दिल्ली सरकार ने शिक्षा की दिशा में एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए राज्य के लिए एक नया स्कूल शिक्षा बोर्ड विकसित करने के लिए अपने 65,000 करोड़ रुपये के बजट का एक हिस्सा आवंटिव कर दिया है। 2015 में सत्ता में आने के बाद से, आम आदमी पार्टी-सरकार अपने बजट का सबसे बड़ा हिस्सा शिक्षा, विशेषकर स्कूलों को समर्पित कर रही है। इस बार भी, उसने कुल बजट का 24.33% – या 15,815 करोड़ रुपये का हिस्सा शिक्षा क्षेत्र को समर्पित किया है।
इसमें से, दिल्ली के लिए एक अलग स्टेट बोर्ड ऑफ एजुकेशन स्थापित करने और अपने स्कूलों के लिए एक नया पाठ्यक्रम विकसित करने के लिए 62 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं। देश के अन्य राज्यों में राज्य सरकारों द्वारा संचालित लगभग सभी स्कूल अपने संबंधित राज्य बोर्डों का अनुसरण करते हैं, जबकि दिल्ली के सरकारी स्कूल केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का अनुसरण करते हैं।
पिछले साल, CBSE द्वारा एक परीक्षा शुल्क में वृद्धि किए जाने के बाद से ही राज्य के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली में एक अलग बोर्ड की आवश्यकता की बात उठाई थी। उन्होनें इस बार के अपने बजट में यह भी घोषणा की कि दिल्ली सरकार के स्कूलों के छात्रों को अंतर्राष्ट्रीय छात्र मूल्यांकन (PISA) परीक्षा के लिए 2024 कार्यक्रम के लिए तैयार किया जाएगा। शिक्षा की गुणवत्ता और छात्र की क्षमता की यह अंतरराष्ट्रीय परीक्षा, प्रतिभागी देशों में 15 वर्षीय छात्रों के लिए हर तीन साल में एक बार होती है।
इसके अतिरिक्त छात्रों को समाचार पत्र प्रदान करना, सरकारी स्कूल के छात्रों के माता-पिता के लिए “पैरेंट वर्कशॉप” का आयोजन करना और दिल्ली में स्पेशलिस्ट स्ट्रीम में स्पेशलाइज़ेशन वाले पांच स्कूलों की स्थापना करना भी राज्य शिक्षा की अन्य पहलों में शामिल है।
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