भारतीय प्रशासन की रीढ़ कहे जाने वाली सिविल सेवाओं के भावी अधिकारियों का चयन संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की ओर से आयोजित ‘सिविल सेवा परीक्षा’ के माध्यम से किया जाता है।
भारतीय प्रशासन की रीढ़ कहे जाने वाली सिविल सेवाओं के भावी अधिकारियों का चयन संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की ओर से आयोजित ‘सिविल सेवा परीक्षा’ के माध्यम से किया जाता है। सिविल सेवा परीक्षा, देश की सर्वाधिक कठिन परीक्षाओं में से एक है। 700 से 900 रिक्तियों के लिए हर साल दस लाख से भी अधिक आवेदन यूपीएससी को मिलते हैं। तीन चरणों में संपन्न होने वाली इस परीक्षा की मूल्यांकन प्रक्रिया में लगभग एक साल लग जाता है। इस दुरुह प्रतिस्पर्धा का पहला चरण ‘प्रारंभिक परीक्षा’ है जिसमें आवेदन करने वाले 50 फीसद उम्मीदवार ही बैठने का साहस जुटा पाते हैं। प्रांरभिक परीक्षा को पास कर करीब 10 से 15 हजार ही अगले चरण ‘मुख्य परीक्षा’ तक पहुंच पाते हैं। इनमें से भी दो से तीन हजार मेघावी प्रत्याशी व्यक्तित्व परीक्षण के अंतिम चरण में प्रवेश कर पाते हैं।
प्रारंभिक परीक्षा और सीसैट : प्रारंभिक परीक्षा में अभ्यार्थियों का मूल्यांकन दो प्रश्न पत्रों के माध्यम से होता है। इन्हें सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-1 और प्रश्न पत्र-2 के नाम से औपचारिक रूप से जाना जाता है। दोनों प्रश्न पत्रों में वस्तुनिष्ठ प्रकार के बहुविकल्पीय प्रश्न आते हैं। प्रश्न पत्र-1 में भारतीय इतिहास एवं राष्ट्रीय आंदोलन, भारत एवं विश्व भूगोल, भारतीय राजतंत्र एवं प्रशासन, आर्थिक व सामाजिक विकास, पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, सामान्य विज्ञान और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएं जैसे विषयों से प्रश्न पूछे जाते हैं। प्रश्न पत्र-2 में बोधगम्यता, संचार कौशल, तार्किक कौशल एवं विश्लेषणात्मक क्षमता, निर्णयन एवं समस्या समाधान, सामान्य मानसिक योग्यता, बुनियादी संख्याएं एवं आंकड़ों का विश्लेषण सहित संचार व अंतरवैयक्ति कौशल के प्रश्न शामिल होते हैं। प्रश्न पत्र-2 विषय बोध का आकलन न करके प्रतियोगी की अभियोग्यता का आकलन करता है और इसलिए इसे बोलचाल की भाषा में सीसैट यानी ‘सिविल सर्विजेस एप्टीट्यूड टेस्ट’ कहते हैं।
प्रश्न पत्र -2 का महत्त्व : प्रारंभिक परीक्षा के दोनों ही तीन-तीन घंटों के और प्रश्न पत्र 200-200 अंकों के होते हैं परंतु 2015 के बाद प्रश्न पत्र-2 (सीसैट) मात्र एक अर्हक विषय बन कर रह गया है। इस प्रश्न पत्र में करीब 80 प्रश्न होते हैं जिनमें प्रत्येक के लिए 2.50 अंक निर्धारित है। गलत उत्तर दिए जाने पर सवाल का एक तिहाई (0.83 अंक) काटे जाने का प्रावधान है। प्रश्न पत्र-2 में आर्हता प्राप्त करने के लिए उम्मीदवार को कुल अंकों का 33 फीसद यानी 66.67 अंक प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। अगले चरण के लिए वे ही उम्मीदवार चयनित होंगे जो प्रश्न पत्र-2 में कम से कम 66.67 अंक और प्रश्न पत्र-1 में अधिकतम अंक प्राप्त कर सके। निश्चित तौर पर उम्मीदवारों के लिए यह महत्त्वपूर्ण है कि वह अपना अधिकतम समय और श्रम प्रश्न पत्र-1 के विषयों पर केंद्रित करें। पर क्या इसका अर्थ यह निकाला जाए कि हर प्रतिभागी बिना किसी प्रयास या कठिनाई के प्रश्न पत्र-2 को हल कर लेगा। वस्तुस्थिति तो यह है कि हजारों विद्यार्थी तो होड़ से सिर्फ इसलिए बाहर हो जाते हैं कि वह न्यूनतम अर्हक अंक भी नहीं प्राप्त कर पाते हैं और अपना एक साल का प्रयास गवां बैठते हैं। अत: प्रश्न पत्र-2 को तनिक भी हल्के में लेना निश्चित तौर पर अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारना होगा।
