Jammu and Kashmir, Article 370: जम्मू कश्मीर के सरकारी और प्राइवेट स्कूल के बच्चे जल्द ही अपनी किताबों में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बारे में पढ़ेंगे। जम्मू कश्मीर बोर्ड द्वारा पब्लिश की गई नई किताबों में कश्मीर से विशेष दर्जा छीने जाने का जिक्र तो होगा, लेकिन राज्य में इंटरनेट बंदी से लेकर नेताओं की हिरासत के बारे में किताबों में कोई जानकारी नहीं होगी। पाठ्यक्रम में यह बदलाव जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दोनों ही केंद्र शासित प्रदेशों में लागू होगा। जहां कश्मीर और लद्दाख में यह नवंबर-दिसंबर के एकेडमिक सेशन से लागू किया जाएगा, वहीं जम्मू के छात्रों के लिए नई किताबें मार्च में ही आ जाएंगी।

द वायर की रिपोर्ट के मुताबिक, 10वीं कक्षा की नई किताबों में एक नया चैप्टर शामिल किया गया है। इसका नाम है- ‘द जम्मू एंड कश्मीर रिऑर्गनाइजेशन एक्ट 2019।’ चैप्टर के प्राक्कथन (इंट्रोडक्शन) में लिखा है, “संसद के दोनों सदनों में पास हुए प्रस्ताव के आधार पर राष्ट्रपति ने 6 अगस्त को अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को रद्द कर दिया, सिवाय क्लॉज-1 के। इसके जरिए जम्मू-कश्मीर के स्थाई निवासियों को मिले विशेषाधिकारों का अंत हुआ और वे भारत के सामान्य नागरिकों की श्रेणी में शामिल हुए।”

इंट्रो में आगे लिखा है, “6 अगस्त को ही संसद ने जम्मू कश्मीर रिऑर्गनाइजेशन एक्ट ऑफ 2019 पास किया। राष्ट्रपति ने 9 अगस्त 2019 को इसे मंजूरी दी। इसके जरिए जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटा गया। एक जम्मू-कश्मीर और दूसरा लद्दाख।”

इस चैप्टर के ‘ऐतिहासिक पृष्ठभूमि’ सेक्शन में बताया गया है कि जम्मू कश्मीर रिऑर्गनाइजेशन एक्ट 31 अक्टूबर 2019 से लागू हुआ और यह जम्मू-कश्मीर के संविधान के ऊपर रखा गया।

इस चैप्टर में नई धारा और प्रावधानों की भी जानकारी दी गई है। इसके अलावा आरक्षण और केंद्रीय कानूनों के लागू करने की भी बात है। हालांकि, इसमें 5 अगस्त के बाद से राज्य में जारी इंटरनेट शटडाउन के विषय में कुछ नहीं बताया गया। इसके अलावा राजनीतिक दलों के नेताओं, युवाओं और सिविल सोसाइटी के सदस्यों की हिरासत के बारे में भी कोई जानकारी नहीं है। न ही इसमें पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) के तहत हिरासत में रखे गए पूर्व मुख्यमंत्रियों पर कुछ कहा गया।

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