सवाल पूछें और पूरी ईमानदारी से उनके उत्तर दें। सबसे पहले अपनी क्षमताओं और सीमाओं का आकलन करें। दूसरे, उस विकल्प में संभावित आय, वेतन आदि की समीक्षा करें। तीसरा सवाल यह है कि उस रोजगार में सामाजिक स्थिति में सुधार और दूरगामी विकास की संभावनाएं कैसी हैं।

बढ़ रही है मांग
अनेक ऐसे क्षेत्र इन दिनों विकसित हो रहे हैं, जिनमें युवा चेहरे अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं। स्वाभाविक है कि समाचार वाचन, मंच संचालन, रिपोर्टिंग, पॉडकास्ट, विज्ञापन, कंटेंट राइटिंग, संपादन, संपादन सहयोग, अनुवाद जैसी गतिविधियों की जरूरत बढ़ने के साथ-साथ इनके लिए उत्साही, कर्मठ और सक्षम युवाओं की मांग भी व्यावसायिक क्षेत्रों में बढ़ती जा रही है। बहुत से युवा कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक और लघु फिल्म के लिए स्क्रिप्ट आदि लिखने की अपनी प्रतिभा के बल पर अपना भविष्य बना सकते हैं। पब्लिक रिलेशंस के क्षेत्र में भी अक्सर अंग्रेजी में बातचीत और लेखन करने वाले युवाओं को प्राथमिकता दी जाती है। विज्ञापन एजंसियों में सृजनशील कॉपी राइटर्स की जरूरत रहती है। इसी तरह पुस्तकें पढ़ने या फिल्मों में रुचि रखने वाले लोग पुस्तकों और फिल्मों की समीक्षा का काम बखूबी कर सकते हैं। इस तरह के बहुत सारे रोजगार के नवीन अवसर अब सामने आने लगे हैं, जिनमें अंग्रेजी भाषा के इस्तेमाल में निपुण युवाओं की बहुत जरूरत महसूस की जा रही है।

– दिनेश दधीचि
(सेवानिवृत्त शिक्षक, कुरुक्षेत्र विवि)



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