पिछले कुछ सालों में, टेक्नोलॉजी से आए उतार-चढ़ावों के बीच दुनिया कोविड की वजह से कई बड़े बदलावों की गवाह बनी है। द फ़ाइनेंशियल टाइम की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर के कई देशों में मौजूदा बुरे दौर के बावजूद स्टार्टअप्स में एक बूम देखने को मिला है। इस बूम ने कुछ हद तक अनिश्चितता और स्टार्टअप्स के बंद होने में भी अहम भूमिका अदा की है। औपचारिक क्षेत्र की नौकरियों और एंट्रेप्रिन्योरशिप (स्वरोजगार) से जुड़ी ज़रूरतों में जबर्दस्त बदलाव हुआ है। साथ ही, इनका फ़ोकस अब क्रिएटिविटी, नया करने की पहल और रचनात्मक सोच पर है। अभी के समय में मैनेजर्स को नई चीज़ों के लिए तैयार करना ज़रूरी है, ताकि वे आने वाले समय में कामकाज के प्रतिस्पर्धी और अस्थिर माहौल में आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ सकें।
हालांकि, इस अवसर में एक ज़रूरी बात यह है कि अगर किसी व्यक्ति के पास सही माइंडसेट और स्किल्स न हों, तो एंट्रेप्रिन्योरशिप टेढ़ी खीर साबित हो सकती है। आज के युवाओं में एंट्रेप्रिन्योरशिप को बढ़ावा देना इस समय शैक्षणिक संस्थाओं की बुनियादी जिम्मेदारी बन गई है। एंट्रेप्रिन्योर से हम क्या समझते हैं? शायद, दुनियाभर के लोगों के दिमाग में यह शब्द सुनते ही सूट-बूट पहने एक ऐसे स्मार्ट यंगस्टर की छवि उभर आती है जो एक खूबसूरत गगनचुंबी इमारत में है और जिसमें शानदार तरीके से बात करने की कला है और जो अपने यूनीक आइडिया के साथ इन्वेस्टर्स को लुभाने के लिए पूरी तरह तैयार है। लेकिन क्या हम कह सकते हैं कि अपने अनूठे आइडिया और नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके फ़सलों की पैदावार को बढ़ाने वाला किसान भी किसी एंट्रेप्रिन्योर से कम नहीं है? दरअसल, हम सभी एंट्रेप्रिन्योरशिप के मूल आइडिया के बजाय उसे लेकर बनी एक छवि के इर्द-गिर्द सीमित हैं।
एंट्रेप्रिन्योरियल स्पिरिट सही मायने में एक सोचने का एक तरीका है, एक माइंडसेट है, एक एटिट्यूड है जिसमें किसी की बदली हुई चीज़ों को स्वीकार करने से ज़्यादा बदलावों को करने के लिए ऐक्टिव रहने की बात होती है। यह एक अप्रोच है जिसमें इनोवेशन होते हैं, रचनात्मक सवाल होते हैं, समस्याओं को पहचानने और अपनी जानकारियों का इस्तेमाल करके उनका स्थायी समाधान ढूंढने का काम होता है। एंट्रेप्रिन्योरशिप का मतलब एक बड़ा सपना देखना, सतर्क और फुर्तीला होकर उसे हासिल करना और नए अवसरों को ढूंढना है। यह नपे-तुले जोखिम लेने की भूख है, कभी आगे बढ़ना और कभी नाकाम हो जाना। सक्रिय संगठन एन्ट्रेप्रिन्योरियल स्पिरिट दिखाते हुए लगातार जिज्ञासु कर्मचारियों की तलाश में रहते हैं, जो सितारों के ख्वाब भी देखने के साथ-साथ अपने सपनों को महसूस करने का साहस और दृढ़ता भी रखते हैं।
भारत की जनसंख्या का करीब 60 प्रतिशत हिस्सा कामकाजी है, ऐसे में देश को उत्साहित और इनोवेटिव एंट्रेप्रिन्योर्स की ज़रूरत है। अगर युवाओं में ज़रूरी स्किल्स और इच्छाशक्ति की कमी रही, तो हम इस युवाशक्ति से ज़्यादा कुछ हासिल नहीं कर पाएंगे। दुर्भाग्य से, मौजूदा शिक्षा प्रणाली से देश में नौकरियों के अवसर पैदा करने वालों के बजाय नौकरी मांगने वाले बढ़ते जा रहे हैं। आईएमएस गाज़ियाबाद में, 32 सालों की विरासत के बूते हमेशा से हमारा फ़ोकस युवाओं को 21वीं सदी के लिए ज़रूरी अच्छी स्किल्स देना रहा है, ताकि हम उन्हें कारोबार के मौजूदा माहौल की मुश्किल चुनौतियों से निपटने में सक्षम बना सकें। छात्र-छात्राएं अपने यूनीक आइडिया पर काम कर सकें, इसके लिए इंस्टिट्यूट में कई तरह की सुविधाएं हैं।
इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए हमने कई तरह की नई पहल की हैं। सेंटर ऑफ़ इनोवेशन ऐंड एंट्रेप्रिन्योरशिप (CIE) इन्हीं में से एक है। इसकी शुरुआत इस भरोसे के साथ की गई है कि एंट्रेप्रिन्योरशिप से भारत के इन्वेंटिव पॉटेंशियल को पूरी तरह से भुनाया जा सकता है। इसी भरोसे के साथ आईएमएस गाजियाबाद भारत के एंट्रेप्रिन्योरियल इकोसिस्टम को विकसित करने में मदद करने का लक्ष्य रखता है। इसके लिए छात्रों, पेशेवरों, मौजूदा और भावी एंट्रेप्रिन्योर्स, मेंटॉर्स, एंजिल इन्वेस्टर्स, वेंचर कैपिटल फ़र्म्स और कॉर्पोरेट वर्ल्ड के साथ आसान और प्रभावी संवाद स्थापित किया जाता है।
ऐसे संवाद के लिए अलग-अलग तरह के सेशन, कॉम्पीटिशन, कॉन्फ़्रेंस वगैरह की मदद ली जाती है। छात्रों, फ़ैकल्टी और एक्सपर्ट्स की सहभागिता के साथ, आईएमएस गाजियाबाद के CIE का मिशन युवाओं को उनके आइडिया को सफल बिज़नेस में बदलने के लिए प्लैटफ़ॉर्म देना और एंट्रेप्रिन्योरशिप की स्पिरिट को बढ़ावा देना, बरकरार रखना और उसकी प्रैक्टिस करना है। एक इनक्यूबेशन सेंटर है, जिससे एंट्रेप्रिन्योर्स को उनके स्टार्टअप्स को व्यापक, लाभदायी और टिकाऊ बिज़नेस में बदलने में सहयोग मिलता है।
कॉर्पोरेट डेवलपमेंट ऐंड एक्सीलेंस सेंटर (CDEC), आईएमएस गाजियाबाद का एक फ़्लैगशिप ट्रेनिंग और कंसल्टिंग वर्टिकल है। इसका उद्देश्य संगठन को शर्तिया ऑफ़र देकर विश्वस्तरीय ट्रेनिंग और कंसल्टिंग सर्विसेस देना है। हाल ही में हमने ‘पीयर टू पीयर मेंटॉरिंग’ सेशन की शुरुआत की है। इसके लिए हमने दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक प्रतिष्ठित संस्थान से हाथ मिलाया है। इन सेशन में आईएमएस गाजियाबाद के छात्र-छात्राएं अपने साथी छात्र-छात्राओं को सिखाएंगे। इस तरह दोनों ही इंस्टिट्यूट के छात्र-छात्राओं की क्रिएटिविटी और सीखने की कला को बढ़ावा मिलेगा।
आईएमएस गाजियाबाद में छात्र-छात्राओं को बिज़नेस डेवलपमेंट, कॉम्पीटिटिव एनालिसिस और सस्टेनेबिलिटी में अपनी स्किल्स बेहतर बनाने के कई अवसर मिलते हैं। नियमित रूप से गेस्ट लेक्चर्स, सेमिनार, पैनल डिस्कशन, वर्कशॉप, सर्वे और रिसर्च ऐक्टिविटी की जाती हैं, ताकि छात्र-छात्राओं को एंट्रेप्रिन्योर्स, वेंचर कैपिटलिस्ट्स और कॉर्पोरेट वर्ल्ड के अन्य एक्सपर्ट्स के साथ जुड़ने और उनसे बातचीत करने का अवसर मिले। इसी उद्देश्य के लिए क्रिएटिव प्रॉडक्ट और सर्विसेस डेवलप करने की प्रक्रिया जारी है।
बड़े शिक्षण संस्थानों को, याद रखने और रटने की पारंपरिक शिक्षा पद्धति से हटकर स्वतंत्र विचारों, क्रिएटिविटी और इनोवेशन को बढ़ावा देने वाले शानदार सिस्टम को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास करने चाहिए। आजीवन सीखने की क्षमताओं को लेकर बदलावों के साथ, आईएमएस गाजियाबाद नए दौर के एंट्रेप्रिन्योर्स और लीडर्स तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह प्रतिबद्धता ऐसे छात्र-छात्राओं के लिए है जिनमें कुछ बड़े सपने देखने और उनकी कल्पना करने की क्षमता है। साथ ही, सहानुभूति, कृतज्ञता और विनम्रता दिखाने की योग्यता है।
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