भारत एक कृषि प्रधान देश है। प्राचीन काल से ही कृषि का भारतीय समाज एवं अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है।
भारत एक कृषि प्रधान देश है। प्राचीन काल से ही कृषि का भारतीय समाज एवं अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों के तीव्र विकास के बावजूद आज भी देश की प्रगति में कृषि क्षेत्र का योगदान सर्वोपरि है। कृषि देश में सर्वाधिक रोजगार प्रदान करने वाला क्षेत्र है और देश की लगभग 58 फीसद आबादी के लिए कृषि आजीविका का प्राथमिक स्रोत है। वित्तीय वर्ष 2020 में कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन क्षेत्र का सकल मूल्य संवर्द्धन 19.48 लाख करोड़ (276.37 बिलियन अमेरिकी डालर) रुपए रहा है। मौजूदा कीमतों पर भारत के सकल मूल्य संवर्द्धन में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों की हिस्सेदारी वित्तीय वर्ष 2020 में 17.8 फीसद थी।
इसके बावजूद काफी सालों से युवाओं में कृषि क्षेत्र को पूर्णकालिक करिअर के रूप में अपनाने के प्रति रुचि में कमी आने लगी थी। लेकिन अब समय तेजी से बदल रहा है और कुछ साल पहले तक जिस खेती-किसानी की तरफ युवाओं का बिल्कुल रुझान नहीं होता था, वहां आज करिअर की असीमित संभावनाएं हैं। इनके प्रति युवाओं में काफी आकर्षण है। भारत सरकार ने किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य तय किया है और पूरी लगन से इस दिशा में प्रयासरत है। सरकार द्वारा इसके लिए कृषि क्षेत्र में तरह-तरह के तकनीकी बदलाव किए जा रहे हैं।
यही वजह है कि आज के युवाओं की रुचि कृषि क्षेत्र में करिअर बनाने में ज्यादा दिखाई दे रही है। आधुनिकता के इस दौर में कृषि के प्रति युवाओं का यह लगाव किसी चमत्कार से कम नहीं है।आज देश में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में करिअर के अनेक विकल्प मौजूद हैं ंऔर भविष्य में इनमें बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। इनमें से सरकारी क्षेत्र में करिअर के प्रमुख विकल्प ये हैं :
भारतीय वन सेवा
भारतीय वन सेवा अधिकारी बनने के लिए संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित भारतीय वन सेवा की परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य है। इस परीक्षा में शामिल होने की न्यूनतम अर्हता है-विज्ञान विषयों में स्नातक। इस परीक्षा में तीन चरण होते हैं-प्रारंभिक परीक्षा,मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार। चयनित उम्मीदवारों को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी, देहरादून में दो साल का प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। भारतीय वन सेवा अधिकारी की प्रमुख जिम्मेदारी भारत के एक राज्य के जंगलों, पर्यावरण और वन्यजीव मुद्दों का प्रबंधन करना है।
नाबार्ड अधिकारी
जो व्यक्ति कृषि क्षेत्र और इसके विकास में विशेष रुचि रखते हैं, वे नाबार्ड की ग्रेड बी परीक्षा की राष्ट्रीय स्तर की भर्ती में सम्मिलित हो सकते हैं। इसमें चयनित होने वाले उम्मीदवार ‘विकास सहायक’ के रूप में काम करते हैं। जिन उम्मीदवारों ने किसी भी विषय में स्नातक पूरा कर लिया है, वे परीक्षा के लिए आवेदन कर सकते हैं। सामान्य वर्ग उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम योग्यता अंक 60 फीसद होना चाहिए। 35 वर्ष तक उम्मीदवार आवेदन कर सकते हैं।
कृषि अनुसंधान वैज्ञानिक
यह प्रतियोगी परीक्षा विभिन्न विषयों के अंतर्गत कृषि अनुसंधान सेवाओं (एआरएस) में वैज्ञानिकों की भर्ती के लिए आयोजित की जाती है। यह परीक्षा दो चरणों में आयोजित की जाती है -प्रारंभिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा। इस पद पर चयनित अधिकारियों को प्रशिक्षण के बाद कृषि क्षेत्र में अनुसंधान और विकास की जिम्मेदारी सौंपी जाती है।
कृषि क्षेत्रीय अधिकारी
वाणिज्यिक बैंकों के लिए आरबीआइ के दिशानिर्देशों के अनुसार, बैंकों को एक वर्ष में कम से कम 25 फीसद शाखाएं बिना बैंक वाले ग्रामीण क्षेत्र में खोलने की आवश्यकता है। इस संबंध में एक कृषि क्षेत्रीय अधिकारी सीधे किसानों और कृषि, ग्रामीण विकास और इसके संबद्ध क्षेत्रों से संबंधित कंपनियों के साथ काम करता है।
कृषि विकास अधिकारी
कृषि अधिकारी का पद कृषि क्षेत्र में सबसे प्रतिष्ठित पदों में से एक है। एक कृषि अधिकारी को यह सुनिश्चित करना होता है कि सभी कृषि पद्धतियां और उत्पाद राज्य और स्थानीय नियमों के अनुरूप हैं। उनका मुख्य कार्य कृषि प्रणालियों की जांच, नमूना और परीक्षण करना है, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि वे राज्य और स्थानीय नियमों और विनियमों का पालन कर रहे हैं या नहीं। एक कृषि विकास अधिकारी बनने के लिए कृषि इंजीनियरिंग अथवा कृषि विज्ञान में स्नातक की डिग्री होनी चाहिए।
खंड विकास अधिकारी
खंड विकास अधिकारी को यह देखना होता है कि उपयुक्त प्राधिकारियों द्वारा अनुमोदित योजनाओं एवं कार्यक्रमों को कुशलतापूर्वक क्रियान्वित किया जा रहा है या नहीं। वह उचित प्राधिकारी के पूर्व अनुमोदन के अधीन पंचायत समिति के लिए व उसकी ओर से अनुबंधों पर हस्ताक्षर करता है। सभी पत्रों और दस्तावेजों को प्रमाणित करता है। बीडीओ पंचायत समिति फंड से पैसा निकालता व वितरित करता है जिससे कृषि क्षेत्र में विकास को गति मिलती है।
- राजेंद्र भारद्वाज
(कृषि मामलों के जानकार)
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