बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) का आयुर्वेद विज्ञान विभाग भूत विज्ञान में छह महीने का डिप्लोमा कोर्स शुरू करने जा रहा है। इसके तहत मनोवैज्ञानिक बीमारियों को ठीक करने पर जोर दिया जाएगा। भूत विज्ञान एक मनोचिकित्सा है। इस कोर्स में डॉक्टरों को मनोचिकित्सा संबंधी विकारों और असामान्य कारणों से होने वाली असामान्य मनोवैज्ञानिक स्थितियों के इलाज के लिए उपचार और मनोचिकित्सा के बारे में सिखाया जाएगा, जिसे कई लोग भूत की वजह से होना मानते हैं।
इस कोर्स का पहला बैच जनवरी 2020 में शुरू होगा। कोर्स की फीस 50,000 रुपये तक हो सकती है। आयुर्वेद संकाय की डीन यामिनी भूषण त्रिपाठी के अनुसार इस कोर्स में उम्मीदवारों का दाखिला मेरिट या लिखित परीक्षा के आधार पर हो सकता है त्रिपाठी के अनुसार, “ब्रांच के बारे में डॉक्टरों को औपचारिक शिक्षा प्रदान करने के लिए आयुर्वेद संकाय में भूत विज्ञान की एक अलग इकाई बनाई गई है।”
उन्होंने कहा कि यह इस बात पर निर्भर करता है कि उम्मीदवारों की संख्या कितनी है। अगर अभ्यर्थियों की संख्या ज्यादा हुई तो लिखित परीक्षा होगी। साल भर में दो बैच होंगे। हरेक बैच में 10 छात्रों का दाखिला होगा। दाखिले की न्यूनतम योग्यता मेडिकल साइंस में ग्रैजुएशन रखी गई है। इसमें एमबीबीएस और बीएससी नर्सिंग पास छात्र भी दाखिला ले सकेंगे।
‘भूत’ के कारण होने वाले मानसिक विकारों और बीमारियों का उपचार बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएएमएस) और बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड बैचलर ऑफ सर्जरी (एमबीबीएस) डिग्री धारकों को सिखाया जाएगा। त्रिपाठी ने कहा, “यह भूत-संबंधी बीमारियों और मानसिक विकारों के इलाज के आयुर्वेदिक उपचार से संबंधित है।” त्रिपाठी ने आगे कहा कि भूत विद्या अष्टांग आयुर्वेद की आठ बुनियादी शाखाओं में से एक है। यह मुख्य रूप से मानसिक विकारों, अज्ञात कारणों और मन या मानसिक स्थितियों के रोगों से संबंधित है। बीएचयू में आयुर्वेद संकाय, भूत विद्या की एक अलग इकाई बनाने और विषय पर एक सर्टिफिकेट कोर्स डिजाइन करने वाला देश का पहला संकाय है।
इस आयुर्वेद शाखा के लिए छह महीने पहले एक अलग इकाई स्थापित करने के प्रयास शुरू हुए थे। संकाय में सभी 16 विभागों के प्रमुखों की बैठक के बाद इस प्रस्ताव का मसौदा तैयार किया गया था। फिर यह प्रस्ताव विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद को भेजा गया, जिसने अष्टांग आयुर्वेद की बुनियादी शाखाओं में से एक पर एक अलग इकाई और एक प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम को मंजूरी दी।
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