भारत के एक प्राइमरी स्कूल के टीचर को करीब 7.5 करोड़ रुपए का इनाम मिला है। यह इनाम 32 साल के रणजीत डिसले को लड़कियों की पढ़ाई को बढ़ावा देने के साथ-साथ क्यूआर कोड बेस्ड टेक्सट बुक की क्रांति लाने के लिए दिया गया है। इस अवॉर्ड के लिए डिसले के अलावा 12,000 और शिक्षकों के भी नाम थे। यही नहीं डिसले 83 देशों में ऑनलाइन विज्ञान पढ़ाते हैं। उन्होंने एक ऐसे गांव में बदलाव की रौशनी जलाई है जहां कम उम्र में लड़कियों की शादी कर दी जाती थी। रणजीत महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के परितेवाडी के एक जिला परिषद प्राइमरी स्कूल में शिक्षक हैं।

रणजीत डिसले इनोवेटिव स्टाइल में पढ़ाने वाले टीचर हैं। डिस्ले ने क्लास 4 तक के बच्चों के लिए कोर्स बुक को क्यूआर कोडेड बनाया। मतलब किताब में मौजूद चैप्टर का क्यू आर कोड बनाया है। सारे क्यूआर कोड को किताब पर छापा गया। किताब में दी गई कविताएं या कहानियों का वीडियो भी तैयार किया गया है। फिर जब बच्चे किताब पर लगे क्यूआर कोड को स्कैन करते तो उस चैप्टर का वीडियो या ऑडियो स्टूडेंट मोबाइल, लैपटॉप या टैब पर आसानी से देख सकते हैं, सुन सकते हैं और पढ़ सकते।

इनमें बांटे पैसे: पुरस्कार की रकम को बांटने का अर्थ है कि पुरस्कार की रकम का 40-40 हजार पाउंड (करीब 39-39 लाख रुपये) इटली, ब्राज़ील, वियतनाम, मलेशिया, नाइजीरिया, दक्षिण अफ़्रीका, दक्षिण कोरिया, अमेरिका के उप-विजेताओं सहित ब्रिटेन के जेमी फ़्रॉस्ट के पास भी जाएंगे।

इस पुरस्कार को वार्के फ़ाउंडेशन आयोजित करता है। इसके संस्थापक सनी वार्के कहते हैं कि “इस पुरस्कार को बांटकर आप दुनिया को देने का मतलब समझाते हैं।” केंद्र सरकार ने रणजीत सिंह को 2016 में इनोवेटिव रिसर्चर ऑफ द ईयर का अवॉर्ड भी दिया था। साथ ही उन्होंने 2018 में नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन के इनोवेटर ऑफ द ईयर का पुरस्कार भी जीता।

Hindi News के लिए हमारे साथ फेसबुक, ट्विटर, लिंक्डइन, टेलीग्राम पर जुड़ें और डाउनलोड करें Hindi News App। में रुचि है तो




सबसे ज्‍यादा पढ़ी गई





Source link