
Jammu and Kashmir News: जम्मू-कश्मीर में उमर अब्दुल्ला सरकार और उप राज्यपाल मनोज सिन्हा के बीच पहली बार तनातनी देखने को मिली है। The Indian Express ने एक्सक्लूसिव खबर देते हुए लिखा है कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने 1 अप्रैल को Jammu and Kashmir Administrative Service (JKAS) के 48 अफसरों के ट्रांसफर का विरोध किया है और इसे लेकर मुख्य सचिव अटल डुल्लू, एलजी मनोज सिन्हा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है।
सूत्रों ने The Indian Express को बताया कि सरकार ने इस तरह के सभी ट्रांसफर को अवैध बताया है और कहा है कि इन तबादलों को मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से मंजूरी नहीं मिली है।
सीएम बोले- ‘अतिक्रमण’ कर रहा राजभवन
उमर अब्दुल्ला ने पत्र में लिखा है कि इस तरह से तबादले करना नौकरशाही पर नियंत्रण करने की कोशिश है और ऐसा करके नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेतृत्व वाली जम्मू-कश्मीर सरकार पर राजभवन की ओर से ‘अतिक्रमण’ किया जा रहा है। बताना होगा कि जम्मू-कश्मीर अभी भी केंद्र शासित प्रदेश है।
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सूत्रों ने The Indian Express को यह भी बताया कि क्योंकि ये तबादले जम्मू-कश्मीर के राजस्व विभाग के अफसरों के हैं, इसलिए यह J&K Reorganisation Act, 2019 का भी उल्लंघन हैं। यह Act कहता है कि इस तरह के तबादलों को मंत्रिपरिषद के द्वारा भी मंजूरी मिलना जरूरी है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की ओर से यह पत्र ऐसे वक्त में लिखा गया है, जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह 6 और 7 अप्रैल को श्रीनगर आने वाले हैं।
कांग्रेस ने की एलजी के फैसले की आलोचना
कांग्रेस ने अफसरों के ट्रांसफर की आलोचना की है। पार्टी ने कहा है कि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को इस संबंध में कोई फैसला करने से पहले नियमों की मंजूरी का इंतजार करना चाहिए था। कांग्रेस विधायक दल के नेता और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव गुलाम अहमद मीर ने इस संबंध में कहा, “ऐसा करना सही नहीं था। इससे गलत संदेश गया है कि (प्रशासन के भीतर) सब कुछ ठीक नहीं है।”
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दूसरी बार हुए अफसरों के तबादले
जम्मू-कश्मीर में उमर अब्दुल्ला की सरकार बनने के बाद ऐसा दूसरी बार हुआ है, जब बड़े पैमाने पर अफसरों के ट्रांसफर हुए हैं। इससे पहले नवंबर, 2024 में उमर अब्दुल्ला के मुख्यमंत्री बनने के एक महीने बाद भी अफसरों के तबादले किए गए थे। तब मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया था कि 20 JKAS अफसरों के तबादलों को रोका जाएगा और उन्हें उनकी मौजूदा पोस्टिंग से नहीं हटाया जाएगा लेकिन फिर भी इन अफसरों के तबादले कर दिए गए थे। लेकिन इस बार मुख्यमंत्री ने सीधे केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर इस मामले को बड़े पैमाने पर उठाए जाने का संकेत दिया है।
जिन अफसरों का ट्रांसफर किया गया है, उनमें मिडिल और लोअर रैंक के अफसर शामिल हैं। इनमें से 14 एडिशनल डिप्टी कमिश्नर और 26 सब डिविजनल मजिस्ट्रेट हैं।
क्या है ताकत और अधिकारों के बंटवारे की व्यवस्था?
जम्मू-कश्मीर में राजभवन और जम्मू-कश्मीर सरकार के बीच ताकत और अधिकारों का जो बंटवारा है, उसके मुताबिक कानून और व्यवस्था के मामले और केंद्रीय सेवाएं एलजी के अधिकार क्षेत्र में आती हैं जबकि शासन से संबंधित मुद्दे सरकार देखती है। सूत्रों ने बताया है कि अफसरों के तबादलों को लेकर अभी भी बिजनेस रूल नहीं बनाए गए हैं और बिजनेस रूल के बिना भी एलजी ऐसा नहीं कर सकते थे।
एक सीनियर अफसर ने बताया कि राजस्व विभाग से जुड़े अफसरों का तबादला केवल ‘इमरजेंसी’ वाली स्थितियों में ही किया जाता है और ऐसा तब होता है, जब उन्हें कानून और व्यवस्था के मामले में कहीं तैनात करना हो जबकि मौजूदा वक्त में ऐसी कोई स्थिति नहीं है।
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नेशनल कांफ्रेंस ने बुलाई बैठक
अफसरों के तबादले की इस खबर के बाद नेशनल कांफ्रेंस की ओर से मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के गुपकार निवास पर पार्टी के विधायकों के साथ-साथ कांग्रेस के विधायकों की बैठक भी बुलाई गई है। इसमें तबादलों सहित अन्य जरूरी मुद्दों पर चर्चा होगी।
बताना होगा कि बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र की सरकार ने अभी तक जम्मू-कश्मीर के लिए राज्य का दर्जा बहाल नहीं किया है जबकि जम्मू-कश्मीर विधानसभा की ओर से इस संबंध में प्रस्ताव पारित किया जा चुका है।
क्या कहा था एलजी ने?
मार्च में ही The Indian Express को दिए एक इंटरव्यू में एलजी मनोज सिन्हा ने कहा था कि उन्हें उमर अब्दुल्ला की सरकार के साथ कामकाज करने में किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं है और वह सरकार के काम में किसी तरह का दखल नहीं दे रहे हैं क्योंकि J&K Reorganisation Act, 2019 में उनका अधिकार क्षेत्र पूरी तरह से स्पष्ट है।
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