लाइटहाउस जर्नलिज्म को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर व्यापक रूप से शेयर किया जा रहा एक वीडियो मिला। इसमें पुलिस को लाठीचार्ज करते हुए देखा गया। दावा किया गया कि वक्फ बिल के खिलाफ प्रदर्शनकारी एकत्र हुए थे और पुलिस ने लाठीचार्ज किया।

जांच के दौरान, हमने पाया कि वीडियो 2019 का गोरखपुर का है, हाल का नहीं।

क्या है दावा?

एक्स यूजर ए. कुमार ने भ्रामक दावे के साथ वीडियो शेयर किया।

अन्य उपयोगकर्ता भी इसी तरह के दावों के साथ वीडियो शेयर कर रहे हैं।

जांच पडताल:

हमने वीडियो को InVid टूल पर अपलोड करके जांच शुरू की। हमें यह वीडियो दिनेश अग्रवाल के YouTube चैनल पर मिला।

वीडियो को पांच साल पहले 3 मार्च 2020 को पोस्ट किया गया था, जिससे पुष्टि होती है कि वीडियो हाल का नहीं है।

रिवर्स इमेज सर्च के ज़रिए हमें X पर एक पोस्ट भी मिली, जिसे यूजर ने 21 दिसंबर, 2019 को पोस्ट किया था।

फिर हमने ‘गोरखपुर, 2019, लाठीचार्ज’ पर Google कीवर्ड सर्च किया। हमने कस्टम रेंज टाइम भी सेट किया और 2019 की कुछ न्यूज़ रिपोर्ट्स भी पाईं।

लाइव हिंदुस्तान ने भी वीडियो रिपोर्ट चलाई थी।

इस वीडियो में दिख रही सड़कों के दृश्य वायरल वीडियो से मिलते-जुलते थे।

हमने दृश्यों में माँ वैष्णो स्टेशनरी और शीतल कार्ड को देखा और फिर इसे Google मैप्स पर खोजा। हमें Google मैप्स पर दुकानों का सटीक स्थान मिला।

निष्कर्ष: CAA-NRC के खिलाफ गोरखपुर का 2019 का वीडियो वक्फ बिल के प्रदर्शनकारियों के खिलाफ़ हाल ही में पुलिस की कार्रवाई का बताकर वायरल किया जा रहा है। वायरल दावा भ्रामक है।




Source link