वित्त सचिव अजय भूषण पांडे ने मंगलवार (28 जुलाई, 2020) को एक मीटिंग में संसदीय स्थायी समिति (वित्त) को बताया कि सरकार मौजूदा राजस्व बंटवारे के फार्मूले के अनुसार राज्यों को उनकी जीएसटी हिस्सेदारी का भुगतान करने की स्थिति में नहीं हैं। अंग्रेजी अखबार द हिंदू ने सूत्रों के हवाले से ये जानकारी दी है। बता दें कि वित्त समिति के अध्यक्ष भाजपा सांसद जयंत सिन्हा है।

समिति की बैठक में भाग लेने वाले कम से कम दो सदस्यों के मुताबिक कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन के चलते राजस्व की कमी पर एक सवाल के जवाब में वित्त सचिव ने ये टिप्पणी की। इसके बाद सदस्यों ने सवाल किया कि सरकार राज्यों की प्रतिबद्धता पर किस तरह से अंकुश लगा सकती है। नाम ना जाहिर करने की शर्त में एक सदस्य ने बताया कि इसके जवाब में पांडे ने कहा, ‘अगर राजस्व संग्रह एक निश्चित सीमा से नीचे चला जाता है तो जीएसटी एक्ट में राज्य सरकारों को मुआवजा देने के फार्मूले को फिर से लागू करने के प्रावधान हैं।’

बीते सोमवार को वित्त मंत्रालय ने बताया कि केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जीएसटी मुआवजे की 13,806 करोड़ की अंतिम किस्त जारी की थी। उल्लेखनीय है कि जीएसटी परिषद को जुलाई में बैठक करने और राज्यों को मुआवजे प्राप्त करने के फार्मूले पर काम करने के लिए निर्धारित किया गया था। हालांकि अभी तक बैठक नहीं बुलाई गई है।

इधर कोरोना वायरस महामारी और महीनों तक लागू रहे लॉकडाउन की वजह देश में करोड़ों लोगों के रोजागर पर भी संकट पैदा हो गया है। दरअसल वाणिज्य मंत्रालय से जुड़ी संसदीय स्थायी समिति की बैठक में शामिल हुए सरकार के प्रतिनिधि ने देश में रोजगार के हालात पर एक प्रेजेंटेशन दिया। इसमें बहुत चिंताजनक आंकड़ा दिया गया। इसके मुताबिक कोविड-19 और लॉकडाउन की वजह से देश में करीब दस करोड़ लोगों के रोजगार पर खतरा पैदा हो गया है। हालांकि बैठक में ये साफ नहीं किया गया कि आंकड़ा कब तक का है और इसमें कौन से क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित होंगे।

बैठक में सरकार की तरफ से बताया गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था काफी हद तक यूरोप, चीन और अमेरिका से होने वाले निवेश और व्यापार पर निर्भर करती है। संक्रमण के चलते इन देशों से व्यापार और निवेश में अलग-अलग कारणों से कमी आने की आशंका है।

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