नई दिल्ली: मौजूदा समय में देश में आईएएस के बहुत से पद खाली पड़े हैं। स्वीकृत पद संख्या से करीब 22 फीसदी से कम मौजूदा समय में आईएएस अधिकारी हैं। यह जानकारी बुधवार को पीएमओ राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने संसद में दी।
पीएमओ राज्य मंत्री कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन जितेंद्र सिंह ने बुधवार को लोकसभा को बताया कि 1 जनवरी 2021 तक देश में 5,231 आईएएस अधिकारी थे, जो 6,746 की स्वीकृत संख्या से 1515 (22.45 प्रतिशत) कम थे। कुल 3787 अधिकारी आईएएस में सीधी भर्ती थे, जबकि 1444 को पदोन्नत (राज्य सिविल सेवा/गैर-एससीएस) किए गए थे।
गुरुवार को सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता वाली लोक शिकायत, कानून और न्याय पर विभाग-संबंधित संसदीय स्थायी समिति ने संसद के दोनों सदनों में पेश की गई अपनी 112वीं रिपोर्ट में कहा कि बहुत बड़ी कमी है। आईएएस अधिकारियों की स्थिति के बीच का अंतर यूपी कैडर में 104, बिहार कैडर में 94 और एजीएमयूटी कैडर में 87 जितना बड़ा है।
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साल 1951 में भी भारतीय सिविल सेवा (आईसीएस) के 336 सहित 957 अधिकारी थे, जबकि स्वीकृत संख्या 1232 यानी 275 या 22.32 प्रतिशत सीटें खाली थीं। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार कमी तब से बनी है। यह 2001 में सबसे कम (0.79 प्रतिशत) और 2012 में सबसे अधिक (28.87 प्रतिशत) थी। यूपीए शासन के 10 वर्षों में औसतन 19 प्रतिशत पद रिक्त थे। वहीं एनडीए सरकार के पिछले सात वर्षों के दौरान यह संख्या 22.58 प्रतिशत रही है।
ऐसे किया जाता है स्वीकृत पद का निर्धारण
संबंधित संवर्ग नियमों के अंतर्गत अखिल भारतीय सेवाओं के प्रत्येक संवर्ग के लिए पंचवर्षीय संवर्ग समीक्षा का प्रावधान है। कैडर समीक्षा समिति (सीआरसी) की अध्यक्षता कैबिनेट सचिव द्वारा की जाती है, जिसमें सचिव डीओपीटी, सचिव व्यय, सचिव प्रशासनिक मंत्रालय (आईएएस के अलावा अन्य सेवाओं के लिए), और सेवा/संवर्ग के सबसे वरिष्ठ सदस्य इसके सदस्य होते हैं। कैडर समीक्षा एक सतत प्रक्रिया है और कुछ राज्यों को हर साल समीक्षा के लिए रोटेशन द्वारा लिया जाता है।
यह है आईएएस अधिकारियों के भर्ती की प्रक्रिया
सीधी भर्तियों का चयन हर साल सिविल सेवा परीक्षा (सीएसई) के माध्यम से किया जाता है। भर्तियों की संख्या एक समिति द्वारा तय की जाती है, जो कई मानकों को ध्यान में रखती है। साल 2012 से अब तक CSE के माध्यम से हर साल 180 आईएएस अधिकारियों की भर्ती की जा चुकी है। जितेंद्र सिंह ने बुधवार को लोकसभा को बताया कि सीएसई-2022 से 2030 तक हर साल आईएएस अधिकारियों की भर्ती निर्धारित करने के लिए एक समिति का गठन किया गया है।
यह काम करते हैं आईएएस अधिकारी
आईएएस अधिकारियों को उच्च स्तरीय जिम्मेदारियों की एक विस्तृत श्रृंखला दी जाती है। राज्यों में उनका काम राजस्व संग्रह, कानून और व्यवस्था के रखरखाव और केंद्र और राज्य सरकारों की नीतियों के पर्यवेक्षण से संबंधित है। राजस्व मामलों में कार्यकारी मजिस्ट्रेट और विकास आयुक्त के रूप में कार्य करते हैं। सार्वजनिक धन के खर्च की निगरानी करते हैं और वरिष्ठ स्तर पर मंत्रियों के परामर्श से नीति निर्माण और निर्णय लेने में योगदान करते हैं। प्रतिनियुक्ति के तहत केंद्र सरकार में भी काम करते हैं।
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