COVID-19 महामारी लगता नहीं कि अभी जाने वाली है। और, अभी सावधानी ही इससे बचने का सबसे प्रभावी तरीका है। इस वायरस ने हमारी जिंदगी में ऐसे कई बदलाव ला दिए हैं, जो कुछ समय पहले तक हमने सोचे भी नहीं थे। सारी दुनिया इस उम्‍मीद में है कि जल्‍द बीमारी का वैक्‍सीन तैयार हो और जिंदगी पटरी पर लौटे, मगर उम्‍मीद हफ्तों से बढ़कर महीनों में पहुंच चुकी है और सालों तक भी इंतजार करा सकती है। ऐसे में वायरस के बीच ही हमें रहना भी सीखना होगा और काम करना भी।

मास्‍क, सेनिटाइज़र और फेस मास्‍क जैसी चीज़ें जो अभी नई लगती हैं, वे जल्‍द ही जिंदगी का हिस्‍सा बन जाएंगी और खुद को आइसोलेट रखने की मजबूरी, आदत।

सबसे खास होगा हमारी वर्क लाइफ में होने वाले नए बदलावों में खुद हो ढ़ालना। बीमारी के फैलने के शुरूआती दौर में वर्क फ्रॉम होम का ऑप्‍शन जहां मजेदार लगता था, वहीं कुछ महीने बीतने पर मुश्किल लगने लगा है। मगर थोड़े समय बाद हम अपने घर के किसी एक हिस्‍से को ही दफ्तर में बदलते नज़र आएंगे क्‍योंकि बात सिर्फ काम खत्‍म करने की नहीं बल्कि प्रोडक्टिविटी बढ़ाने की भी होगी।

ऐसा भी हो सकता है कि सप्‍ताह के केवल एक दिन ही आपको दफ्तर जाना हो ताकि जरूरी मीटिंग्‍स की जा सकें और बाकी के सभी दिन अपने होम ऑफिस से काम करना हो।

हफ्ते में एक दिन या बेहद कम खुलने वाले ऑफिसों को भी बड़ी जगहों की जरूरत नहीं होगी। वर्किंग डेस्‍क्‍स की जरूरत खत्‍म होगी और दफ्तर मीटिंग रूम्‍स तक सिमटकर रह जाएंगे।

दफ्तरों में एंट्री पर केवल कम्‍प्‍यूटर ऑपरेटेड फेस रिकग्‍निशन और थर्मल स्‍कैनर होंगे और लिफ्ट में भी दो से ज्‍यादा लोग नहीं जा सकेंगे। बटन दबाने की जरूरत खत्‍म करने के लिए आपकी लिफ्ट भी वॉयस ऑपरेटेड हो सकती है।

ऑफिस के प्‍लास्टिक पार्टीशन की जगह पौधे लेंगे और कैफिटेरिया और मीटिंग रुम जैसी जगहों में कॉपर हैंडल वाले ड्राअर्स ही होंगे, क्‍योंकि कॉपर एक एन्‍टी बैक्‍टीरियल मेटल है।

एक दूसरे से दूरी पर रहकर आप मीटिंग पूरी करेंगे और अलग अलग समय पर ऑफिस से निकलेंगे, ताकि भीड़ एकट्ठी न हो। अपने कलीग्‍स के साथ लंच करने की न ही सोचें तो बेहतर।

अपने ऑफिस से करीब रहने की जरूरत भी खत्‍म होगी क्‍योंकि हर दिन ऑफिस आना नहीं होगा। ऐसे में आप अच्‍छा और बड़ा घर रहने के लिए ढ़ूंढेंगे जहां एक कमरा आपके स्‍टडी टेबल और ऑफिस चेयर के लिए हो।

दफ्तर की पार्टियां, साथियों के साथ लंच या वर्कस्‍टेशन पर ढ़ेर सारे लोगों का साथ जुटना भी पुरानी बातें बनकर रह जाएंगी।

संक्रमण का खतरा फिलहाल कम होता नहीं दिख रहा और यह हर बीतते दिन के साथ बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में आने वाले बदलावों के लिए हमें सकारात्‍मक रहना जरूरी है। अर्थव्‍यवस्‍था को लग रही चोट के चलते नौकरी का खतरा और सैलरी में कटौती भी कुछ समय बाद खत्‍म हो जाएंगे, मगर इससे पूरी तरह उबरने के लिए वर्किंग प्रोफेश्‍नल्‍स को अपना काम और बेहतर करना होगा।

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