प्रश्न पत्र-2 की तैयारी : इस पेपर की प्रारंभ से ही सतत तैयारी करना उचित है। ऐसा करने से अपनी कमियों को समयानुसार आंका जा सकता है और दूर भी किया जा सकता है। इसकी तैयार के लिए मूलत: अभ्यास की आवश्यकता है। अत: परीक्षा से कई महीने पूर्व की तैयारी का समयोपरांत हृास नहीं होता है और अंतिम के कुछ सप्ताहों को प्रश्न पत्र-1 के ज्ञान उन्मूख विषयों पर लगाया जा सकता है। पर अगर आप ऐसा करने में असमर्थ रहे हैं तो इस वर्ष की प्रारंभिक परीक्षा में बचे कुछेक सप्ताहों में भी आप संतोषजनक तैयारी कर सकते हैं। इसके लिए निम्न बातों पर ध्यान देना आवश्यक है। कई वर्षों के प्रश्नपत्रों के विश्लेषण के अनुसार ‘बोधगम्यता’ और ‘बुनियादी संख्याएं व आंकड़ों का विश्लषेण’ दो ऐसे विषय है जिनसे सर्वाधिक प्रश्न आते हैं। यह देखा गया है कि औसतन 50 से 60फीसद सवाल सिर्फ इन दो विषयों के ही होते हैं। अगर समय की कमी हो तो इन दो विषयों पर सर्वप्रथम ध्यान केंद्रित करें। अगर समय पर्याप्त हो तो भी इन दोनों विषयों पर महारत हासिल करना अनिवार्य है।
तैयारी करने के लिए कोई एक अच्छी किताब अवश्य खरीदें। इस पुस्तक में सबसे पहले, अध्याय में वर्णित विषय के पहलुओं का अध्ययन करें और बाद में अध्याय के अंत में सवालों को हल करें। बिना इस अभ्यास के विगत वर्षों के प्रश्न पत्र या पुस्तक में दिए अभ्यास प्रश्न पत्रों को हल करने का न प्रयास करें। यह अभ्यास बाद के लिए रखें।
बोधगम्यता : 2020 की परीक्षा में इस विषय से लगभग 25 सवाल आए थे। ये सवाल प्रश्न पत्र में दिए गए अनुच्छेदों पर आधारित होते हैं जो 40 से 400 शब्दों और विभिन्न विषयों से संबंधित होते हैं। सवाल इस प्रकार के होते हैं कि वे अनुच्छेद में निहित विषयवस्तु की तार्किक समझ की परख करते हैं। प्रश्न में दिए गए चार विकल्पों में कौन सा सही है, इसका अनुमान अनुच्छेद के सरसरी या सतही अवलोकन से तो बिलकुल नहीं लगता। यह प्रश्न भी तथ्यात्मक प्रकृति के नहीं होते और न ही उनके जवाब गद्यांश के वाक्यों में ढूंढ़े जा सकते हैं। बल्कि उस छोटे से अनुच्छेद को ध्यानपूर्वक पढ़ना और प्रश्न के संदर्भ में अनुच्छेद में वर्णित ज्ञान का अनुप्रयोग करना, अत्यंत ही आवश्यक है। अत: आवश्यकता पड़ती है भाषा के बुनियादी समझ और विषय के अवबोध की। और यह प्राप्त होता है निरंतर प्रयास से।
बुनियादी संख्याएं एवं आंकड़ों का विश्लेषण : इस विषय से 2020 में करीब 38 सवाल आए थे। वैसे तो यह विषय अंक प्रदायी है पर इसके लिए आवश्यकता है, कक्षा आठवीं और नौवीं के अंकगणित और सांख्यिकी के विषयों के पुनरावलोकन की। जिन विद्यार्थियों ने कला विषयों से स्नातक की है, उनके लिए यह विषय थोड़ा चुनौतीपूर्ण अवश्य है पर थोड़े से अभ्यास से विषय में पारंगत अवश्य हो सकते हैं। ‘अंतर वैयक्तिक कौशल’ और ‘निर्णयन एवं समस्या समाधान’ के विषयों से पिछले कई सालों से कोई भी सवाल नहीं आया। अत: इस पर अधिक समय न लगाएं।
‘तर्कसंगत विवेचना एवं विश्लेषणात्मक योग्यता’ अगले महत्त्वपूर्ण विषय हैं। दोनों विषय एक दूसरे से भिन्न हैं। तर्कसंगत विवेचना के प्रश्नों में एक तर्क उतेजक चयन अंतरनिहित होता है जिसके अनुरूप तर्क संगत विवेचना की आवश्यकता होती है। विश्लेषणात्मक योग्यता संबंधी प्रश्नों में परिस्थितियों एवं बाधाओं संबंधी मैट्रिक्स दी गई होती है जिनके निगमन और विश्लेषण से हल को प्राप्त करना होता है। अंतिम विषय ‘सामान्य मानिसिक योग्यता’ का है जिसके लिए किसी थ्यौरी की आवश्यकता नहीं बल्कि अभ्यास और अनुभव अनिवार्य है। अर्हक विषय होते हुए भी अभ्यर्थियों के लिए महत्त्वपूर्ण है कि वे उपरोक्त विभिन्न विषयों के कम से कम 50 सवालों का अभ्यास करें और उसके बाद पांच-पांच प्रश्न पत्रों व पुराने वर्षों के प्रश्न पत्र को हल करें। प्रतिभागी यह ध्यान रखें कि प्रत्येक परीक्षा की तरह इस प्रतिस्पर्धा में भी परिश्रम ही सफलता की कुंजी है।
- मधुकर कुमार भगत
(आयकर आयुक्त और लेखक)
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