Shivaji Temple Bhiwandi Maharashtra: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 17 मार्च को ठाणे जिले की भिवंडी तालुका में बने छत्रपति शिवाजी महाराज के मंदिर का उद्घाटन किया। महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी महाराज का यह पहला मंदिर है। बीते दिनों बॉलीवुड फिल्म छावा के आने के बाद छत्रपति शिवाजी महाराज, उनके बेटे संभाजी महाराज और मुगल शासक औरंगजेब को लेकर पूरे महाराष्ट्र और इसके बाहर भी जमकर बहसबाजी चल रही है। महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी महाराज को आराध्य माना जाता है। शिवाजी महाराज मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे। औरंगजेब ने छत्रपति संभाजी महाराज को फांसी पर चढ़ा दिया था।

बहरहाल, आइए आपको छत्रपति शिवाजी महाराज मंदिर के बारे में कुछ बड़ी बातें बताते हैं।

तेलंगाना में है पहला मंदिर

महाराष्ट्र में यह शिवाजी महाराज का पहला मंदिर है लेकिन भारत में दूसरा है। छत्रपति शिवाजी महाराज को समर्पित पहला मंदिर श्रीशैलम, तेलंगाना में है।

औरंगजेब का जन्म कहां हुआ था, उसके पिता ने क्यों किया था जहांगीर के खिलाफ विद्रोह?

2017 में रखी गई थी मंदिर की नींव

हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती के मौके पर इस मंदिर का उद्घाटन किया। इस मंदिर की नींव 2017 में रखी गई थी और मार्च 2018 में मौजूदा उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इसका भूमि पूजन किया था। शिंदे उस वक्त ठाणे जिले के संरक्षक मंत्री थे और महाराष्ट्र की सरकार में शहरी विकास मंत्रालय का प्रभार उनके पास था।

2500 स्क्वायर फीट में फैला है मंदिर

यह मंदिर छत्रपति शिवाजी महाराज की किलों की वास्तुकला से प्रेरित है। मंदिर 2500 स्क्वायर फीट में फैला हुआ है। इसमें किले जैसी चारदीवारी भी है जो 5,000 स्क्वायर फीट में फैली हुई है। मंदिर का निर्माण शिवक्रांति प्रतिष्ठान ने किया है। शिवक्रांति प्रतिष्ठान की स्थापना छत्रपति शिवाजी महाराज के भक्त राजू चौधरी ने की थी। राजू चौधरी शिव क्रांति प्रतिष्ठा को यह जमीन दान में दी थी।

औरंगजेब की कब्र पर क्यों गए थे छत्रपति शिवाजी महाराज के पोते शाहू प्रथम?

6.5 फीट ऊंची है शिवाजी महाराज की मूर्ति

इस मंदिर का मुख्य आकर्षण छत्रपति शिवाजी महाराज की 6.5 फीट ऊंची कृष्णशिला (काले पत्थर) की मूर्ति है। इस मूर्ति का निर्माण मैसूर के प्रसिद्ध कलाकार अरुण योगीराज ने किया है। अरुण योगीराज ने इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 22 फीट ऊंची, केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की 12 फीट ऊंची और अयोध्या में राम जन्म भूमि मंदिर में रामलाल की मूर्ति को भी गढ़ा था।

किले जैसा बनाया गया मंदिर

इस मंदिर को आर्किटेक्ट विशाल विजय कुमार पाटिल ने डिजाइन किया है। यह मंदिर छत्रपति शिवाजी महाराज के किले के जैसा बनाया गया है। मंदिर में एक चारदीवारी, किले जैसा बुर्ज और एक भव्य प्रवेश द्वार है। खंभों पर बारीक नक्काशी की गई है। मुख्य प्रवेश द्वार 42 फीट ऊंचा है, जिसमें 27 फीट ऊंचा और 17 फीट चौड़ा सागौन की लकड़ी का दरवाजा लगा है।

‘महाराष्ट्र में BJP का शासन औरंगजेब के वक्त से भी बदतर’, संजय राउत का फडणवीस सरकार पर हमला

शिवाजी महाराज के जीवन को दिखाया

मंदिर के नीचे वाले हिस्से में 36 खंड हैं, जिनमें 9×6 फीट के भित्ति चित्र (murals) लगे हैं। इन चित्रों में छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों को दर्शाया गया है। मंदिर परिसर में ऐतिहासिक हथियारों और कवचों का एक संग्रहालय भी बनाया गया है। मंदिर के चारों ओर एक सुंदर बगीचा है।

तीर्थ स्थल का दर्जा देगी महाराष्ट्र सरकार

मंदिर ट्रस्ट को उम्मीद है कि छत्रपति शिवाजी महाराज का यह मंदिर महाराष्ट्र और देशभर से श्रद्धालुओं और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करेगा और इससे स्थानीय लोगों को रोजगार के मौके मिलेंगे। ट्रस्ट ने सरकार से मांग की है कि इस क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने में सहायता की जाए। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि इस मंदिर को जल्द ही तीर्थ स्थल का दर्जा दिया जाएगा।

क्लिक कर जानिए योगी आदित्यनाथ का पोस्टर लेकर सड़क पर क्यों उतरे इस देश के लोग?




Source link